महाराष्ट्र चुनाव: मीरा-भाईंदर सीट पर बागी 'द्रौपदी' ने बीजेपी के नरेंद्र मेहता को हराया, वोटर्स को बताया 'श्रीकृष्ण'


मीरा-भाईंदर की स्वतंत्र उम्मीदवार गीता जैन ने बीजेपी के नरेंद्र मेहता को 15 हजार मतों से हरा दिया। गीता ने चुनाव से पहले बीजेपी से बगावत कर पर्चा भरा था।महाराष्ट्र चुनाव में मीरा-भाईंदर सीट से बीजेपी की बागी गीता जैन ने बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को 15 हजार वोटों से हरायायहां स्थानीय स्तर के बीजेपी नेता गीता को टिकट देने के पक्ष में थे, जबकि बीजेपी ने नरेंद्र मेहता को अपना उम्मीदवार बनाया थाविधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद गीता जैन ने कहा कि मेरे समर्थक 'श्रीकृष्ण' बन गए और उन्होंने मुझे बचा लियामहाराष्ट्र चुनाव से पहले बीजेपी से बगावत कर मीरा-भाईंदर से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाली गीता जैन ने गुरुवार को आए नतीजों में बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को लगभग 15 हजार वोटों से हरा दिया। इसे भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि स्थानीय स्तर के बीजेपी नेता गीता को टिकट देने के पक्ष में थे, जबकि बीजेपी ने सिटिंग एमएलए नरेंद्र मेहता को मीरा-भाईंदर से अपना उम्मीदवार बनाया था।समर्थकों को बताया 'श्रीकृष्ण'गुरुवार को आए अंतिम नतीजों में बीजेपी से जीतने के बाद गीता ने कहा कि लोगों ने उन पर अपना विश्वास दोहराया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस युद्ध में वह अकेली 'द्रौपदी' नहीं थीं, बल्कि पूरे मीरा-भाईंदर के लोगों के साथ शासकों ने बुरा बर्ताव किया है। गीता ने कहा, 'मेरे समर्थक 'श्रीकृष्ण' बन गए और उन्होंने मुझे बचा लिया।' गौरतलब है कि मेहता और गीता जैन के बीच मतभेद दो साल पहले उभरे थे, जब मेहता मीरा-भाईंदर के मेयर थे। उन्होंने अपनी जगह अपनी भाभी डिंपल मेहता को दे दी थी।मेहता के इस निर्णय के बाद लोगों के मन में यह धारणा बनी कि गीता जैन के साथ पार्टी ने गलत किया है। इसी के बाद से स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई थी। वहीं, दिवंगत नेता बाल ठाकरे के मेमोरियल से जुड़े एक मुद्दे को लेकर उन्हें शिवसेना के कार्यकर्ताओं का भी भरपूर सहयोग मिला। शुक्रवार को आए अंतिम नतीजों में गीता ने मेहता को 15 हजार वोटों से हरा दिया और मीरा-भाईंदर की पहली महिला विधायक बन गईं।
गीता का बीजेपी से लगाव कम नहींपरिणाम आने के बाद हुए विश्लेषणों में बताया जा रहा है कि मेहता के पारंपरिक गुजराती, मारवाड़ी और उत्तर भारतीय मतदाताओं ने भी उनका साथ नहीं दिया।उधर, निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने और जीतने वाली गीता का अभी भी बीजेपी से लगाव कम नहीं हुआ है। उन्होंने शुक्रवार को अपनी जीत पर लोगों को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए पदयात्रा निकाली। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह 'कमल' के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वह इसके आसपास जमा हो गए कीचड़ को साफ करना चाहती हैं।


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