शिवसेना ने मांगा बीजेपी से लिखित आश्वासन, ढाई-ढाई साल का बने सीएम


शिवसेना ने 50-50 फॉर्म्युले की याद दिलाते हुए बीजेपी से लिखित आश्वासन मांगा है। शिवसेना का कहना है कि ढाई-ढाई साल के फॉर्म्युले पर बीजेपी लिखित आश्वासन दे तभी सरकार को समर्थन दिया जाएगा।हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनाने की तस्वीर साफ होने के बाद महाराष्ट्र में दांवपेच फंसता नजर आ रहा हैशिवसेना ने तल्ख तेवर अपनाते हुए बीजेपी से लिखित आश्वासन मिलने ही सरकार को समर्थन देने की बात कही हैशिवसेना का कहना है कि ढाई-ढाई साल के फॉर्म्युले पर बीजेपी लिखित आश्वासन दे तभी सरकार को समर्थन होगाहरियाणा में बीजेपी की सरकार बनाने की तस्वीर साफ होने के बाद महाराष्ट्र में पेच फंसता नजर आ रहा है। यहां शिवसेना ने तल्ख तेवर अपनाते हुए बीजेपी से लिखित आश्वासन मिलने पर ही सरकार को समर्थन देने की बात कही है। शिवसेना ने 50-50 फॉर्म्युले की याद दिलाते हुए बीजेपी से लिखित आश्वासन मांगा है। शिवसेना का कहना है कि ढाई-ढाई साल के फॉर्म्युले पर बीजेपी लिखित आश्वासन दे तभी सरकार को समर्थन दिया जाएगा।मुंबई उद्ध‌व ठाकरे के घर मातोश्री में आज शिवसेना की विधायक दल की बैठक हुई। शिवसेना नेता प्रताप सरनायक ने बैठक के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए बताया, 'हमारी मीटिंग में तय हुआ है कि जैसा कि अमित शाह जी ने लोकसभा चुनाव से पहले 50-50 फॉर्म्युले का वादा किया था, उसके हिसाब से दोनों दलों को 2.5-2.5 साल सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। शिवसेना का सीएम भी होना चाहिए। उद्धव जी को बीजेपी से लिखित आश्वासन मिलना चाहिए।'शिवसेना के लिए विकल्प खुले रखने की बात कहने वाले कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वाडेत्तिवार ने कहा, 'गेंद बीजेपी के पाले में है। शिव सेना को फैसला लेना है कि क्या वह अपना पांच साल का सीएम चाहती है या 2.5 साल के सीएम की मांग पर बीजेपी की प्रतिक्रिया का इंतजार करेगी। अगर सेना हमें कोई प्रस्ताव देती है तो हम उस पर अपने आलाकमान के साथ बात करेंगे।'बता दें कि कांग्रेस ने शिवसेना को साथ लेने के लिए दरवाजे खोल रखे हैं। हालांकि कांग्रेस की सहयोगी एनसीपी ने विपक्ष में ही बैठने की बात कही है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने साफ किया है कि वह शिवसेना के साथ जाने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।इससे पहले विजय वाडेत्तिवार ने कहा था, 'अगर शिव सेना का बीजेपी के साथ खटपट होती है और वह विकल्प तलाशती है तो हम सोच सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'हमें (राज्य की जनता ने) विरोधी की भूमिका सौंपी है और हम यह भूमिका निभाएंगे भी, लेकिन अगर किसी विकल्प पर बात की जानी है तो शिव सेना को हमारे पास आना होगा। उन्हें ही हमसे संपर्क करना होगा।'शिवसेना के तेवरों से लग रहा है कि वह बीजेपी से अलग राह भी पकड़ सकती है। बता दें कि बीजेपी को बहुमत से कम सीटें मिली हैं, इसलिए शिवसेना किंगमेकर की भूमिका में आ चुकी है। उसने आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। सत्ता के समान बंटवारे के साथ ही शिवसेना पहले ढाई साल के लिए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव बीजेपी के सामने रखने की तैयारी में है।आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने वाले पोस्टरएक दिन पहले शुक्रवार को वर्ली में आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री बताने वाले पोस्टर नजर आए। वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न 'बाघ' को एनसीपी का चुनाव चिह्न 'घड़ी' पहने और बीजेपी के चुनाव चिह्न 'कमल' को सूंघता हुआ एक कार्टून ट्विटर पर पोस्ट किया। इस कार्टून का यह राजनीतिक अर्थ निकाला जा रहा है कि शिवसेना बीजेपी को संकेत देना चाहती है कि वह बदली परिस्थितियों में एनसीपी के साथ भी जा सकती है।यह भी पढ़ें: पहले ढाई साल CM का पद मांगेगी शिवसेना?
1999 में 50-50 पर राजी नहीं थी शिवसेनाइस बार चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को 50-50 फॉर्म्युले की याद दिलाई यानी ढाई साल सीएम का पद उनके पास और ढाई बीजेपी के पास। हालांकि यही फॉर्म्युला 1999 में बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने दिया था जिस पर शिवसेना राजी नहीं हुई थी। ऐसे में गठबंधन सरकार नहीं बनी थी। अबकी बार बीजेपी इस पर सहमत नहीं दिख रही है।1995 में था अलग फॉर्म्युलादूसरा फॉर्म्युला अगर देखें तो 1995 के शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन सरकार में दिखता है। उस समय ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी को CM और कम सीटें जीतने वाली पार्टी को डेप्युटी सीएम का पद मिला था। इस पर बीजेपी राजी हो सकती है।


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