महाराष्‍ट्र, हरियाणा में आर्टिकल 370, सावरकर के जरिए मराठों और जाटों को साधने में लगी बीजेपी


हरियाणा में करीब 27 फीसद जाट वोटर हैं। पार्टी में टूट के बाद आईएनएलडी कमजोर हो गई है लेकिन बीजेपी को डर है कि जाट हुड्डा के प्रभाव के कारण कांग्रेस के साथ जा सकते हैं।महाराष्‍ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनावी रण को जीतने में लगी बीजेपी ने दोनों ही राज्‍यों में जाटों और मराठों को लुभाने के लिए राष्‍ट्रवाद का कार्ड खेल दिया है। बीजेपी सावरकर और जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 को खत्‍म करने के मुद्दे को लगातार अपनी चुनावी रैलियों में उठा रही है। यही नहीं उसने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इन दोनों को काफी तरजीह दी है।महाराष्‍ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनावी रण को जीतने के लिए बीजेपी ने बनाई खास रणनीतिदोनों ही राज्‍यों में जाटों और मराठों को लुभाने के लिए बीजेपी ने राष्‍ट्रवाद का कार्ड खेल दिया हैबीजेपी सावरकर और आर्टिकल 370 खत्‍म करने के मुद्दे को लगातार चुनावी रैलियों में उठा रही हैऐसी आम मान्‍यता है कि विकास और सुशासन के मुद्दे पर सत्‍तारूढ़ पार्टी दोबारा चुनाव नहीं जीत सकती है और चुनाव में जाति तथा स्‍थानीय मुद्दे हावी हो जाते हैं। राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक इसी को देखते हुए भगवा पार्टी ने राष्‍ट्रवाद का कार्ड खेला है। महाराष्‍ट्र के चुनावी घोषणा पत्र में बीजेपी ने वादा किया कि यदि उनकी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्‍ता में आती है तो वीर सावरकर को रत रत्‍न दिया जाएगा।आर्थिक मंदी के बीच राष्‍ट्रवाद का सहाराबीजेपी के इस ऐलान के बाद कई लोग आश्‍चर्य में आ गए। नियमों के मुताबिक प्रधानमंत्री भारत रत्‍न विजेता का नाम राष्‍ट्रपति के पास भेजते हैं और उसका राज्‍य सरकार से कोई लेना-देना नहीं होता है। लोकसभा चुनाव में शानदार जीत और विपक्ष में चल रही उथल-पुथल के बीच बीजेपी के पास अपनी सरकार की उपलब्धियों के बखान का अच्‍छा आधार मिल गया है। लेकिन आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की उच्‍च दर की वजह से पार्टी को तेजी से राष्‍ट्रवाद का सहारा लेना पड़ा है।ढ़ें: सावरकर को भारत रत्न देने के वादे पर दिग्विजय का तंजमहाराष्‍ट्र और हरियाणा में बीजेपी सरकारों को जॉब कोटा को लेकर मराठों और जाटों के विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है। बीजेपी सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी जाट और मराठा इस बात बंटे हुए हैं कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया जाए या नहीं। महाराष्‍ट्र में मराठा वोटर एनसीपी नेता शरद पवार और कांग्रेस के करीबी माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पवार ने मराठा आरक्षण के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था। इसी तरह से हरियाणा में जाट मध्‍य हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा का समर्थन कर सकते हैं वहीं सिरसा और फतेहाबाद इलाके में जाट जेजेपी या आईएनएलडी के साथ जा सकते हैं।आर्टिकल 370 को खत्‍म किए जाने को मुद्दा बनायाइस चुनौती से निपटने के लिए बीजेपी ने आर्टिकल 370 को खत्‍म किए जाने को मुद्दा बनाया है। बता दें कि भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों में बड़ी संख्‍या में जवान मराठा और जाट समुदाय से आते हैं। इसी को देखते हुए मराठा लाइट इन्‍फैंट्री और जाट रेजिमेंट बनाई गई है। उधर, कुनबी समेत मराठा महाराष्‍ट्र के कुल मतदाताओं का 31 प्रतिशत हैं। इसके अलावा सेना में बड़ी संख्‍या में प्रतिनिधित्‍व रखने वाले महार एससी समुदाय से आते हैं और कुल मतदाताओं में 10 फीसदी हैं। बीजेपी राष्‍ट्रवाद के सहारे इन मतदाताओं को साधने में लगी है।हरियाणा में करीब 27 फीसद जाट वोटर हैं। पार्टी में टूट के बाद आईएनएलडी कमजोर हो गई है लेकिन बीजेपी को डर है कि जाट हुड्डा के प्रभाव के कारण कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। कांग्रेस और आईएनएलडी के बीच जाट वोटों का बंटवारा बीजेपी की मदद करेगा। इसीलिए किसी को इस बात पर आश्‍चर्य नहीं हो रहा है कि सबसे ज्‍यादा आर्टिकल 370 पर जोर दे रहे हैं।


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