दिल्ली में लूटपाट पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी, डर से महिलाओं ने मंगलसूत्र तक पहनना छोड़ दिया


राजधानी में झपटमारों और लुटेरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं ने सोने के गहने पहनने बंद कर दिए हैं। खासतौर पर सुहाग की निशानी माने जाने वाले मंगलसूत्र तक को महिलाओं ने पहनना छोड़ दिया है। अदालत ने यह सख्त टिप्पणी लूट के एक मामले में सुनवाई के दौरान की।रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशुतोष कुमार की अदालत ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि हालात यह हैं कि पिछले कुछ समय में झपटमारी-लूट का विरोध करने वाले लोगों को या तो अपनी जान गंवानी पड़ी या फिर गंभीर जख्मों को लंबे समय तक झेलना पड़ा है। ऐसे में दिल्ली के लोगों ने गहनों से परहेज करने में ही भलाई समझी। अदालत ने यह कटाक्ष पिछले महीने मुखर्जी नगर में हुई लूट के एक मामले की सुनवाई करते हुए किया।अदालत ने अखबारों में छप रही खबरों का हवाला देते हुए कहा राजधानी में हर मिनट झपटमारी और लूट एक सामान्य सी घटना हो गई है। जितनी घटनाएं होती हैं उनमें आरोपियों के पकड़े जाने का प्रतिशत बहुत कम हैं। अदालत ने इस पर भी चिंता जाहिर की कि अगर आरोपी पकड़ा भी जाता है तो पीड़ित गवाही देने से बचते हैं। इसकी वजह ऐसे अपराधियों से भविष्य में पीड़ित और उसके परिवार को खतरा होना होता है।यह है मामलामुखर्जी नगर में 7 सितंबर की रात ज्वलेर से 450 ग्राम सोना, पांच लाख रुपये, घड़ी और 4100 यूएस डॉलर लूट लिए गए थे। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अदालत ने एक आरोपी विशाल को जमानत देने से इंकार कर दिया है। मकोका लगाने का प्रावधानदिल्ली पुलिस ने लूट-झपटमारी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर आरोपियों के खिलाफ मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध रोकथाम अधिनियम) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। हाल ही में करोलबाग से गिरफ्तार विक्रम पर मकोका लगाया है।


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