KYC, लॉटरी, सस्ती गाड़ी और कैशबैक के लालच से ठगी, एक ऐप से पूरा मोबाइल हैक


आपने अभी तक अपने पेटीएम का केवाईसी नहीं कराया है। केवाईसी पूरा करने के लिए 8509364796 पर कॉल करें।' नोएडा सेक्टर 16 में एक बड़ी कंपनी के फाइनैंस डिपार्टमेंट में काम करने वाले गणेशन को कुछ ऐसा ही मेसेज मिला। उन्होंने कॉल किया तो क्विक सपोर्ट (टीम व्यूवर) ऐप डाउनलोड कराया गया। ऐप डाउनलोड करते ही मोबाइल पर पूरा कंट्रोल ठग का हो गया और उसने 60 हजार रुपये निकल लिए। वहीं, अन्य मामले में ठग ने खुद को पेटीएम का कर्मचारी बताया और पीड़ित से कहा कि उनका पेटीएम केवाईसी अब तक पेंडिंग है। उसने बैंक खाते से जुड़ीं जानकारियां पूछीं और अपने पेटीएम खाते में 10 रुपये जमा कराने के लिए कहा। जैसे ही उन्होंने 10 रुपये ट्रांजैक्शन किए। उनके बैंक खाते से 4 बार में करीब डेढ़ लाख रुपये निकल गए।

गूगल से कभी न लें नंबर

गूगल से नंबर लेकर कभी भी किसी के कस्टमर केयर पर कॉल न करें। नोएडा पुलिस की साइबर टीम के दरोगा गजेंद्र सिंह ने बताया कि ठग ट्विटर, फेसबुक समेत कई सोशल साइट पर फ्लिपकार्ट, ओला, अमेजन, उबर, पेटीएम, गूगलपे, फोन पे समेत ऐसी कई बड़ी कंपनियों के नाम से फर्जी अकाउंट बनाते हैं। फिर रोज अपना नंबर इनके कस्टमर केयर का बताते हुए डालते रहते हैं। जब भी आप इन कंपनियों के कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर सर्च करते हैं तो जालसाजों का भी सोशल साइट पर डाला गया नंबर दिखने लगता है। कॉल करते ही ये अपने झांसे में ले लेते हैं।

कैशबैक या रिवॉर्ड पॉइंट के लिए कंपनी कभी नहीं करेगी फोन
कई कंपनियां फेस्टिव सीजन में कैशबैक और क्रेडिट कार्ड पर रिवॉर्ड पॉइंट्स देती हैं। ठग भी इसी का झांसा देकर लोगों को फंसाते हैं। एक बात याद रखिए, कोई भी कंपनी आपको फ्री में रुपये कभी नहीं देगी। कैशबैक या रिवॉर्ड पॉइंट के लिए कॉल करके भी नहीं कहेगी। इसके साथ ही लॉटरी लगने और कौन बनेगा करोड़पति के नाम से भी कॉल कर फ्रॉड किया जाता है।

डेटा चुराने के लिए अटैकर और हैकर इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं,
वॉलेट के केवाईसी का डर दिखाकर

गूगल पे, फोन पे, भीम ऐप, पेटीएम, फ्रीचार्ज, ऑक्सीजन वॉलेट ऐप कभी भी फोन पर केवाईसी अपटेड की जानकारी नहीं लेते। ठग इनके नाम पर कॉल करके बैंक खाते, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की जानकारी ले लेते हैं। केवाईसी पूरी नहीं होने पर रकम होल्ड करने की धमकी देते हैं।

खाता या कार्ड ब्लॉक करने की कॉल
बैंक खाता, क्रेडिट या डेबिट कार्ड को ब्लॉक करने की भी धमकी वाली कॉल कर ठगी होती है। ठग बैंक अधिकारी बनकर वेरिफिकेशन के नाम पर आपकी गोपनीय जानकारी जुटाने की कोशिश करते हैं। ध्यान दें, कभी भी कोई बैंक कॉल करके आपसे वेरिफिकेशन नहीं करता।

कार्ड क्लोनिंग का भी खतरा
कई बार पीड़ित की जेब में डेबिट-क्रेडिट कार्ड था और खाते से रुपये निकल गए। इससे बचने के लिए जहां गार्ड हो, उसी एटीएम से रुपये निकालें। कार्ड डालते समय देखें कि कोई दूसरी डिवाइस तो वहां फिट न की गई हो।

टेक्स्ट मेसेज, ईमेल का डर
कई बार बड़ी कंपनियों व बैंकों से मिलती जुलती ईमेल व टेक्स्ट मेसेज से भी ठगी की जाती है। ऐसे किसी मेल या मेसेज का कभी रिप्लाई न करें और उस पर दिए लिंक को भी न खोलें।


ऐप से मोबाइल करते हैं हैक


ठग आपके मोबाइल को हैक कर बैंक, ई-वॉलेट और कार्ड की निजी जानकारी चुराते हैं। केवाईसी, बिल पेमेंट में आपको फंसाकर ऐनी डेस्क या टीम व्यूवर क्विक सपोर्ट ऐप डाउनलोड करा लेते हैं। इसके बाद ठगों को आपका मोबाइल रिमोट पर लेने के लिए कोड की जरूरत पड़ती है। इस कोड को देने के बाद मोबाइल का पूरा एक्सेस उन्हें मिल जाता है।


ठगी होने पर ऐसे वापस मिलेंगे रुपये


किसी तरह का फ्रॉड होने पर तत्काल पुलिस के साथ बैंक को सूचना देनी चाहिए। बैंक के सामने धोखाधड़ी का केस आता है तो उसकी जांच कर 90 दिन में फैसला देने के लिए बाध्यता है। जितनी जल्दी हो सके नजदीकी बैंक शाखा में जाकर डिस्प्यूट फॉर्म भर दें। इसी फॉर्म के आधार पर बैंक जांच कर आपको रुपये लौटाएगा। रुपये देने से बैंक इनकार करे तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वेबसाइट पर शिकायत प्रबंधन प्रणाली (CMS) पर जाकर संबंधित बैंक के खिलाफ वाद दायर कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन हुआ है तो बिल जमा नहीं करने पर ब्याज का बोझ आप पर पड़ सकता है।


सब इंस्पेक्टर गजेंद्र सिंह ने बताया कि साइबर ठग 10 से 15 हजार रुपये सैलरी देकर कार्ड बनवाने वालों को मॉल व मार्केट में छोड़ देते हैं। ये लोग इन जगहों पर कस्टमर का डेटा जुटाते हैं। इसी तरह मॉल और दुकानों में कार्ड से शॉपिंग करने वालों का भी डेटा कई बार बेचा जाता है।


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