धोनी पर कॉमेंट करने वाले लोग अपने जूतों के फीते तक नहीं बांध सकते: रवि शास्त्री


कोच रवि शास्त्री ने धोनी के संन्यास पर कहा, 'एमएस धोनी ने देश के लिए काफी कुछ हासिल किया है। उन्हें अपने ग्लब्स कब उतारने चाहिए इसका निर्णय उन्हें ही लेने दें उनके पास इस बात का पर्याप्त अधिकार है कि अपनी रिटारयरमेंट पर वह खुद फैसला लें।'के. श्रीनिवास राव, टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री भारतीय टीम को अगले दो सालों में होने वाले तीन खास मिशन के लिए तैयार करने में जुटे हुए हैं। टीम इंडिया खुद को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और लगातार 2 सालों (2020-2021) में होने वाले दो टी20 वर्ल्ड कप हैं। इन दोनों ही चुनौतियों के लिए टीम इंडिया तैयार दिख रही है और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिए जो पॉइंट्स टेबल का पैमाना तय हुआ है उसमें तो भारतीय टीम दूसरी टीमों से बहुत आगे दिख रही है। इन सब तैयारियों और क्रिकेट के दूसरे पहलुओं पर कोच रवि शास्त्री ने हमारे सहयोगी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' को एक विशेष इंटरव्यू दिया है। शास्त्री ने समेत धोनी के संन्यास की अटकलों समेत खेल के कई पहलुओं पर अपनी बेबाक राय रखी है। धोनी के संन्यास पर बेवजह कॉमेंट करने वाले लोगों पर रवि शास्त्री ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनमें से ज्यादातर लोग तो अपने जूतों के फीते तक नहीं बांध सकते और वे लोग धोनी पर कॉमेंट कर रहे हैं। पेश हैं इस चर्चा के खास अंश...अगले दो साल में दो T20 वर्ल्ड कप- हमारे पास है खिलाड़ियों का अच्छी पूल'अब आएंगे नए चयनकर्ता उनसे मीटिंग कर अपनी योजनाओं पर करेंगे चर्चा15 साल खेलने वाला खिलाड़ी जानता है कब लेना है संन्यास: धोनी पर शास्त्री'धोनी के संन्यास पर लोगों को नहीं देनी चाहिए निजी राय, उन्हें लेने दें फैसला'अब अगले दो सालों के लिए हमारा फोकस टी20 फॉर्मेट की ओर शिफ्ट हो जाएगा। इस बीच टेस्ट (मैच) भी चलते रहेंगे, खासतौर से तब जब नई (वर्ल्ड टेस्ट) चैंपियनशिप की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन हमें बैक-टू-बैक दो वर्ल्ड टी20 टूर्नमेंट्स (2020-2021) भी खेलने हैं। इस फॉर्मेट के लिए हमारे पास खिलाड़ियों की जो टुकड़ी तैयार है। वह शानदार है।हमें इन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है और उन्हें खुद को व्यक्त करने का भरपूर मौका देना है। इस सबके साथ हमारी यह प्राथमिकता होगी कि उनके साथ टीम से अंदर-बाहर करने की प्रक्रिया नहीं अपनाएंगे, जिससे की उनपर दबाव बने। हम युवा प्रतिभावान खिलाड़ियों को भरपूर मौका देना चाहेंगे। एक बार किसी युवा खिलाड़ी को चुना तो फिर उस पर आगे तक भरोसा जताना होगा।'भारत भी खेलेगा डे-नाइट टेस्ट, विराट सहमत'नए सिलेक्टर्स करेंगे टीम इंडिया का चयन...अब शायद नैशनल टीम के चयन के लिए नए सिलेक्टर्स होंगे, तो ऐसे में हमारी योजना होगी कि हम उनसे साथ बैठ कर अपने प्लान पर चर्चा करें और उन्हीं अपनी योजनाओं के बारे में बताएं। पिछली बार जब मैंने आपसे (टाइम्स ऑफ इंडिया) बात की थी, तब भी मैंने कहा था कि टी20 टीम का चयन खिलाड़ियों के कद पर आधारित नहीं होना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारी वनडे टीम के 4 से 5 खिलाड़ी टी20 फॉर्मेट में अपनी जगह बना पाएंगे। बाकी खिलाड़ी हमें खेल की मांग के हिसाब (हॉर्सेज फॉर कोर्सेज नीति) से चुनने होंगे।धोनी के भविष्य को लेकर खूब अटकलबाजियां लगाई जा रही हैं...धोनी पर कॉमेंट करने वालों में से आधे लोग अपने जूतों के फीते तक ठीक से नहीं बांध सकते और वह धोनी पर बयान दे रहे हैं। पहले यह देखिए कि उन्होंने देश के लिए क्या उपलब्धियां हासिल की हैं। लोग इतनी जल्दी में क्यों हैं कि वह अब संन्यास ले लें? शायद उनके पास बात करने के लिए कोई और मुद्दा नहीं है। वह खुद और जो भी उन्हें जानते हैं- सभी को पता है वह जल्दी ही इस खेल से दूर हो जाएंगे। तो फिर इसे जब होना है, तब होने दो न..।पहले सिलेक्शन ट्रायल में सचिन के साथ क्या हुआ था, जानेंधोनी जानते हैं कब उतारने हैं ग्लब्सउनको लेकर खुद से वक्तव्य देना उनके प्रति असम्मान है। भारत के लिए 15 साल खेलने वाले खिलाड़ी को क्या यह नहीं पता होगा कि कब क्या करना सही होगा? जब वह टेस्ट से रिटायर हुए थे तो उन्होंने क्या कहा था? यही कि ऋद्धिमान साहा को 'कीपिंग ग्लब्स' सौंपने का यह सही वक्त था। वह सही थे। जब भी टीम की बात आती है तो वह हमेशा अपने आइडिया और विचार रखने को तैयार रहते हैं। अभी पिछले ही दिनों वह रांची टेस्ट के अंतिम दिन ड्रेसिंग रूम में आए और उन्होंने शाहबाज नदीम से बात की। जो खिलाड़ी अपने घर पर डेब्यू कर रहा है उसके लिए यह क्या शानदार मोटिवेशन होगा? एमएस धोनी ने अपने खेल यह अधिकार पाया है कि वह खुद यह निर्णय लें कि उन्हें कब रिटायर करना है। अब इस बहस का अंत करना चाहिए।सौरभ गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष बने हैं आपकी इस पर क्या राय है...मैं सौरभ को दिल से शुभकामनाएं देता हूं। बतौर अध्यक्ष उनकी नियुक्ति इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिकेट अब सही दिशा में आगे बढ़ रही है। वह हमेशा से ही स्वाभाविक लीडर रहे हैं। जब उनके जैसा कोई व्यक्ति बीसीसीआई का अध्यक्ष बना है, जो चार-पांच साल पहले ही क्रिकेट प्रशासन में एंट्री कर चुका हो, तब यह भारतीय क्रिकेट के लिए हल हाल में जीत-जीत (विन-विन) वाली स्थिति होती है। यह बीसीसीआई के लिए मुश्किल समय है और अपनी कम हुई साख को वापस चमकाने के लिए अभी बहुत काम करना है।


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