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बीजेपी या टीएमसी? उपचुनाव बताएंगे किसके पक्ष में है पश्चिम बंगाल का वोटर
पश्चिम बंगाल में 3 सीटों पर होने वाले उपचुनाव 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और टीएमसी के लिए लिटमस टेस्ट जैसे हैं। दोनों ही दल इस चुनाव में वोटरों का रुख जानने का प्रयास करेंगे।पश्चिम बंगाल में 25 नवंबर को विधानसभा की तीन सीटों पर होगा उपचुनावलोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली बीजेपी की पहली परीक्षा होंगे उपचुनावखाली हुई तीन सीटों पर विजय के लिए पूरा जोर लगाएगी ममता बनर्जी की टीएमसीकांग्रेस कालियागंज और खड़गपुर सदर सीट और वाम मोर्चा करीमपुर में उतारेगा प्रत्याशीकोलकातालोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 18 सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली बीजेपी और प्रदेश की सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए बंगाल की 3 सीटों पर होने वाला चुनाव अग्निपरीक्षा जैसा हो सकता है। 25 नवंबर को विधानसभा की तीन सीटों पर होने वाला उपचुनाव लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में राजनीतिक हवा के रुख का संकेत देगा। आम चुनाव के बाद यह उपचुनाव राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली बीजेपी की पहली परीक्षा होगी।2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी और वह राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से महज चार सीटें पीछे रह गई थी। बीजेपी राज्य की सत्ता से ममता बनर्जी सरकार को हटाने की कोशिश कर रही है। ये उपचुनाव पश्चिम मिदनापुर जिले में खड़गपुर सदर सीट पर, नदिया के करीमपुर सीट पर और उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज में कराए जाने हैं।इन सीटों पर फिलहाल क्रमश: बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस का कब्जा है। कालियागंज सीट कांग्रेस विधायक पी रॉय के निधन से रिक्त हुई। खड़गपुर सीट से बीजेपी विधायक दिलीप घोष मिदनापुर लोकसभा सीट से विजयी हुए थे। वहीं, करीमपुर से तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा कृष्णानगर लोकसभा सीट से विजयी हुई थीं।ममता ने घर पर की काली पूजा, पत्नी के साथ राज्यपाल भी पहुंचेबीजेपी ने किया तीनों सीट पर जीत का दावाऐसे में अब खाली हुई तीनों सीटों पर उपचुनाव कराए जाने हैं। इन उपचुनावों के राज्य में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों का प्रभाव देखने को मिलेगा। बीजेपी के लिए जहां असली चुनौती लोकसभा चुनाव में मिली अपनी सफलता को दोहराना है जबकि तृणमूल कांग्रेस अपना खोया राजनीतिक आधार वापस हासिल करने की कोशिश करेगी। ये उपचुनाव यह भी तय करेंगे कि विपक्षी कांग्रेस और सीपीएम राज्य की राजनीति में कितने प्रासंगिक रह गये हैं। राज्य में 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं जबकि सीपीएम का खाता तक नहीं खुल सका।उपचुनाव से पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि हम उपचुनाव में सभी तीन सीटों पर जीत हासिल करने के लिये आश्वस्त हैं। पश्चिम बंगाल के लोगों ने राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को शिकस्त देने का मन बना लिया है।दो सीटों पर मुस्लिम वोटरों की बड़ी संख्या
बीजेपी का मानना कि करीमपुर और कालियागंज सीटों पर उपचुनाव पार्टी के लिये एक कठिन परीक्षा साबित होगी। दरअसल, इन दोनों क्षेत्रों में मुसलमानों और दलितों की अच्छी खासी आबादी है। इन दोनों क्षेत्रों के ज्यादातर दलित शरणार्थी हैं। उनके पूर्वज 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से भाग कर भारत में आ गए थे। बीजेपी राज्य की सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने पर विचार कर रही है। वहीं, पिछले तीन महीनों से तृणमूल कांग्रेस के जनसंपर्क अभियान 'दीदी के बोलो' से पार्टी को उम्मीद है कि उसमें नई ऊर्जा का संचार होगा और वह अपना खोया हुआ आधार वापस पा लेगी।पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने अपने नेताओं से कहा- अभिजीत बनर्जी पर ना दें बेतुके बयान
लोग समझ गए बीजेपी सांप्रदायिक ताकत: टीएमसीतृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग पिछले 5-6 महीनों में समझ गये हैं कि बीजेपी सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकत है। उपचुनावों में हम सभी तीनों सीट जीतेंगे क्योंकि राज्य के लोगों का ममता बनर्जी पर विश्वास है। उपचुनावों में कांग्रेस कालियागंज और खड़गपुर सदर सीट से अपना उम्मीदवार उतारेगी, जबकि वाम मोर्चा करीमपुर में अपना उम्मीदवार उतारेगा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश प्रमुख सोमेन मित्रा ने कहा हमें आशा है कि सीपीएम और कांग्रेस के साथ मिल कर उपचुनाव लड़ने से लोग यह महसूस करेंगे कि यह गठबंधन ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है।
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