मोदी-शी बैठक से पहले कश्मीर मुद्दे पर चीन के यू-टर्न को लेकर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, कांग्रेस बोली- हॉन्ग कॉन्ग से घेरो


पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच शुक्रवार को तमिलनाडु के ममल्लापुरम में द्विपक्षीय बैठक होगी। इस बैठक में दोनों देश आतंक और व्यापार पर भी बात करेंगे। भारत इस दौरान कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाएगा।मल्लापुरम में मोदी-शी की अनौपचारिक शिखर बैठक से 48 घंटे पहले बुधवार को कश्मीर के मुद्दे पर भारत और चीन के बीच बयानों में तीखापन देखा गया। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद पेइचिंग के उस बयान पर नई दिल्ली ने तीखी प्रतिक्रिया दी जिसमें कश्मीर मसले को 'संबंधित' यूएन चार्टर के मुताबिक सुलझाने की बात कही गई थी। भारत ने दो टूक कहा कि वह अपने आंतरिक मामलों में इस तरह की टिप्पणी का स्वागत नहीं करता है। इस बीच मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने सरकार से कहा है कि वह भी हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन, उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार और साउथ चाइना सी का मुद्दा उठाकर चीन को घेरे।भारत बोला- कश्मीर हमारा अभिन्न अंग, आंतरिक मामलों से दूर रहोचीन के इस बयान कि जम्मू-कश्मीर का विवाद संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक सुलझाया जाना चाहिए, पर पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'भारत का हमेशा से और स्पष्ट रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर हमारा अभिन्न हिस्सा है। चीन भी हमारे रुख से वाकिफ है। भारत के आंतरिक मामले दूसरे देशों की टिप्पणी के लिए नहीं हैं।' चिनफिंग के भारत दौरे से महज कुछ घंटों पहले इस मुद्दे पर कोई नरमी न बरतते हुए उन्होंने कहा, 'हमने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुलाकात से जुड़ी रिपोर्ट देखी है, जिसमें कश्मीर पर भी उनकी चर्चा का जिक्र है।'पढ़ें: कश्मीर पर चीन की टिप्पणी पर भारत की दो टूक, आंतरिक मामलों से दूर रहेंकांग्रेस बोली, शिनजियांग और हॉन्ग कॉन्ग पर चीन को घेरोशी चिनफिंग के इस बयान कि वह कश्मीर पर नजर बनाए हुए हैं, पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सरकार से सवाल किया है कि वह हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शनों और शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चीन को क्यों नहीं घेर रही है। तिवारी ने ट्वीट किया, 'शी चिनफिंग कहते हैं कि वह कश्मीर पर नजर बनाए हुए हैं लेकिन प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय क्यों नहीं कहते... 1- हम हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दमन को देख रहे हैं। 2- हम शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन को देख रहे हैं। 3- हम तिब्बत में लगातार हो रहे अत्याचार को देख रहे हैं। 4- हम साउथ चाइना सी को देख रहे हैं।'बता दें कि चीन हॉन्ग कॉन्ग में महीनों से चल रहे लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों का सख्ती से दमन कर रहा है। इसके अलावा, शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार कर रहा है। करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों को डिटेंशन कैंपों में डालकर यातनाएं दे रहा है। उनकी मस्जिदों और कब्रिस्तानों तक को तोड़ रहा है। दाढ़ी रखने और कुरान पढ़ने तक को बैन कर रखा है। इस वजह से अमेरिका ने हाल ही में चीन की 28 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। ये कंपनियां उइगर मुस्लिमों पर निगरानी में मदद कर रही हैं।
'कश्मीर द्विपक्षीय मसला' पर चीन का यू-टर्न
कश्मीर पर चीन का बुधवार का बयान उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग के मंगलवार को दिए उस बयान से उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि मसले को नई दिल्ली और इस्लामाबाद को मिलकर सुलझाना चाहिए। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से मुलाकात के बाद शी चिनफिंग ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय हालात चाहे जितना भी बदल जाएं, चीन और पाकिस्तान की दोस्ती अटूट और चट्टान की तरह रहेगी। दोनों देशों के बीच सहयोग हमेशा मजबूत रहेगी।'

चिनफिंग से सुरक्षा, सीमा, आतंक पर होगी बात

चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने बताया कि चिनफिंग ने इमरान खान से कहा, 'कश्मीर में हालात ठीक हैं या खराब, यह स्पष्ट है। चीन पाकिस्तान के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा का समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि संबंधित पक्ष विवाद का शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए समाधान कर सकते हैं।'

चीन ने कहा कि वह ऐसी किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है, जिससे हालात और जटिल हों। चीन और पाकिस्तान की तरफ से जारी जॉइंट स्टेटमेंट में भले ही कश्मीर विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की बात कही गई है, लेकिन उसका झुकाव इस्लामाबाद की तरफ साफ दिखा। खास बात यह है कि सरकारी सूत्रों ने कहा है कि मोदी-शी बैठक के दौरान भारत कश्मीर के मसले को नहीं उठाएगा। हालांकि, अगर चिनफिंग कश्मीर पर कुछ सवाल करेंगे तो भारत उन्हें अपने रुख से अवगत कराएगा।


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