इमरान ख़ान को चीन से कश्मीर पर क्या मिला


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान चीन दो दिवसीय दौरा ख़त्म कर इस्लामाबाद लौट आए हैं.इमरान ख़ान चीन तब पहुंचे जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चार दिन बाद ही भारत आने वाले थे. इस दौरान कश्मीर पर दोनों देशों के जो बयान आए वो मोदी-जिनपिंग मुलाक़ात के माहौल के उलट थे.इमरान ख़ान प्रधानमंत्री बनने के बाद से तीन बार चीन जा चुके हैं. इस दौरे में उनकी मुलाक़ात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केचियांग से हुई.इसके अलावा उन्होंने सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं और चीनी उद्यमियों से भी मुलाक़ात की.इस दौरे के बाद दोनों देशों की तरफ़ से जारी किए साझा बयान में बताया गया है कि प्रधानमंत्री ख़ान और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय हितों के साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात हुई.चीन ने पाकिस्तान को अहम रणनीतिक साझेदार बताया है तो पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि वो चीन के रास्ते पर पाकिस्तान को ले जाना चाहते हैं.इस दौरे में इमरान ख़ान बीजिंग में आयोजित हार्टिकल्चर एक्स्पो 2019 के मुख्य अतिथि भी बनाए गए थे.ये भी पढ़ेंकश्मीर पर चीन ने क्यों बदला अपना बयानपाकिस्तान के साथ खड़ा चीनचीन ने कहा है कि वो पाकिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता और सुरक्षा में साथ खड़ा है. दूसरी तरफ़ पाकिस्तान ने वन चाइना पॉलिसी को लेकर प्रतिबद्धता जताई है.पाकिस्तान ने कहा कि वो हॉन्ग कॉन्ग को एक चीन दो सिस्टम तहत इसे चीन का आंतरिक मुद्दा मानता है और दुनिया के सभी देशों को चाहिए कि उस अंतरराष्ट्रीय नियम का पालन करे जिसमें कहा गया है कि कोई किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दख़ल नहीं देगा.पाकिस्तान ने चीन के सामने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भी उठाया. चीन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर उसकी नज़र बनी हुई है.चीन ने कहा कि कश्मीर एक विवादित मुद्दा है और इसका समाधान शांतिपूर्ण तरीक़े से यूएन चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर होना चाहिए.चीन ने कश्मीर मामले में किसी भी तरह की एकतरफ़ा कार्रवाई का विरोध किया और कहा कि इसे हालात और जटिल होंगे.ये भी पढ़ेंदुनिया का 'आर्थिक चमत्कार' कैसे बन गया कभी ग़रीब रहा चीन?चीन ने की नि:स्वार्थ मदद'पाकिस्तान ने कहा कि चाइना-पाकिन इकनॉमिक कॉरिडोर उसके लिए क्रांतिकारी परियोजना है. इमरान ख़ान ने कहा कि सीपीईसी के दूसरे चरण से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.इमरान ख़ान ने पाकिस्तान को चीन से मिलने वाले 'मज़बूत समर्थन और नि:स्वार्थ मदद' के लिए आभार व्यक्त किया.उन्होंने कहा, "चीन ने हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हमेशा समर्थन किया है और बदले में कुछ नहीं मांगा है. चीन ने हमेशा बिना किसी शर्त के हमारी मदद की है."इमरान ख़ान ने ये भी कहा कि चीन ने हर मुश्किल वक़्त में पाकिस्तान का साथ दिया है.इमरान ख़ान ने शी जिनपिंग को कश्मीर के मौजूदा हालात के बारे में बताया और कहा कि पाकिस्तान अब मुश्किल आर्थिक परिस्थितियों से बाहर निकल आया है.ये भी पढ़ेंकम्युनिस्ट चीन ने पूंजीवाद को भी कैसे साध लियाकौन-कौन गया था इमरान ख़ान के साथ?उन्होंने ये भी कहा कि वो चीन से मिलने वाले आर्थिक सहयोग को कभी नहीं भूल पाएंगे.वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इमरान ख़ान की सामाजिक-आर्थिक विकास और जनकेंद्रित तरक्की के लिए तारीफ़ की.चीन के इस दौरे पर इमरान ख़ान के साथ विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी, योजना मंत्री खुसरो बख़्तियार, रेल मंत्री शेख रशीद, वाणिज्य सलाहकार रज़ाक दाउद, विशेष सहायक नदीम बाबर (पेट्रोलियम), बोर्ड ऑफ़ इन्वेस्टमेंट के अध्यक्ष ज़ुबैर गिलानी, सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख जनरल लेफ़्टिनेंट फ़ैज़ हमीद भी थे.ये भी पढ़ेंकम्युनिस्ट शासन की 70वीं सालगिरह मनाता चीन इतिहास भुला पाएगा?चीन के रास्ते पर चलना चाहता है पाकिस्तानइमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान ग़रीबी ख़त्म करने के चीन के अनुभव से सीखना चाहता है और ग़रीबी हटाने के लिए चीन का मॉडल अपनाना चाहता है.उन्होंने पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था और आर्टिफ़िशयल इंटेलिजेंस सुधारने के लिए चीन की मदद भी मांगी. उन्होंने चीनी कंपनियों को पाकिस्तान आने का न्योता भी दिया.इमरान ख़ान ने चीन के दौरे पर अनुच्छेद 370 का भी ज़िक्र किया और कहा कि पाँच अगस्त के भारत के फ़ैसले ने कश्मीर में गंभीर मानवीय संकट पैदा कर दिया है.उन्होंने कहा कि भारत प्रशासित कश्मीर में दो महीनें से ज़्यादा वक़्त से लगे कर्फ़्यू को तुरंत हटाया जाना चाहिए ताकि वहां के लोगों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो सकें.