मजदूर के बेटे ने बीजेपी का विधायक बनने के बाद कहा- अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा


महाराष्ट्र की मालशिरस सीट से विजयी विधायक राम सतपुते के पिता एक चीनी मिल में मजदूरी करते रहे हैं। वहीं राम लंबे वक्त तक एबीवीपी और युवा मोर्चा के लिए काम करते रहे हैं।भारतीय जनता पार्टी की ओर से महाराष्ट्र चुनाव में जीत हासिल करने वाले राम सतपुते ने शनिवार को मीडिया से बातचीत की। एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले सतपुते ने अपनी जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ये मेरे लिए खुशी की बात है और यह वैसा ही है जैसे अभी एक फिल्म आई थी जिसमें कहा गया था कि 'राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, जो असली हकदार होगा वही राजा बनेगा।'बता दें कि मालशिरस के विधायक बने राम के पिता विट्ठल सतपुते चीनी मिल में मजदूरी करते थे। लंबे समय से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में सक्रिय रहे सतपुते को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है।राम ने कहा कि मैं दो-तीन साल से वहां काम कर रहा था। मेरे माता-पिता जी को कुछ पता नहीं था कि एमएलए क्या होता है, लेकिन उनको लगता था कि लोग आते हैं और मिलते हैं तो लड़का कुछ अच्छा ही कर रहा होगा। मेरे जैसे एक गरीब परिवार और पिछड़े समाज से आए कार्यकर्ता को सीएम महोदय और आठवले साहब ने जो क्षमता देने का काम किया है, वो मैं कभी नहीं भूल पाउंगा। देखें पूरा बयान:इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सतपुते अष्टी इलाके के निवासी हैं। पढ़ाई के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय सतपुते को एबीवीपी ने प्रदेश मंत्री बनाया था। बाद में भारतीय जनता युवा मोर्चा में उन्होंने प्रदेश उपाध्यक्ष का पद भी संभाला। छात्रहित के लिए एबीवीपी द्वारा किए गए कई प्रदर्शनों और आंदोलनों में भी राम सतपुते ने अहम भूमिका निभाई है।
आठवले ने खुशी से स्वीकार किया था नामबता दें कि मालशिरस सीट रामदास आठवले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के हिस्से की थी। राम सतपुते के नाम पर आरपीआई ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई है। यहां तक कि उसने राम सतपुते की उम्मीदवारी को खुशी-खुशी स्वीकार किया है।


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