महाराष्ट्र चुनाव रिजल्ट: 79 की उम्र में शरद पवार ने साबित कर दिया- न वह बुजुर्ग हैं न थके हैं


शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से साबित कर दिया कि वह 79 के जरूर हो गए हैं लेकिन वह अभी थके नहीं हैं। उनकी राजनीति अभी खत्म नहीं हुई है। अभी भी अकेले ही चुनाव की कमान संभालते हुए वह बीजेपी की रणनीति का जमीन पर उतरकर जवाब देने का माद्दा रखते हैं।पिछले हफ्ते 19 अक्टूबर को एनसीपी मुखिया शरद पवार की महाराष्ट्र के सतारा में रैली होनी थी। हालांकि मूसलाधार बारिश की वजह से पार्टी के नेता इस रैली को रद्द करने का विचार कर रहे थे लेकिन तभी बादलों की गड़गड़ाहट और बारिश से घबराए बिना शरद पवार मंच पर चढ़ गए और दहाड़ते हुए बोले- यह एनसीपी के लिए वरुण राजा का आशीर्वाद है। इससे राज्य में चमत्कार होगा और यह 21 अक्टूबर से शुरू होगा। मुझे पूरा यकीन है। 79 साल के शरद पवार की मेहनत रंग लाई और सतारा लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को शिकस्त मिली। शरद पवार आज सतारा का दौरा कर जनता का धन्यवाद करेंगे।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुमत भले ही बीजेपी-शिवसेना को मिला हो लेकिन असली हीरो शरद पवार साबित हुएशरद पवार की एनसीपी ने 54 सीटें जीतीं, शिवसेना ने भी माना कि शरद पवार ने चुनाव में सबसे लंबी छलांग मारी है79 की उम्र में शरद पवार ने अकेले ही चुनाव प्रचार की कमान संभाली और जमीन पर उतरकर रणनीति का जवाब दियामहाराष्ट्र चुनाव में बहुमत भले ही बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को मिला हो लेकिन शरद पवार चुनाव के असली हीरो के रूप में सामने आए हैं। जब शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोंसले ने चुनाव से कुछ समय पहले ही सांसद पद से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन की थी तो कई लोगों ने माना था कि यह बीजेपी का मराठाफिकेशन है और पवार के लिए यह एक बड़ा झटका है।महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने यहां तक दावा कर दिया था कि चुनाव के बाद महाराष्ट्र में पवार की राजनीति के युग का अंत हो जाएगा। एनसीपी की सहयोगी कांग्रेस भी महाराष्ट्र चुनाव से पहले लगभग हार मान ली थी। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने यहां एक भी रैली नहीं की। राहुल गांधी ने सिर्फ 5 रैलियां की।ऐसे में मराठा टाइगर कहे जाने वाले शरद पवार योद्धा की तरह नजर आए। उन्होंने अकेले चुनाव प्रचार की कमान संभाली और बीजेपी-शिवसेना पर ताबड़तोड़ हमले किए। केंद्रीय एजेंसियों के छापे और परिवार की अंदरूनी लड़ाई जैसी मुश्किलों का सामना करते हुए पवार ने न सिर्फ अपनी पार्टी में ऑक्सिजन भरने का काम किया बल्कि देश की सभी क्षेत्रीय दलों को संदेश दिया है।आखिर शिवसेना भी मानने को मजबूर हुई इस चुनाव में सबसे बड़ी छलांग एनसीपी ने लगाई। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एडिटोरियल में लिखा है कि यह महाजनादेश नहीं, जनादेश है और एनसीपी ने सबसे बड़ी छलांग लगाई है।पवार ने महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से साबित कर दिया कि वह 79 के जरूर हो गए हैं लेकिन वह अभी थके नहीं हैं। उनकी राजनीति अभी खत्म नहीं हुई है। अभी भी अकेले ही चुनाव की कमान संभालते हुए वह बीजेपी की रणनीति का जमीन पर उतरकर जवाब देने का माद्दा रखते हैं। शरद पवार की बढ़ी हुई ताकत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उनकी पारिवारिक सीट बारामती से उनके भतीजे अजीत पवार 1.65 लाख वोटों से अधिक रेकॉर्ड अंतर से जीते हैं।शरद पवार ने ऐन मौके पर पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वालों को भी गलत साबित कर दिया। उन्होंने उदयनराजे पर तंज कसते हुए कहा, 'सतारा में छत्रपति शिवाजी महाराज के सिंहासन लिए लोगों के मन में बड़ा सम्मान है। लेकिन अगर कोई सिंहासन की गरिमा का सम्मान करने में विफल रहता है, तो वही लोग अलग तरह से सोचते हैं।'पारिवारिक कलह से जूझते हुए बने हीरोएक तरफ चुनाव से पहले एनसीपी को सबसे कमजोर बताने के तमाम दावे हो रहे थे। दूसरी ओर, शरद पवार परिवार की अंदरूनी कलह की भी जंग लड़ रहे थे। लोकसभा चुनाव में शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के बेटे पार्थ के हारने के बाद परिवार में कलह की खबरें आई थीं। एक ओर पवार की बेटी सुप्रिया सुले खराब सेहत के चलते प्रचार से दूर रहीं वहीं अजीत भी शुरुआती चरण में चुनाव प्रचार से नदारद रहे। यही नहीं अजीत पवार ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था और अपने बेटे को भी राजनीति से दूर रहने को कहा था। इससे शरद पवार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।फैमिली फ्रंट से देखें तो इस चुनाव मे पवार की तीसरी पीढ़ी ने चुनाव में मजबूती के साथ एंट्री मारी है, जहां शरद पवार के पोते रोहित पवार कर्जत जामखेड सीट से जीते वहीं अजीत पवार महाराष्ट्र में सबसे बड़े अंतर 1 लाख 65 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की। भले ही राज्य में सरकार बनाने के लिए आंकड़े पवार के पक्ष में न आएं हो जैसा उन्होंने 1978 में किया था लेकिन गुरुवार के नतीजों में वह सबसे बड़े हीरो बनकर उभरे हैं।शरद पवार ने कहा, 'दिवाली के बाद मैं आगे आते हुए सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ संपर्क करूंगा और एक रणनीति तय करने पर विचार होगा जिससे हम अगली बार और भी मजबूत बनकर उभरे। मैंने प्रदेश भर में चुनाव करने की योजना बनाई है और युवा नेताओं को तैयार करूंगा।'छात्रनेता से शुरू की थी राजनीतिशरद पवार ने राजनीति की शुरुआत छात्रनेता के तौर पर की थी। बेहद कम समय में उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी जगह बना ली थी। 27 साल की उम्र में वह पहली बार बारामती विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1978 में सिर्फ 38 साल की उम्र में वह महाराष्ट्र के सीएम भी बन गए। वह अब तक चार बार महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं।


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