चीनी प्रधानमंत्री ली केचियांग ने इमरान ख़ान को भरोसा दिलाया कि चीनी नेतृत्व पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उसका समर्थन करने पर प्रतिबद्ध है.ये भी पढ़ेंचीन में छह फ़ीसदी से अधिक की विकास दर बनाए रखना आसान नहींली ने ये भी कहा कि चीन और पाकिस्तान मिलकर ऐसी परियोजनाएं ला सकते हैं जो सीपीईसी में शामिल की जा सकें.इमरान ख़ान ने ली केचियान्ग को पाकिस्तान आने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.दोनों नेताओं ने चीन और पाकिस्तान के सम्बन्धों को और मज़बूत बनाने के लिए द्विपक्षीय बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई.चीन के सरकारी प्रसारक सीटीवी के मुताबिक़ शी जिनपिंग ने इमरान ख़ान के दौरे पर कहा, ''चीन और पाकिस्तान की दोस्ती सदाबहार है. इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि दुनिया किस करवट जा रही है. चीन और पाकिस्तान की दोस्ती एक मज़बूत चट्टान की तरह है जिसे तोड़ा नहीं जा सकता.''दोनों देशों के बीच इन सरगर्मियों के बीच चीन के विदेश मंत्री ने बुधवार को घोषणा की कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय दौरे पर भारत रवाना हो रहे हैं.शी जिनपिंग का दौरा तब हो रहा है जब कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में तनाव है. पाकिस्तान उम्मीद करता है कि चीन कश्मीर के मामले में उसके साथ खड़ा रहेगा.ये भी पढ़ेंकश्मीर पर भारत के फ़ैसले से चीन क्यों है नाराज़?भारत ने कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को ख़त्म कर दिया था और पाकिस्तान इस मुद्दे को चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र में लेकर गया था.पाकिस्तान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी असोसिएटेड प्रेस ऑफ़ पाकिस्तान के अनुसार कश्मीर पर चीन की मदद के लिए इमरान ख़ान ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को शु्क्रिया कहा है.चीन अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत कहता है. भारतीय वायु सेना ने रणनीतिक रूप से अहम एक हवाईपट्टी को भी खोला है जिसका इस्तेमाल सैन्य ज़रूरतों के लिए करने की बात कही जा रही है.इसे लेकर भी चीन ने आपत्ति जताई है. इसके साथ ही पिछले हफ़्ते भी चीन और भारत के संबंध विवादों में रहे.एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में भारतीय दूतावास को बीजिंग के एक पब्लिक पार्क में दो अक्टूबर को गांधी जयंती से जुड़े एक कार्यक्रम को मनाने की अनुमति नहीं मिली थी.इसे लेकर भारत में चीन के राजदूत ने बयान जारी कर कहा था कि इसकी अनुमति नहीं देने का आधार तकनीकी था क्योंकि चीन पीपल्स रिपब्लिक की 70वीं वर्षगाँठ मना रहा था.ये भी पढ़ेंट्रेड वॉर से चीन में गईं 30 लाख नौकरियां?पाकिस्तान को ज़ोरदार समर्थन के बाद शी जिनपिंग 11 और 12 अक्टूबर को भारत के दौरे पर आ रहे हैं. चीनी राष्ट्रपति से पीएम मोदी चेन्नै के पास महाबलिपुरम में मिलेंगे.इसके बाद शी जिनपिंग नेपाल जाएंगे. नेपाल में किसी भी चीनी राष्ट्रपति का 26 सालों बाद यह दौरा है. शी जिनपिंग के नेपाल दौरे को काफ़ी अहम माना जा रहा है.भारत और चीन के रिश्ते हाल के दिनों में तनाव भरे रहे हैं. भारत अरुणाचल प्रदेश में पहाड़ों पर युद्धाभ्यास की तैयारी में है लेकिन चीन अब भी अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है.ये भी पढ़ेंलद्दाख़: भारत-चीन की सेना के बीच धक्का मुक्की, अब आगे क्याभारत-चीन के रिश्तों पर पाकिस्तानी छायापाकिस्तान में चीन के राजदूत ने पिछले हफ़्ते बयान दिया था कि चीन कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा.कहा जा रहा है कि इस मामले में भारत चीन से सफ़ाई मांगी थी और चीनी राजदूत के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी.भारत ने कहा कि चीन का रुख़ रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसला है लेकिन चीनी राजदूत का बयान इसके उलट था.भारतीय नीति-निर्माताओं में इमरान ख़ान के चीन दौरे को लेकर काफ़ी हलचल है. इमरान ख़ान कश्मीर को लेकर दुनिया भर से समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से जेएनयू में चीनी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर गीता कोचर ने इमरान ख़ान के पाकिस्तान दौरे को लेकर कहा, ''इमरान के चीन दौरे से शी जिनपिंग और मोदी की मुलाक़ात पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन इसके नतीजे पर असर पड़ सकता है.गीता ने कहा, ''भारत-पाकिस्तान संबंधों में पाकिस्तान हमेशा से एक मुद्दा रहा है. शी और मोदी के बीच इस अनौपचारिक मुलाक़ात में कुछ मुद्दों पर निर्णय हो सकते हैं. ऐसी संभावना है कि कुछ निकलेगा लेकिन इमरान के दौरे से कुछ चीज़ें असहज तो हुई हैं.''ये भी पढ़ेंचीन और भारत का अखाड़ा तो नहीं बन जाएगा मालदीव?(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)


Comments