जम्मू-कश्मीर के 99% इलाकों से हटीं पाबंदियां, पाकिस्तान के नापाक इरादों पर फिरा पानी


राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने शनिवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर में 16 अगस्त से ही पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जाने लगीं और सितंबर का पहला हफ्ता आते-आते ज्यादातर प्रतिबंध हटा लिए गए। उन्होंने कहा कि अब वहां वहां के '99% से भी ज्यादा इलाकों' से प्रतिबंध भी हट चुके हैं।जम्मू-कश्मीर सरकार का कहना है कि वहां 99% से भी ज्यादा इलाके प्रतिबंधमुक्त हो चुके हैंसरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा पार से राज्य में हिंसा और अशांति फैलाने के प्रयासों के मद्देनजर पाबंदियां जरूरी थींउन्होंने कहा कि 16 अगस्त से ही पाबंदियों में ढील देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थीसरकार के मुताबिक, अब ज्यादा-से-ज्यादा 10 थाना क्षेत्रों में कुछ पाबंदियां हैंजम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की ओर से राज्य में हिंसा और अशांति फैलाने की तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया और वहां के '99% से भी ज्यादा इलाकों' से पाबंदियां भी हट चुकी हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आर्टिकल 370 हटने बाद 'बाहर से सहायता प्राप्त आतंकवादियों' को जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने से रोकने के लिए कुछ पाबंदियां लगाने की दरकार थी। उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल लीडर्स समेत हिरासत में लिए गए अन्य लोगों को रिहा करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। उधर, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार से सभी पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं बहाल करने की भी घोषणा कर दी है।16 अगस्त से ही हटने लगीं पाबंदियांउन्होंने कहा, 'इन आतंकवादी हमलों के पीछे मकसद सिर्फ जान-माल की क्षति पहुंचाना नहीं होता है बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों में भय का माहौल बनाना भी होता है जहां कि ज्यादातर आबादी शांतिप्रिय है।' उन्होंने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन राज्य के लोगों को डराने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'इसी आशंका में कुछ पाबंदियां लगाई गईं ताकि बाहर से सहायता प्राप्त आतंकवाद में लोगों की जानें नहीं जा पाएं।' उन्होंने कहा, '2008, 2010 और 2016 में हुई घटनाओं का इतिहास देखते हुए यह अविस्मरणीय है। आतंकवादियों ने व्यापारियों, कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों को सामान्य कामकाज से रोकने के लिए कुछ लोगों की हत्या कर दी और कुछ लोग घायल हो गए।'श्रीनगर: आतंकियों ने किया ग्रेनेड अटैक, 11 घायलसोमवार से पोस्टपेड मोबाइल सर्विस भी होगी शुरूकंसल ने बताया कि सभी पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं 14 अक्टूबर दोपहर 12 बजे से बहाल कर दी जाएंगी। अधिकारियों ने बताया कि सेवाएं शनिवार को बहाल की जानी थीं लेकिन आखिरी वक्त पर कुछ तकनीकी समस्या आने के कारण इसे टाल दिया गया। उपभोक्ताओं को हालांकि घाटी में इंटरनेट सेवाओं के बहाल होने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। राज्य प्रशासन मोबाइल फोन सेवाएं बहाल करने के लिए स्थिति का मुआयना कर रहा है। आंशिक रूप से 17 अगस्त को लैंडलाइन सेवाएं बहाल की गईं थीं और 4 सितंबर को इसे पूरी तरह बहाल कर दिया गया था। इसके साथ ही करीब 50 हजार लैंडलाइन सेवाएं बहाल हो गई थीं।कंसल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 16 अगस्त से ही पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जाने लगीं और सितंबर का पहला हफ्ता आते-आते ज्यादातर प्रतिबंध हटा लिए गए। उन्होंने बताया, 'आठ से 10 थाना क्षेत्रों के अलावा लोगों की आम गतिविधियों पर लगी पाबंदियां बिल्कुल हटाई जा चुकी हैं।' उन्होंने पर्यटकों को भी राज्य में आने का न्योता दिया और कहा कि राज्य में सैलानियों का स्वागत है। सरकार उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने को प्रतिबद्ध है। पर्यटन स्थलों पर इंटरनेट सुविधाएं बहाल की जा रही हैं।रंग लाई कूटनीति, कश्मीर पर चुप रहे चिनफिंग
'पाबंदियों के कारण बचीं जानें'जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि पाबंदियां लगाने से एक भी व्यक्ति आतंकवाद का शिकार नहीं हुआ। उन्होंने कहा पिछले दो महीनों से राज्य के लोगों में डर पैदा करने के लिए आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की सीमा पार की कोशिशें बढ़ गई हैं। कंसल ने कहा, 'सीमा पार से लगातार प्रयास हो रहे हैं कि कैसे आम जनजीवन को बाधित किया जाए। सीमा पार देश से बैर रखने वाली ताकतों द्वारा बड़े आतंकवादी हमलों को अंजाम दिए जाने की तैयारी की सूचनाएं लगातार मिल रही हैं।'उन्होंने कहा, 'इन आतंकवादी हमलों के पीछे मकसद सिर्फ जान-माल की क्षति पहुंचाना नहीं होता है बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों में भय का माहौल बनाना भी होता है जहां कि ज्यादातर आबादी शांतिप्रिय है।' उन्होंने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन राज्य के लोगों को डराने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'इसी आशंका में कुछ पाबंदियां लगाई गईं ताकि बाहर से सहायता प्राप्त आतंकवाद में लोगों की जानें नहीं जा पाएं।' उन्होंने कहा, '2008, 2010 और 2016 में हुई घटनाओं का इतिहास देखते हुए यह अविस्मरणीय है। आतंकवादियों ने व्यापारियों, कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों को सामान्य कामकाज से रोकने के लिए कुछ लोगों की हत्या कर दी और कुछ लोग घायल हो गए।'श्रीनगर: आतंकियों ने किया ग्रेनेड अटैक, 11 घायलसोमवार से पोस्टपेड मोबाइल सर्विस भी होगी शुरूकंसल ने बताया कि सभी पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं 14 अक्टूबर दोपहर 12 बजे से बहाल कर दी जाएंगी। अधिकारियों ने बताया कि सेवाएं शनिवार को बहाल की जानी थीं लेकिन आखिरी वक्त पर कुछ तकनीकी समस्या आने के कारण इसे टाल दिया गया। उपभोक्ताओं को हालांकि घाटी में इंटरनेट सेवाओं के बहाल होने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। राज्य प्रशासन मोबाइल फोन सेवाएं बहाल करने के लिए स्थिति का मुआयना कर रहा है। आंशिक रूप से 17 अगस्त को लैंडलाइन सेवाएं बहाल की गईं थीं और 4 सितंबर को इसे पूरी तरह बहाल कर दिया गया था। इसके साथ ही करीब 50 हजार लैंडलाइन सेवाएं बहाल हो गई थीं।


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