महाबलीपुरम में महामुलाकात: मजदूर से राष्ट्रपति का सफर तय कर चुके हैं शी चिनफिंग


चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग और पीएम मोदी वुहान के बाद महाबलिपुरम में दूसरी अनौपचारिक बैठक करने जा रहे हैं। दोनों के बीच व्यापार, आसियान देशों के साथ प्रस्तावित फ्री ट्रेड, सीमा विवाद और 5 जी पर बात हो सकती है।दो सबसे बडे़ देशों चीन और भारत के शीर्ष नेता राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज चर्चित मुलाकाततमिलनाडु के महाबलिपुरम में हो रही इस बैठक पर भारत और चीन ही नहीं पाकिस्‍तान समेत पूरी दुनिया की निगाहें लगी हैंसाल 2013 में राष्‍ट्रपति बनने से पहले शी चिनफिंग वर्ष 2008 से लेकर 2013 तक चीन के उपराष्‍ट्रपति रह चुके हैंआबादी के लिहाज से विश्‍व के दो सबसे बडे़ देशों चीन और भारत के शीर्ष नेता राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मंदिरों और स्‍मारकों के शहर महाबलिपुरम में अनौपचारिक बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक पर भारत और चीन ही नहीं पाकिस्‍तान समेत पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं। वार्ता की मेज पर जहां एक तरफ चाय बेचने से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर करने वाले पीएम मोदी हैं तो दूसरी ओर करीब 6 साल तक मजदूरी करने वाले शी चिनफिंग हैं। आइए जानते हैं कि कौन हैं शी चिनफिंग....वर्ष 2018 में अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्‍स में सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में शीर्ष स्‍थान पाने वाले शी चिनफिंग का जन्‍म 15 जून, 1953 को चीन के शांक्‍सी काउंटी में हुआ था। वर्ष 2013 में राष्‍ट्रपति बनने से पहले शी चिनफिंग वर्ष 2008 से लेकर 2013 तक चीन के उपराष्‍ट्रपति रह चुके हैं। इसके अलावा शी चिनफिंग चीन की कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी के महासचिव रह चुके हैं। चीन की संसद ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए दो कार्यकाल की निर्धारित सीमा को खत्म कर दिया है, इसके बाद वर्तमान राष्ट्रपति शी चिनफिंग के आजीवन राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया।अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉक्‍टर रहीस सिंहएनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहते हैं, 'वर्ष 1949 में चीन में सांस्‍कृतिक क्रांति के बाद शी चिनफिंग पांचवीं पीढ़ी के नेता माने जाते हैं। शी चिनफिंग के पिता शी झोंगक्‍शून चीन के डेप्‍युटी पीएम रह चुके हैं। हालांकि बाद में उन्‍हें पार्टी से निकाल दिया गया। इसका खामियाजा शी चिनफिंग को आजीवन उठाना पड़ा। शी चिनफिंग को राष्‍ट्रपति बनने तक यह साबित करना पड़ा कि वह कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी के प्रति वफादार हैं। इसके लिए उन्‍हें खेतों में 6 साल तक मजदूरी भी करनी पड़ी।'डॉक्‍टर सिंह ने कहा, 'माओ के बाद पहले शी चिनफिंग पहले ऐसा नेता हैं जो मीन से उठकर राष्‍ट्रपति बने। इनका व्‍यक्तित्‍व बहुत परिपक्‍व और व्‍यवहार बहुत शालीन है। इनके कार्यकाल में भी 'चीनी विशेषता के साथ समाजवाद' की विचारधारा आई। पीएम मोदी अब जहां 'न्‍यू इंडिया' की बात कर रहे हैं, वहीं शी चिनफिंग ने 'न्‍यू चाइना' बनाया जिसका तीन क्षेत्रों-सेना, संस्‍कृति और अर्थव्‍यवस्‍था में दुनिया में प्रमुख स्‍थान होगा। शी चिनफिंग ने इसके लिए वन बेल्‍ट, वन रोड परियोजना शुरू की है।'उन्‍होंने कहा, '1949 की क्रांति के बाद जब माओत्‍से तुंग आए तो उन्‍होंने सांस्‍कृतिक क्रांति की शुरुआत की। डेंग जियाओपिंग जब राष्‍ट्रपति ने बने तो उन्‍होंने 1979 में चीन को अर्थव्‍यस्‍था के क्षेत्र में मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। इसके बाद हू जिंताओं ने चीन की कमान संभाली और देश में सैन्‍य क्रांति को बढ़ावा दिया। चीन की विशाल सेना का अपडेशन हू जिंताओ के समय में हुआ। यह चौथा चरण है जिसमें चीन एक साथ आर्मी, अर्थव्‍यवस्‍था और संस्‍कृति के क्षेत्र में नंबर एक बनने के अभियान में लगा है।डॉक्‍टर सिंह ने कहा, 'आज पूरी दुनिया में चाइनीज खाने, भाषा और संस्‍कृति का प्रसार हो गया है। चीन एशिया में पहला ऐसा देश है जो बड़े पैमाने पर हथियारों का निर्यात करता है। पाकिस्‍तान, श्रीलंका, बांग्‍लादेश समेत कई देश चीन से हथियार खरीद रहे हैं। चीन के वन बेल्‍ट वन रोड में ज्‍यादातर यूरोपीय देश आ गए हैं। यह 'न्‍यू चीन' शी चिनफिंग का आईडिया है जिस पर पूरा देश आगे बढ़ रहा है।'चीन में विरोधियों का बढ़ा दमनशी चिनफिंग को इतिहास और दर्शनशास्‍त्र से काफी लगाव है। शी चिनफिंग कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं और पार्टी के प्रति भरोसे को उन्‍हें हमेशा साबित करना पड़ा है। शी चिनफिंग शराब नहीं पीते और अपना पूरा समय काम को देते हैं। शी हर क्षेत्र में चीन को नंबर वन बनाने के मिशन पर चल रहे हैं। शी चिनफिंग को किताबे पढ़ना पसंद है। वह रूसी साहित्‍य बड़े चाव से पढ़ते हैं। शी चिनफिंग ने केमिकल इंजिनियरिंग की है और कानून में मास्‍टर्स की डिग्री ली है। चीनी राष्‍ट्रपति की पत्‍नी पेंग लियुआन लोक गायिका हैं। शी चिनपिंग 14 मार्च 2013 से चीन के राष्‍ट्रपति हैं। शी चिनफिंग के कार्यकाल में उइगर मुस्लिमों और हॉन्‍ग कॉन्‍ग में विरोधियों का हिंसात्‍मक दमन बढ़ गया है।


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