अयोध्या पर निर्णय से पहले संघ बोला- खुले मन से स्वीकार होना चाहिए फैसला


आरएसएस ने ट्वीट कर कहा, 'आगामी दिनों में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के वाद पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने की संभावना है। निर्णय जो भी आए उसे सभी ने खुले मन से स्वीकार करना चाहिए।अयोध्या विवाद पर फैसला आने से पहले सभी पक्ष आपसी भाईचारे और शांति की अपील कर रहे हैं। इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए उसे सभी को खुले मन से स्वीकार करना चाहिए। बता दें कि 16 अक्टूबर को शीर्ष अदालत की 5 सदस्यीय संविधान बेंच अयोध्या विवाद पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।आरएसएस ने कहा है कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए उसे सभी खुले मन से स्वीकार करेंबता दें कि अगले महीने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता हैकोर्ट में अयोध्या पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया थाआरएसएस ने ट्वीट कर कहा, 'आगामी दिनों में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के वाद पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने की संभावना है। निर्णय जो भी आए उसे सभी ने खुले मन से स्वीकार करना चाहिए। निर्णय के पश्चात देशभर में वातावरण सौहार्दपूर्ण रहे, यह सबका दायित्व है।' गौरतलब है कि वीएचपी और बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी फैसले के बाद भाईचारा बनाए रखने की बात कही थी।माना जा रहा है कि 17 नवंबर से पहले शीर्ष अदालत इसपर फैसला सुना सकती है। संवैधानिक बेंच में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर शामिल हैं। बता दें कि 17 नवंबर को चीफ जस्टिस गोगोई रिटायर हो रहे हैं और उनके रिटायरमेंट के पहले फैसला आने की उम्मीद है।


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