हरियाणा चुनाव परिणाम: जनता ने दुष्यंत चौटाला को सौंप दी चौधरी देवीलाल की विरासत


रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा की जनता ने चौधरी देवीलाल की सियासी विरासत अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला को ही सौंपने का मन बनाकर अभय चौटाला से मुंह मोड़ लिया है। जेपी ने अपनी ताकत का एहसास पहली बार तब कराया जब जींद विधानसभा के लिए इस वर्ष 28 जनवरी को उपचुनाव हुए।हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 11 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं, अभय चौटाला की इंडियन नैशनल लोकदल (आईएनएलडी) को महज दो सीटों पर ही बढ़त हासिल है। देश के उप-प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला के दोनों पुत्रों, अजय और अभय चौटाला के बीच राजनीतिक बंटवारे के बाद यह पहला बड़ा चुनाव है। अब तक के रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा की जनता ने चौधरी देवीलाल की सियासी विरासत अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला को ही सौंपने का मन बनाकर अभय चौटाला से मुंह मोड़ लिया है।हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के लिए खुशखबरीपार्टी ने अब तक 11 सीटों पर बढ़त बना रखी है और वह किंगमेकर की भूमिका में आती दिख रही हैदुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल के पड़पोते हैं जो अपने चाचा अभय चौटाला से मुकाबला कर रहे हैंअभय चौटाला ने आईएनएलडी की कमान थाम रखी है, उनके खाते में सिर्फ 2 सीटें जाती दिख रही हैंदरअसल, पिछले वर्ष दिसंबर में जब आईएनएलडी से निकलकर जेजेपी बनी तो पहले ही लिटमस टेस्ट में हरियाणा की जनता ने दिखा दिया था कि उसका रुख किधर है। जेजेपी ने अपनी ताकत का एहसास पहली बार तब कराया जब जींद विधानसभा के लिए इस वर्ष 28 जनवरी को उपचुनाव हुए। बीजेपी, कांग्रेस, आईएनएलडी के साथ लड़ाई में दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय ने जेजेपी कैंडिडेट के तौर पर 37,631 वोट हासिल किए जबकि 2014 में इस सीट पर जीत हासिल करने वाली आईएनएलडी को महज 3,454 वोटों से संतोष करना पड़ा। 2014 के विधानसभा चुनावों में आईएनएलडीदरअसल, अजय चौटाला की अपने पिता और आईएनएलडी के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला और भाई अभय चौटाला के साथ अनबन हो गई। उसके बाद नवंबर 2018 में अजय चौटाला और हिसार से उनके सांसद पुत्र दुष्यंत चौटाला को आईएनएलडी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उसके अगले ही महीने दिसंबर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन कर लिया। जेजेपी के बनने से आईएनएलडी को तगड़ा झटका लगा और उसके ज्यादातर पदाधिकारियों ने जेजेपी का रुख कर लिया।आईएनएलडी ने हरियाणा पर 2000 से 2004 के बीच आखिरी बार राज किया था और ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने थे। उस वक्त पार्टी को 90 में से 47 सीटें हासिल हुई थीं। 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 9 सीटें मिलीं। 2009 में कुछ राहत मिली और आईएनएलडी ने 31 सीटों पर जीत दर्ज की।उबर पाएंगे अभय चौटाला?आईएनएलडी प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा काटने के लिए तिहाड़ जेल में बंद हैं। चौटाला अगर जेल से छूट भी जाते हैं तो उनसे पार्टी में दोबारा जान फूंकने की उम्मीद नहीं के बराबर है क्योंकि वह 84 वर्ष के हो चुके हैं। अभय चौटाला अच्छे मैनेजर बताए जाते हैं, लेकिन वह अपने पिता की तरह जनता के बीच उतने लोकप्रिय नहीं हैं। इस चुनाव ने यह साबित कर दिया है।


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