सुभाष चोपड़ा बने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष, कीर्ति आजाद को बनाया गया कैंपेन कमिटी का चीफ


कांग्रेस ने लंबे समय से खाली दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आज नियुक्ति कर दी है। पार्टी की अंतरिम चीफ सोनिया गांधी ने इस पद पर सुभाष चोपड़ा को नियुक्त किया है। बीजेपी से कांग्रेस में आए कीर्ति आजाद को प्रचार कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया है।लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार आज कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर दी गई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुभाष चोपड़ा को दिल्ली का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है वहीं, बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति आजाद को राज्य के कैंपेन कमिटी का चीफ बनाया गया है। पूर्व सीएम शीला दीक्षित के निधन के बाद से ही यह पद खाली चल रहा था। दिल्ली कांग्रेस का चीफ बनने के लिए कई नेताओं ने दावा किया था लेकिन अंत में सोनिया ने सुभाष चोपड़ा पर भरोसा जताते हुए उन्हें अध्यक्ष बनाया।सुभाष चोपड़ा को सोनिया गांधी ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी का नया अध्यक्ष चुना हैवह कालकाजी से विधायक रह चुके हैं और डीपीसीसी की प्रचार समिति के अध्यक्ष रहे हैंबीजेपी से कांग्रेस में आए कीर्ति आजाद को डीपीसीसी की प्रचार समिति का अध्यक्ष चुना गया हैशीला के निधन के बाद ही अध्यक्ष के पद के लिए दिल्ली कांग्रेस में घमासान मचा हुआ थासोनिया गांधी ने बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति आजाद को डीपीसीसी की प्रचार समिति का चेयरमैन चुना है। आजाद को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई है जब भारतीय युवा कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी को संदेश भेजकर आजाद या किसी अन्य 'बाहरी' नेता को डीपीसीसी का अध्यक्ष नहीं बनाने और किसी युवा चेहरे को कैंपेन चीफ बनाने का आग्रह किया था।कांग्रसे की तरफ से जारी बयान के अनुसार, 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांदी ने सुभाष चोपड़ा को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी (डीपीसीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। कीर्ति आजाद को डीपीसीसी की प्रचार समिति का चेयरमैन नियुक्त किया गया है।' गौरतलब है कि चोपड़ा पहले भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे हैं। वह कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व क्रिकेटर आजाद ने इस नियुक्ति के साथ लंबे समय बाद दिल्ली की राजनीति में वापसी की है। बीजेपी में रहते हुए वह दरभंगा से सांसद रहे थे। कीर्ति के पिता भागवत झा आजाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे।दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आता जा रहा था वहीं नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए कांग्रेस में गहमागहमी तेज हो गई थी। बता दें कि पार्टी आंतरिक गुटबाजी और राजनीतिक समीकरण के रण पशोपेश में थी।महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद दिल्ली प्रदेश इकाई में कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर एक बार फिर से हलचल तेज हो गई थी। कांग्रेस आलाकमान के सामने बड़ी चुनौती दिल्ली के सामाजिक एवं क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के साथ ही पार्टी की आंतरिक कलह पर अंकुश लगाने की भी थी।


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