सोने और प्लैटिनम से भी महंगा हो गया पैलेडियम, क्यों?


गाड़ियों में पैलेडियम का उपयोग बढ़ रहा है क्योंकि धुएं में मौजूद खतरनाक कार्बन मोनो ऑक्साइड और नाइट्रोजन के कई ऑक्साइड इसके चलते कम हानिकर पदार्थों में बदल जाते हैं। यही वजह है कि यह धातु दाम के मामले में सोने से आगे चल रही है




  • प्लैटिनम के ही परिवार वाली धातु पैलेडियम ने महीनों से दाम के मामले में सोने को भी पीछे छोड़ रखा है

  • सोने का भाव जहां 40,000 प्रति 10 ग्राम से कम है, पैडेलियम 40,500 रुपये के पार है

  • पैलेडियम एक असाधारण उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) है, जिसकी उपस्थिति में कुछ बेहद जरूरी रासायनिक क्रियाएं घटित होने लगती हैं

  • भविष्य में ज्यादा बड़े दायरे में फैल जाने वाली हाइड्रोजन सेल आधारित बैट्री गाड़ियों में भी पैलेडियम की अहम भूमिका होगी



सोने का लगातार महंगा होना दिवाली पर एक आम हिंदुस्तानी परिवार के लिए भारी समस्या बना रहा, लेकिन सोने से भी महंगी कोई धातु है तो वह है पैलेडियम। दुनिया में अभी जिस तरह की वित्तीय आशंकाओं का बाजार गर्म है, उसे देखते हुए नियमित उतार-चढ़ाव के बावजूद आने वाले समय में सोने की चमक और ज्यादा बढ़ने की संभावना बनी हुई है लेकिन शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो कि गहने बनाने में काम आने वाली धातुओं में सोना अभी सबसे महंगा नहीं है। पारंपरिक रूप से इस क्षेत्र में प्लैटिनम उसे कड़ी टक्कर देता रहा है और जब-तब वह सोने से आगे भी निकल जाता रहा है, लेकिन अभी सोने के मुकाबले प्लैटिनम के भाव काफी नीचे हैं।


जिस धातु ने पिछले कई महीनों से कीमत के मामले में सोने को पीछे छोड़ रखा है, वह है प्लैटिनम के ही परिवार वाली धातु पैलेडियम, जो ग्राहकों से लेकर आभूषण उद्योग तक की कोई खास पसंद नहीं मानी जाती रही है। खबर लिखे जाते समय भारतीय सर्राफा बाजार में इन तीनों धातुओं के भाव प्रति दस ग्राम इस प्रकार थे- प्लैटिनम 28,810 रुपया, सोना 39,300 रुपया और पैलेडियम 40,849 रुपया। कीमती धातुओं की कीमतें किसी हवा-हवाई अफवाह से नहीं चढ़तीं-उतरतीं। इनका भाव ऊपर या नीचे जाने की कोई ठोस आर्थिक वजह होती है। जैसे पिछले एक-डेढ़ वर्षों में सोने के तेजी से चढ़ने की वजह इसकी हेजिंग वाली भूमिका से जुड़ी है- कहीं और पैसा लगाने में खतरा हो तो सोना खरीद लो!



प्लैटिनम के दाम में नहीं आता ज्यादा उतार-चढ़ाव
विश्व बाजार में डॉलर, कच्चा तेल और सोना डिमांड-सप्लाई के अलावा विश्व अर्थव्यवस्था के स्थायित्व को संदर्भ बनाकर एक रेंज में आपस के एक उलझे हुए रिश्ते के साथ महंगे-सस्ते होते रहते हैं। इनके बरक्स प्लैटिनम को आभूषण उद्योग में ऊंचे मुकाम के बावजूद एक उदासीन धातु ही माना जाता है, जिसकी कीमत में तेज उतार-चढ़ाव कभी नहीं आता।


अचानक क्यों सोने से भी महंगा होने लगा पैडेलियम?
इन दोनों की तुलना में कम चर्चित पैलेडियम के इस साल की शुरुआत से ही तेजी से महंगे होते हुए सोने को भी पीछे छोड़ देने की वजह न तो गहना बनाने में इसकी भूमिका से जुड़ी है, न ही बाजार की आशाओं-आशंकाओं के साथ इसका कुछ लेना-देना है। इसकी ऊंची कीमत की वजह इसका हाल में खोजा गया एक खास गुण है, जो आने वाले दिनों में इसे और महंगा बना सकता है। पैलेडियम एक असाधारण उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) है, जिसकी उपस्थिति में कुछ बेहद जरूरी रासायनिक क्रियाएं घटित होने लगती हैं।


कम पलूशन फैलाने वाली महंगी कारों के धुएं में मौजूद खतरनाक कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइड पैलेडियम की उपस्थिति में टूट कर कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और पानी की भाप जैसे अहानिकर या कम हानिकर पदार्थों में बदल जाते हैं। निकट भविष्य में ज्यादा बड़े दायरे में फैल जाने वाली हाइड्रोजन सेल आधारित बैट्री गाड़ियों में भी पैलेडियम की अहम भूमिका होगी।


दूसरे शब्दों में कहें तो पैलेडियम का सीधा संबंध दुनिया में बढ़ रही पर्यावरण चेतना से है। 2015 में एक नामी जर्मन कार कंपनी ने अपनी डीजल कारों में इसी पैलेडियम का खर्चा बचाने के लिए एक कंप्यूटर चिप का सहारा लिया था। इसके चलते उसकी गाड़ियां पलूशन चेक के दौरान बहुत मामूली कार्बन उत्सर्जन दिखाती थीं जबकि हकीकत में उनका पलूशन लेवल तयशुदा मानकों का 40 गुना था। धोखाधड़ी पकड़ में आने पर इस कंपनी को जो नुकसान हुआ सो तो हुआ ही, पूरी दुनिया में डीजल कारों का भविष्य संकट में आ गया।


कुछ समय पहले तक जो लोग प्लैटिनम के गहने नहीं अफोर्ड कर पाते थे, वे चुपचाप पैलेडियम के गहने खरीद कर संतोष कर लेते थे। लेकिन अभी, जब पैलेडियम की कीमत सोने से ज्यादा और प्लैटिनम की सीधे डेढ़ गुनी है, तब वे पर्यावरण चेतना का हवाला देकर पैलेडियम के गहने गढ़ाने से बच सकते हैं!


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