दिल्ली में प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। बुधवार सुबह एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400 से ऊपर था। इसे गंभीर श्रेणी का माना जाता है। इस स्थिति में डॉक्टर सलाह देते हैं कि जितना हो सके, घर के अंदर ही रहें। बाहर की सभी ऐक्टिविटी बंद कर दें। प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति की वजह से पिछले कुछ दिनों में सरकारी अस्पतालों में अस्थमा और सांस से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। प्रदूषण से बचने के लिए इन जरूरी बातों का रखें ध्यान...
प्रदूषण गंभीर श्रेणी में है, तो बाहर के काम कुछ दिनों के लिए टाल दें और बाहर जाने से बचें- बाहर जाना है तो पहले पलूशन लेवल चेक कर लें। उसके हिसाब से बाहर का प्लान बनाएं - अच्छी क्वॉलिटी का मास्क और चश्मा जरूर पहनकर जाएं। मास्क पहनने से सांस लेने में आसानी होगी और चश्मा प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन रोकने में मदद करेगा - नाक और आंख को कुछ-कुछ देर बाद पानी से गीला करते रहें। इससे प्रदूषण के कण शरीर में प्रवेश नहीं करेंगे
प्रदूषण की वजह से गले में दर्द महसूस हो रहा हो, तो भाप ले सकते हैं। इससे आराम न आए तो डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाएं- दिन में चार से पांच लीटर पानी जरूर पिएं। प्रदूषण के जो कण शरीर में गए हैं, पानी के साथ वह बाहर निकल जाएंगे - खाने में ज्यादा से ज्यादा विटमिन-सी और ओमेगा-3 वाले पदार्थों का सेवन करें - मॉर्निंग वॉक, साइक्लिंग से परहेज करें - घर की बालकिनी या फिर छत पर एरेका पाम, मनी प्लांट, ऐलोवेरा, इंग्लिश आइवरी जैसे पौधे लगाएं। ये प्रदूषण कम करने में मददगार साबित होते हैं।
वैसे बुजुर्ग जिन्हें अस्थमा या सांस से जुड़ी कुछ बीमारी है, वे अपनी दवा और इन्हेलर रेगुलर लेते रहें। साथ ही निमोनिया वैक्सीनेशन भी जरूर करवाएं। बुजुर्गों को निमोनिया हुआ तो लंबे समय तक वे परेशान हो सकते है। -डॉ़ विजय गुर्जर, असिस्टेंट प्रफेसर, एम्सअच्छी क्वॉलिटी का मास्क प्रदूषण के कण को लंग्स में जाने से रोकता है। अगर आप मास्क नहीं पहनते तो यह कण शरीर में जाकर ब्लड में घुल जाते हैं, जो बेहद खतरनाक साबित होते हैं। आप एन-95 या एन-99 मास्क का इस्तेमाल करें। -डॉ़ विकास मल्होत्रा, ईएनटी डिपार्टमेंट, एलएनजेपी
गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से बचें और साथ ही घर में भी मास्क लगाकर रहें।- गांव-देहात या शहरों में भी कई जगह महिलाएं खाना बनाने के लिए लकड़ियां जलाती हैं और पाइप से फूंक मारती हैं, ऐसा न करें। - घर में ऐसी चीज न बनाएं या न जलाएं, जिससे धुआं हो क्योंकि इससे घर में प्रदूषण फैलता है। - कोशिश करें कि घर में प्रदूषण का स्तर 10 से ज्यादा न हो।
अस्थमा या सांस से संबंधित कोई बीमारी है, तो अपनी दवाएं नियमित लें- डॉक्टर द्वारा दिए गए इन्हेलर (पंप) को बंद न करें। ऐसे मौसम में नियमित इन्हेलर लेते रहें - डायबीटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज दवाओं में लापरवाही न बरतें। समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप करवाते रहें - प्रदूषण के साथ-साथ सर्दियों का भी मौसम है, इसलिए स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। सावधानी बरतें और डॉक्टर के संपर्क में रहें।
प्रदूषण का स्तर 150 से ज्यादा हो, तो बच्चों को बाहर खेलने से रोकें- बच्चों को सुबह बाइक या स्कूटर से स्कूल छोड़ने न जाएं। बस या मेट्रो का इस्तेमाल करें। बाइक या स्कूटर से जाते वक्त प्रदूषण के कण सीधे शरीर में प्रवेश करते हैं- अधिक प्रदूषण होने पर अगर बच्चे की आंख लाल हो जाती है या फिर आंख में जलन होती है तो उसे तुरंत आंखों के डॉक्टर को दिखाएं - बच्चे जब स्कूल से या बाहर कहीं से घर आएं तो उनकी आंखों और नाक को गुनगुने पानी से धोएं - बच्चों की स्किन सॉफ्ट होती है। प्रदूषण होने पर स्किन से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।
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