लोगों को ग्लैमर दिखता है, हमारे बच्चों की मेहनत नहीं: संजय कपूर


हाल ही में दिए इंटरव्यू में ऐक्टर संजय कपूर ने अपने करियर से लेकर बेटी के डेब्यू तक पर खुलकर बात की। पढ़िए उनसे बातचीत के मुख्य अंश:संजय कपूर एक बार फिर ऐक्टर के तौर पर ऐक्टिव हो गए हैं। 'मिशन मंगल' और 'द जोया फैक्टर' जैसी फिल्मों के अलावा वह ओटीटी प्लैटफॉर्म पर भी दिखे। उनसे हुई करियर समेत कई मुद्दों पर खास बात:
आप बीच में लंबे अरसे तक स्क्रीन से दूर रहे। इसकी क्या वजह रही?स्क्रीन से दूरी की वजह यह रही कि ऐक्टर के तौर पर जो फिल्में मुझे मिल रही थीं, वह मुझे पसंद नहीं आ रही थीं। मैं किसी भ्रम में नहीं था कि मुझे लीड रोल मिलेगा, लेकिन मैं सिर्फ फिल्म करने के लिए फिल्म नहीं करना चाहता था। मैं अपने को अपनी आंखों में नहीं गिराना चाहता था कि मैं सिर्फ पैसे के लिए कर रहा हूं। मैं प्रॉडक्शन में चला गया। मैंने 'तेवर' बनाई। इस बीच, 'लक बाय चांस' या 'शानदार' जैसी फिल्में आईं, तो कर लीं। एक बड़ा टीवी शो 'दिल संभल जा जरा' किया। बाकी, हम जैसे ऐक्टर्स के लिए डिजिटल बेस्ड माध्यम बनकर उभरा है। उस पर मैं लीड के तौर पर एक फिल्म 'बेढ़ब' कर रहा हूं। इससे बैलेंस बना है कि अगर 'द जोया फैक्टर' या 'मिशन मंगल' में सपॉर्टिंग रोल है, तो वेब पर लीड रोल भी कर रहा हूं।हां, फिल्म में कई ऐक्टर्स थे। विद्या मेन रोल में थीं। अक्षय भी थे, लेकिन हम बाकी ऐक्टर्स के भी स्पेशल मोमेंट्स थे। हम सबका एक अहम रोल था। जब मुझे इसके लिए फोन आया था, तो बताया गया था कि तुम्हारी स्टोरी मिशन का हिस्सा नहीं है, लेकिन विद्या की सोच बदलने में उसका अहम रोल होता है। यह एक इंपॉर्टेंट रोल था, इसलिए मैंने किया। इस स्टेज पर मैं किसी मुगालते में नहीं हूं कि मुझे मेन रोल ही मिलेगा या मैं पूरी फिल्म के हर फ्रेम में रहूंगा। मैं सिर्फ अच्छी फिल्मों का हिस्सा बनना चाहता हूं। मिशन मंगल में ऐसा ही था। 'द जोया फैक्टर' में भी ऐसा ही था।'द जोया फैक्टर' में आपने सोनम के साथ काम किया। 'तेवर' में अर्जुन थे। एक ऐक्टर के तौर पर आप इन्हें कैसे देखते हैं?अर्जुन और सोनम तो अब खुद सीनियर हो गए हैं, लेकिन आज की यह पीढ़ी बहुत तैयारी के साथ आती है। वह सब जानती-समझती है। जब मैंने अपना करियर शुरू किया था, तब मेरी पहली पिक्चर लगी नहीं थी, पर मैं पांच फिल्मों में एक साथ काम कर रहा था। मैं 'प्रेम', 'राजा', 'कर्तव्य', 'बेकाबू', 'छुपा रुस्तम', 'हम तुम और वो' (जो बनी ही नहीं), में लगातार काम कर रहा था, तो 'प्रेम' नहीं चली, पर 'राजा' ब्लॉकबस्टर हो गई। आज सभी ऐक्टर्स एक टाइम में एक फिल्म कर रहे हैं, तो अब उनके पास यह दिखाने का मौका नहीं है कि इसमें अच्छा नहीं किया, तो उसमें कर दिया। अब टैलंट नहीं दिखाया, तो सर्वाइव करना ही मुश्किल है।जहान तो बहुत छोटा है। उसने एक रैंप वॉक किया था, क्योंकि कुणाल रावल (डिजाइनर) सोनम और अर्जुन का बहुत ही करीबी दोस्त है। जहान के लिए भी वह बड़े भाई जैसे हैं, तो जहान उनके लिए रैंप वॉक करके खुश था। लेकिन हां, शनाया ऐक्टिंग में आने के लिए पिछले तीन साल से ट्रेनिंग कर रही हैं। वह स्कूल से आती थी, फिर बास्केटबॉल के लिए जाती थी, फिर डांस क्लास के लिए जाती थी, शनिवार-रविवार को डिक्शन क्लासेज करती थी, तो वह तीन साल से इसके लिए मेहनत कर रही है, लेकिन कल को उसकी फिल्म आती है, तो लोग कहेंगे कि अरे, देखो पिक्चर मिल गई उसको, लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि पिछले तीन साल में उसने कितनी मेहनत की है।हां, अब नेपोटिजम एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?ये किसी ने एक बार कह दिया और एक नई चीज थी, तो सब उसके बारे में बात कर रहे हैं। मैं नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन इतने बड़े-बड़े ऐक्टर या प्रड्यूसर्स के बच्चे हैं, जिनको एक फिल्म मिली या वह भी नहीं मिली। कोई किसी पर ऐसे ही पैसे नहीं लगाता। अगर इतना ही नेपोटिजम होता, तो जब मैं पांच-छह साल काम नहीं कर रहा था, तो मेरे साथ किसी ने फिल्म क्यों नहीं बनाई? मेरे तो घर पर तीन प्रॉडक्शन हाउस थे। अगर नेपोटिजम ही होता, तो बोनी कपूर को 'नो एंट्री' में मुझे लेना चाहिए था। उनके पास फिल्म बेचने के लिए सलमान खान था, अनिल कपूर था, तो फरदीन की जगह मुझे ले लेता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि मैं उस रोल में फिट नहीं था। वहीं, जब 'लस्ट स्टोरीज' में मुझे लिया गया, तो इसलिए नहीं कि मैं किसी का भाई हूं, इसलिए लिया क्योंकि मैं उस रोल में फिट था।


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