Skip to main content
BJP से अलग कुछ बड़ा सोच रही शिवसेना? महत्वाकांक्षा को हवा दे रहे कांग्रेस और NCP

शिवसेना सूत्रों ने बताया है कि ठाकरे आज मुंबई में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक करेंगे और वह इसमें राज्य में अगली सरकार के गठन के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं। माना जा रहा है कि दिवाली बाद स्थिति ज्यादा स्पष्ट हो सकेगी।बीजेपी को 2014 से कम सीटें, शिवसेना अब सौदेबाजी के मूड मेंबीजेपी को इस बार 105 सीटें मिलीं, शिवसेना को 56 सीटें मिलींपिछली बार 122 और 63 था आंकड़ा, CM पर फंसा है पेचशिवसेना की इच्छाओं को कांग्रेस और एनसीपी दे रहे हवा
हरियाणा में भले ही बीजेपी ने जेजेपी का समर्थन हासिल कर सत्ता की चाभी अपने हाथों में सुरक्षित कर ली हो पर महाराष्ट्र में बन रहे सियासी समीकरण उसके लिए टेंशन पैदा करने वाले हैं। दरअसल, 2014 की तुलना में बीजेपी की सीटें घटी हैं तो उसकी सहयोगी शिवसेना को भी न सिर्फ मनमाफिक सौदेबाजी करने का मौका मिल गया है बल्कि वह बीजेपी से अलग भी कुछ बड़ा सोचने की स्थिति में आ गई है। जी हां, पिछले 48 घंटों के घटनाक्रम इसी ओर इशारा कर रहे हैं। पहले कांग्रेस के दिग्गज पृथ्वीराज चव्हाण का ऑफर, शिवसेना का बीजेपी को 50-50 के वादे की याद दिलाना, सामना में बीजेपी पर निशाना और फिर संजय राउत के कार्टून ने महाराष्ट्र की सरकार को लेकर कौतुहल पैदा कर दिया है।दरअसल, बीजेपी की सहयोगी शिवसेना मुख्यमंत्री पद का मोह छोड़ नहीं पा रही है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एक तरफ कांग्रेस गैर-बीजेपी सरकार बनाने की संभावनाओं पर काम कर रही है तो वहीं शिवसेना से संकेत मिल रहे हैं कि वह मनचाहा पद न मिलने पर अलग राह चुन सकती है। वैसे भी, चुनाव प्रचार के समय से ही शिवसेना कहती रही है कि एक दिन कोई शिवसैनिक CM की कुर्सी पर होगा। उधर, वर्ली से जीते शिवसेना के आदित्य ठाकरे को उनकी पार्टी के लोग भावी सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट भी करने लगे हैं। प्रचार के समय खबरें थीं कि उन्हें डेप्युटी सीएम का पद ऑफर किया जा सकता है। हालांकि बीजेपी कह रही है कि सीएम पद को लेकर कोई मतभेद नहीं है।चव्हाण के बयान से उपजीं नई संभावनाएंइधर, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) दोनों शिवसेना के साथ समीकरण को हवा दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने नतीजे आने के बाद ही कहा था कि बहुत सारी रोचक संभावनाएं हैं। चव्हाण ने गुरुवार को दिलचस्प संभावना का जिक्र करते हुए कहा था कि शिवसेना, NCP और कांग्रेस गठजोड़ कर बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर देंगी।पढ़ें:पहले ढाई साल CM का पद मांगेगी शिवसेना?संजय राउत के पोस्ट के सियासी मायनेइस बीच, ट्विटर पर शिवसेना सांसद संजय राउत के एक पोस्ट ने सियासी सरगर्मी और तेज कर दी। 2014 की तुलना में बीजेपी की सीटों की संख्या कम आने पर राउत ने तंज कसते हुए एक कार्टून पोस्ट किया। इसमें एक बाघ (शिवसेना का पार्टी चिह्न) घड़ी वाला एक लॉकेट (NCP का चिह्न) अपने गले में पहने हुए है और 'पंजे' में कमल का फूल (बीजेपी का चिह्न) लेकर सूंघ रहा है। राउत ने तस्वीर के साथ लिखा, 'कमाल की व्यंग्य चित्रकारी! बुरा ना मानो दिवाली है।'दरअसल, बीजेपी अपने बूते सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटों से पीछे रह गई है, ऐसे में उद्धव ठाकरे ने कड़ी सौदेबाजी करने की कोशिश करते हुए कहा है कि सत्ता साझेदारी के लिए '50:50 फॉर्म्युले' को लागू करने का वक्त आ गया है। उन्होंने चुनाव नतीजे आने के बाद कहा, 'यह वक्त बीजेपी को उस फॉर्म्युले की याद दिलाने का है जब बीजेपी प्रमुख अमित शाह मेरे घर आए थे... हमने गठबंधन के लिए 50:50 फॉर्म्युले पर फैसला किया था।'
