निर्भया गैंगरेप: तिहाड़ प्रशासन ने दोषियों से कहा, अब सिर्फ दया याचिका का विकल्प


निर्भया गैंगरेप मामले के दोषियों को बताया गया है कि उनके पास अब सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प बचा हुआ है।




  • निर्भया गैंगरेप दोषियों के पास अब सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प बचा है

  • यह जानकारी खुद तिहाड़ प्रशासन ने दोषियों को 29 अक्टूबर को एक नोटिस में दी है

  • उन्हें बताया गया है कि नोटिस जारी करने से एक सप्ताह तक ही वे याचिका दायर कर सकते हैं



 

नई दिल्ली
16 दिसंबर 2012 के निर्भया गैंगरेप केस के चार दोषियों के पास अब सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प रह गया है जो उन्हें नोटिस मिलने के सात दिन के अंदर भेजना होगा। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने दोषियों से कहा है कि उन्होंने (दोषियों) सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है और फांसी की सजा के खिलाफ उनके पास अब सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका देने का विकल्प बचा हुआ है। मामले के चार दोषियों को 29 अक्टूबर को जारी एक नोटिस में जेल अधीक्षक ने यह जानकारी दी।

नोटिस में कहा गया है, 'यह सूचित किया जाता है कि यदि आपने अब तक दया याचिका दायर नहीं की है और यदि आप अपने मामले में फांसी की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करना चाहते हैं, तो आप यह नोटिस पाने के सात दिनों के अंदर ऐसा कर सकते हैं। इसमें नाकाम रहने पर यह माना जाएगा कि आप अपने मामले में दया याचिका नहीं दायर करना चाहते हैं और जेल प्रशासन कानून के मुताबिक आगे की आवश्यक कानूनी कार्यवाही शुरू करेगा।'


तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा कि उन्हें नोटिस जारी किया गया है और यदि वे दया याचिका दायर नहीं करते हैं तो निचली अदालत को सूचित किया जाए और वह आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी। मामले के तीन दोषी तिहाड़ में कैद हैं और एक को मंडोली जेल में रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि यदि दया याचिका दायर नहीं की जाती है तो जेल अधिकारी अदालत का रुख करेंगे, जो मौत की सजा का वारंट जारी करेगी।

उधर, निर्भया की मां आशा देवी ने तिहाड़ जेल प्रशासन के कदम का स्वागत करते हुए कहा, 'यह काफी पहले हो जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में ही फैसल सुना दिया था। मैं सात सालों से संघर्ष कर रही हूं, लेकिन उन्हें अब तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है। जेल प्रशासन ने सही कदम उठाया है।'


उल्लेखनीय है कि 23 साल की स्टूडेंट के साथ 16 दिसंबर की रात दिल्ली की एक चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप किया था। रेप के अलावा उसके साथ मारपीट की गई थी और बाद में बीच सड़क पर उसे फेंक दिया गया था। सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। गैंगरेप के आरोप में पकड़े गए छह में से एक राम सिंह नाम के जेल में फंदे से लटक कर खुदकुशी कर ली थी, जबकि नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह में तीन साल की कैद की सजा दी गई, जिसे अब रिहा किया जा चुका है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 जुलाई को मामले के तीन दोषियों -- मुकेश (31), पवन गुप्ता (24) और विनय शर्मा (25) की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उन्होंने 2017 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था जिसमें निचली अदालत में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। वहीं, मौत की सजा का सामना कर रहे चौथे दोषी अक्षय कुमार सिंह (33) ने सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी।


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