जानें, कहां सिक्के बने आफत और इनको खपाने के लिए चल रही है क्या योजनाएं


बैंकों के सिक्के नहीं जमा करने से परेशान उद्यमी उसे खपाने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। कुछ लोग एक-एक रुपये के सिक्कों को टेप से चिपकाकर 5 औ 10 रुपये के पैकेट जैसे तैयार कर ले रहे हैं तो कुछ ने इनामी योजनाएं चलाकर पैकेटों में सिक्के रखने शुरू कर दिए हैं। वहीं टेप लगाकर सिक्कों को बंडल का रूप भी दिया जा रहा है। नोटबंदी के समय आरबीआई ने बाजार में सिक्कों का प्रवाह बढ़ा दिया था। यह सिलसिला अभी भी चल रहा है। बैंक एक दिन में एक हजार रुपये से ज्यादा के सिक्के जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कारोबारियों के पास सिक्कों का अंबार लगा हुआ है। इन्हें खपाने के लिए कारोबारी तरह-तरह की जुगत कर रहे हैं। कुछ लोगों ने नमकीन, सोया, बिस्कुट, वाशिंग पाउडर के पैकेट में सिक्के डालकर इनामी योजना ही चला डाली। इसके जरिए भी काफी संख्या में सिक्के खपाए जा रहे हैं। इसके अलावा कारोबारी अपने कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा भी सिक्कों के जरिए दे रहे हैं।सिक्कों के कारण घट गया व्यापार सिरमौर सोप के एमडी तेंजेंद्र सिंह ने कहा कि हम सिक्कों के जरिए व्यापार तो नहीं करते हैं मगर बैंकों के सिक्के नहीं लेने के कारण हमारा व्यापार 15-20 फीसदी घट गया है। वित्त राज्य मंत्री के सामने हम लोगों ने यह समस्या उठाई थी। उन्होंने एक हफ्ते में ही निदान करने का आश्वासन दिया था। लगभग साल भर बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। सिक्कों के रूप में डंप हो रही वर्किंग कैपिटल आईआईए के सुरेश सुंदरानी कहते हैं कि परसाखेड़ा में ब्रेड, टोस्ट, बिस्कुट आदि की तमाम फैक्ट्रियां हैं। इनके यहां सबसे ज्यादा बिक्री सिक्कों के रूप में आती है। बैंक सिक्के जमा नहीं कर रहे हैं। इस कारण सिक्कों के रूप में हमारे कारोबारियों की वर्किंग कैपिटल डंप हो रही है। कारोबारी मजबूरी में सिक्कों को खपाने के लिए अलग-अलग तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं।टेप लगाकर बंडल बना रहे एक-एक रुपये के सिक्के अलग-अलग देने में और भी ज्यादा परेशानी होती है। इन्हें गिनने में भी वक्त लगता है। इसलिए इन सिक्कों को टेप से चिपकाकर पांच और 10 रुपये के पैकेट जैसे बना लिए जाते हैं। इस तरह से भी सिक्कों को खपाया जा रहा है।


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