शिवसेना सूत्रों ने बताया है कि ठाकरे आज मुंबई में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक करेंगे और वह इसमें राज्य में अगली सरकार के गठन के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।पढ़ें,महाराष्ट्र: पिछली सीटें बचाने में अव्वल रही BJP
शिवसेना को मिला बीजेपी पर अटैक का मौकाशिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के पहले पन्ने पर शुक्रवार को एक शीर्षक लगाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी के पास महाराष्ट्र में सत्ता की चाबी है। चुनाव में उम्मीद से कमतर प्रदर्शन करने वाली बीजेपी पर निशाना साधते हुए इसमें कहा गया कि राज्य में कोई महाजनादेश नहीं है और यह परिणाम वास्तव में उन लोगों के लिए सबक है, जो सत्ता के घमंड में चूर थे।आपको बता दें कि 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 105 सीटें जीती हैं जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। NCP 54 सीटों पर जबकि कांग्रेस 44 सीटों पर जीती है। 2014 विधानसभा चुनाव की तुलना में शरद पवार की पार्टी NCP की सीटें बढ़ी हैं जबकि बीजेपी की सीटें कम हुई हैं। तब बीजेपी को 122, शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं। ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि बीजेपी-शिवसेना की अब तक की साझेदारी में पहले कौन से फॉर्म्युले पर सरकारें बनी हैं।पढ़ें,महाराष्ट्र में नोटा से पीछे रही आम आदमी पार्टी
1999 में 50-50 पर राजी नहीं थे शिवसेनाइस बार चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को 50-50 फॉर्म्युले की याद दिलाई यानी ढाई साल सीएम का पद उनके पास और ढाई बीजेपी के पास। हालांकि यही फॉर्म्युला 1999 में बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने दिया था जिस पर शिवसेना राजी नहीं हुई थी। ऐसे में गठबंधन सरकार नहीं बनी थी। अबकी बार बीजेपी इस पर सहमत नहीं दिख रही है।1995 में था अलग फॉर्म्युलादूसरा फॉर्म्युला अगर देखें तो 1995 के शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन सरकार में दिखता है। उस समय ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी को CM और कम सीटें जीतने वाली पार्टी को डेप्युटी सीएम का पद मिला था। इस पर बीजेपी राजी हो सकती है।2014 में अलग राहें बाद में जुड़ींहालांकि 2014 विधानसभा चुनाव को देखें तो बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी और बहुमत न होने के बाद भी शिवसेना को सरकार में शामिल होने का न्योता नहीं दिया था बल्कि NCP के बाहरी समर्थन से सरकार बना ली थी। फिर समीकरण बने और कुछ महीने बाद शिवसेना सरकार में शामिल हुई लेकिन उसे अहम मंत्रालय नहीं दिया गया। उधर, केंद्र में मंत्रालय कम मिलने को लेकर भी शिवसेना बीजेपी से अंदरखाने नाराज है। ऐसे में अब शिवसेना को अपनी हसरतें पूरी करने का मौका मिल गया है।CM पद देने के मूड में नहीं बीजेपीमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी सूत्रों का कहना है कि सीएम पद को शेयर करने की शिवसेना की मांग बीजेपी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि उसने सबसे ज्यादा 105 सीटें जीती हैं। इसके साथ ही पार्टी को 10 निर्दलीयों का भी समर्थन हासिल है। अगर शिवसेना ने नई सरकार में पहले ढाई साल के लिए पोस्ट मांगी तो बीजेपी उससे कोई समझौता नहीं करेगी।उधर, गृह मंत्री और बीजेपी चीफ अमित शाह ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को फोन पर विधानसभा चुनावों में गठबंधन की जीत पर बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि वे मिलकर दिवाली के बाद सरकार बनाने पर चर्चा करेंगे। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि उद्धव भले ही 50-50 फॉर्म्युले की बात कर रहे हों पर पार्टी में सीएम पद देने का सवाल ही नहीं है।
Comments
Post a Comment