ऑफिस में झपकी लेने के लिए खास कमरे बनवा रही हैं कंपनियां


कम नींद आने का असर काम पर भी दिखता है और प्रॉडक्टिविटी कम हो जाती है। इसलिए, इंडिया इंक ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे को ऑफिसों में नैप रूम (सोने या झपकी लेने वाला कमरा) शामिल करने का फैसला लिया है। जोमैटो, ओयो, रेजरपे, स्टीलकेस, रेंटोमोजो और गोवर्क जैसी कंपनियों में पहले से ही नैप रूम हैं।इंडिया इंक ने 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे को ऑफिसों में नैप रूम बनाने का फैसला कियाजोमैटो, ओयो, रेजरपे, स्टीलकेस, रेंटोमोजो और गोवर्क जैसी कंपनियों में पहले से ही नैप रूम हैंहजार भारतीयों में से 40 पर्सेंट को अच्छी नींद नहीं मिलती है और 40 पर्सेंट को अपर्याप्त नींद की शिकायत हैभारत में ज्यादातर एंप्लॉयीज बीमार होने के बावजूद ऑफिस जाने को मजबूर होते हैंप्राची वर्मा दढवाल/अंजलि वेणुगोपालन, नई दिल्लीदेश के कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले हर 10 में से चार कर्मचारियों को नींद से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इकनॉमिक टाइम्स को मिले दो अलग-अलग सर्वे की जानकारियों के मुताबिक, इसकी दो प्रमुख वजह काम संबंधी तनाव और नौकरी की अनिश्चितता है।10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डेइसी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए इंडिया इंक ने 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे को ऑफिसों में नैप रूम (सोने या झपकी लेने वाला कमरा) शामिल करने का फैसला लिया है। जोमैटो, ओयो, रेजरपे, स्टीलकेस, रेंटोमोजो और गोवर्क जैसी कंपनियों में पहले से ही नैप रूम हैं, जिनमें एंप्लॉयीज को 40 झपकियां लेने की इजाजत है।40 फीसदी भारतीय कर्मचारी अपर्याप्त नींद के शिकारमनिपाल सिग्ना 360 वेल-बीइंग के सर्वे में हिस्सा लेने वाले हजार भारतीयों में से 40 पर्सेंट को अच्छी नींद नहीं मिलती है और 40 पर्सेंट को अपर्याप्त नींद की शिकायत है। मनिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर रीना त्यागी ने बताया, 'भारत में ज्यादातर एंप्लॉयीज बीमार होने के बावजूद ऑफिस जाने को मजबूर होते हैं। ऐसा खास तौर पर ऐसी नौकरियों में होता है, जहां जॉब की अनिश्चितता बनी हो या छंटनी का दौर चल रहा हो।'देर रात तक काम करने का बुरा असरसिकोइया के निवेश वाली मैट्रेस कंपनी वेकफिट डॉट के 1,500 कर्मचारियों सर्वे में शामिल हुए। इनमें से 600 को तनाव और देर रात तक काम करने के कारण अनियमित निद्रा की शिकायत है। वेकफिट डॉट को के को-फाउंडर चैतन्य रामलिंग गौड़ा ने बताया कि मैट्रेस स्टार्टअप ने हाल ही में कई कंपनियों में नैप रूम सेटअप किए हैं।तनाव की वजह से नींद में कमी
जोमैटो नैप रूम की सुविधा देने के अलावा योग क्लासेज, मेडिटेशन, काउंसलिंग सेशन, हॉबी ग्रुप जैसे आयोजन करती है। इनसे ऑफिस में आरामदेह माहौल बनता है और कर्मचारियों की स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां खत्म होती हैं। जोमैटो के ग्लोबल हेड (रिक्रूटमेंट ऐंड पीपल डिवेलपमेंट) स्टीवन मरे ने बताया, 'नींद पूरी न होने की आम वजह तनाव है। हम जोमैटो के कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से ट्रेनिंग सेशन आयोजित कराते हैं। इनसे उन्हें न केवल अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिलती है, बल्कि वे सहकर्मियों की भी मदद कर सकते हैं।' कंपनी हर छह महीने पर हैपीनेस सर्वे भी करती है।
मानसिक रोगों का पता लगाना मुश्किल होता हैओयो के प्रवक्ता ने बताया, 'काम संबंधी तनाव और अनियमित निद्रा से होने वाले मानसिक रोग का आसानी से पता नहीं चलता। ऐसे में ऑर्गनाइजेशन पर ऐसा माहौल बनाने का दायित्व होता है ताकि कर्मचारी इन समस्याओं को समझ कर उसका हल निकाल सकें।'ऐक्टिव लाइफस्टाइल को बढ़ावाओयो ने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अनलिमिटेड फोन काउंसलिंग, आठ हफ्तों का ऑनलाइन बिहेवियरल थेरेपी प्रोग्राम, मेडिटेशन ऐप का सब्सक्रिप्शन, ऑफिस के तनाव को संभालने के लिए कैंप और कर्मचारियों में ऐक्टिव लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए हैं।झपकी के बाद देर तक काम करते हैं कर्मचारीब्लैकरॉक के निवेश वाली को-वर्किंग स्पेस गोवर्क ने अपने गुड़गांव कैंपस में पिछले अगस्त ही दो दर्जन से अधिक स्लीपिंग पॉड लगवाए हैं। कंपनी ने बताया कि मिलेनियल दोपहर में 2-4 के बीच झपकी लेने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं और फिर देर रात तक काम करते हैं।


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