टेरर फंडिंग पर FATF ने पाकिस्तान को दी फरवरी 2020 तक की मोहलत, ब्लैकलिस्ट होना अब लगभग तय


एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंक पर कार्रवाई के लिए फरवरी 2020 तक डेडलाइन दी है। एफएटीएफ ने सख्त निर्देश दिया है कि तय समय में पाकिस्तान ऐक्शन प्लान बनाए और उस पर कार्रवाई करे नहीं तो आगे और सख्त कार्रवाई हो सकती है।आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान को FATF ने फरवरी 2020 तक की डेडलाइन दीपाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने से चीन, मलयेशिया और तुर्की ने बचा लिया, तीनों ने पाक का किया समर्थनएफएटीएफ ने सभी सदस्य देशों से पाकिस्तान के साथ बिजनस और वित्तीय लेन-देन पर नजर रखने का निर्देश दियाFATF का सख्त निर्देश, 2020 तक ऐक्शन प्लान पर काम करे पाक नहीं तो होगी और सख्त कार्रवाईपैरिसआतंकियों का हमदर्द पाकिस्तान टेरर फंडिंग को लेकर फिलहाल ब्लैकलिस्ट होने से बच गया है। उसे आगे कुछ और महीनों की मोहलत मिल गई है। शुक्रवार को फाइनैंशल ऐक्शन टास्ट फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को सख्त निर्देश दिया कि फरवरी 2020 तक वह पूरा ऐक्शन प्लान तैयार कर उस पर आगे बढ़े। अगर निर्धारित वक्त में पाकिस्तान ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए। पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के वित्तीय लेन-देन और बिजनस पर भी सदस्यों से नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। चीन, मलयेशिया और तुर्की के समर्थन के कारण फिलहाल पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट होने से बच गया, लेकिन अब ग्रे लिस्ट से निकलना नामुमकिन जैसा हो गया है।सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ ने भले ही अभी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा है, लेकिन आतंक के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाने के कारण आनेवाले कुछ सालों में उसके लिए इस लिस्ट से बाहर निकलना नामुमकिन है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय संस्था ने ऐसे संकेत भी दे दिए हैं कि पाक को 2020 फरवरी में ब्लैकलिस्ट किए जाने की पूरी आशंका है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस फैसले को सार्वजनिक कर एफएटीएफ ने खास संदेश दिया है। अंतरराष्ट्रीय वैश्विक संस्थाओं को एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फरवरी 2020 से और सहायता नहीं देने के लिए तैयार रहने का संकेत भी दे दिया है।आपको बता दें कि FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था और 27 पॉइंट का ऐक्शन प्लान देते हुए एक साल का समय दिया था। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की टेरर फाइनैंसिंग रोकने के उपाय करने थे। आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम और आतंकियों व उनके संगठनों के खिलाफ ठोस कदम न उठाने को लेकर यह सुधरने की अंतिम चेतावनी की तरह है।पढे़ं: FATF बैठक में ब्लैकलिस्ट होने से पाकिस्तान कैसे बचा, समझेंदोस्तों की 'तिकड़ी' ने बचाया पाकिस्तान कोदरअसल, पाकिस्तान को जब यह लगने लगा कि उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है तो उसने दुनिया के कई देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। कश्मीर पर पाक ने झूठी बातें प्रचारित करनी शुरू कीं और भारत के खिलाफ अपने अजेंडे को आगे बढ़ाते हुए चीन के साथ-साथ तुर्की और मलयेशिया से भी नजदीकी बढ़ाई। कश्मीर पर तुर्की और मलयेशिया के रुख से साफ हो गया था कि चीन के साथ ये दोनों देश पाक को ब्लैकलिस्ट होने से बचा सकते हैं।
FATF आतंक पर निगरानी के लिए बनी संस्थाFATF पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम आतंकी संगठनों को गैरकानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है और इसके पालन पर अपनी रिपोर्ट देनी है। संस्था का गठन 1989 में किया गया था। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है।पढ़ें: पाकिस्तान को FATF में बड़ा झटका, नहीं मिला किसी देश का समर्थनब्लैकलिस्ट होने पर और पस्त होगी पाक की हालतअगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाता तो उसके लिए कर्ज हासिल करना मुश्किल हो जाता। इस सूची में नाम आने के बाद पाकिस्तान में विदेशी निवेश के रास्ते भी बंद हो जाते। ब्लैकलिस्ट होने के बाद वैश्विक वित्तीय संस्थाएं पाक की रेटिंग कम कर सकती थीं। पाकिस्तान के लिए विश्व बैंक और IMF से पैसा लेना मुश्किल हो जाता। बदहाली से उबरने के लिए चीन, सऊदी जैसे देशों से भी फंड मिलने में मुश्किल हो सकती थी।ग्रे और ब्लैक लिस्ट के बीच डार्क ग्रे
FATF नियमों के मुताबिक, ग्रे और ब्लैक लिस्ट के बीच डार्क ग्रे की भी कैटिगरी होती है। 'डार्क ग्रे' का अर्थ है सख्त चेतावनी, ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके।


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