आईडी कार्ड में जेंडर पर मतभेद, ट्रांसजेंडर्स को किराए पर घर देने को राजी नहीं मकान मालिक


पश्चिम बंगाल में ट्रांसपर्सन्स को दस्तावेजों की वजह से तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं पर उन्हें किराए का मकान मिलने में समस्या आ रही है तो एक अफसर द्वारा अनावश्यक दस्तावेज मांगे जाने का भी मामला प्रकाश में आया।




  • ट्रांसजेंडर्स को किराए पर घर देने को राजी नहीं मकान मालिक

  • वर्ष 2019 में लोकसभा में ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स बिल-2019 को बहुमत के साथ पारित कराया गया था

  • आईडी कार्ड में दिक्कतों के चलते उठानी पड़ रही है परेशानी

  • अफसर द्वारा अनावश्यक दस्तावेज मांगे जाने का मामला भी आ चुका है सामने



 

कोलकाता
गायिका और पेशे से मॉडल रात्रि साहा एक कॉर्पोरेट फर्म में काम करती हैं। रात्रि को महज इसलिए किराए पर घर देने से मना कर दिया गया क्योंकि पहचान पत्र में दी गई जानकारी उनसे मेल नहीं खा रही थी। सौविक साधुखान को एक मकान मालिक ने बताया कि उनका अपार्टमेंट किराए पर उठ चुका है। हालांकि, ब्रोकर का कहना था कि मकान अभी खाली है।


साहा के मकान मालिक का कहना है कि उन्हें इस बात का डर था कि ट्रांसजेंडर्स को किराए पर मकान देने के बाद उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उनका कहना है, 'मुझे शुरुआत में इस बात डर था कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग अपार्टमेंट में अकसर हंगामा करेंगे।' वर्ष 2019 के अगस्त महीने में लोकसभा में ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल-2019 को बहुमत के साथ पारित कराया गया था। इसके माध्यम से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में लाने और उनके विभिन्न अधिकारों की रक्षा करने का उपबंध किया गया है।


निर्देशों के बावजूद किए जा रहे सवाल-जवाब
इस बिल के तहत कहा गया कि ट्रांसजेंडर्स अपनी पहचान संबंधी जानकारी (जिसमें जेंडर में बदलाव को दर्शाया गया है) को डीएम के सामने पेश करेंगे। इससे यह उनके चुने हुए जेंडर को मान्यता देने वाला प्रमाण बन जाता है। पहचान के लिए सर्टिफिकेट जारी होने के बावजूद कोलकाता में ट्रांसजेंडरों से उनके दस्तावेजों में मतभेद के चलते सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।

...जब अफसर ने मांगा गैर जरूरी दस्तावेज
श्री घटक त्रोई फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं और एलजीबीटीक्यू समुदाय के बेसहारा लोगों के लिए आश्रय केंद्र चलाती हैं। लिंग परिवर्तन कराकर महिला बनने के बाद जब वह अपना आधार कार्ड लेने पहुंचीं तब उन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसी तरह पासपोर्ट ऑफिस में एक अफसर ने संदीप्ता दास से कहा कि वह अन्य दस्तावेजों के साथ सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी सर्टिफिकेट भी लेकर आएं। जब उन्होंने विरोध किया तो अफसर ने इस बात को स्वीकार भी किया कि यह सर्टिफिकेट आवश्यक नहीं था।

इन दिक्कतों का करना पड़ता है सामना
29 वर्षीय दास का कहना है, 'जेंडर चेंज कराने के बाद वास्तविक दस्तावेजों में बदलाव कराना एक बड़ी चुनौती होती है। इसके चलते किराए पर कमरा वगैरह लेने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।' उनका कहना है, 'मकान मालिक पहचान पत्र के लिए आधिकारिक दस्तावेज मांगते हैं। दिक्कत तो तब पैदा होती है जब निर्धारित जेंडर और चुने हुए के बीच किसी प्रकार की समानता नहीं होती है।'


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