उत्तरी सीरिया में तुर्की का हमला, कुर्दों से 100 साल से भी पुरानी है दुश्मनी


तुर्की और कुर्दों के बीच संघर्ष का इतिहास एक सदी से भी पुराना है। उत्तरी सीरिया में तुर्की ने हमला कर ऐलान किया है कि यहां से कुर्द लड़ाकों को खत्म कर इस क्षेत्र को सेफ जोन के तौर पर घोषित किया जाएगा।उत्तरी सीरिया को कुर्द लड़ाकों से मुक्त करने का ऐलान करते हुए तुर्की ने किया हमलायह क्षेत्र कुर्दों का इलाका है और तुर्की की इस जातीय समूह से संघर्ष की पुरानी कहानीतुर्की और कुर्दों का संघर्ष खूनी रहा है और यह दुश्मनी 100 साल से भी अधिक पुरानीकुर्दों का अब तक अपना कोई देश नहीं है, लेकिन मिडिल ईस्ट के कई देशों में फैले हैं कुर्दइदलिब
अमेरिका ने हाल ही में उत्तरी सीरिया से अपनी फौज हटाने का फैसला किया है। यह इलाका विश्व का सबसे बड़ा कुर्द इलाका है। यहां करीब 30 मिलियन कुर्द रहते हैं। कुर्दों को अमूमन अमेरिका के खास सहयोगी के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, अमेरिका के इस कदम से अब तुर्की के लिए कुर्दों पर आक्रमण करने का रास्ता साफ हो गया है। तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच दशकों पुरानी रंजिश है। समझें यह पूरा गणित...1) कुर्दों का संगठित तौर पर कोई एक देश नहीं है। यह तुर्की, सीरिया, इराक और ईरान और आर्मेनिया के कुछ इलाकों में तुर्क फैले हुए हैं।2) कुर्द विश्व का सबसे बड़ा समूह हैं जिनका कोई देश नहीं है। कुर्दों की कुल आबादी करीब 25 मिलियन से 35 मिलियन के बीच है और यह मिडिल ईस्ट का चौथा सबसे बड़ा समूह है।
3) ऑटोमन साम्राज्य प्रथम विश्व युद्ध में हार के साथ ही बिखर गया था। कुर्दों को विश्व युद्ध के बाद अलग देश का वादा किया गया था, लेकिन जल्द ही यह समझौता रद्द हो गया।4) कुर्दों ने लगातार स्वायत्तता की कोशिश की और इसके लिए कई बार संघर्ष भी किया। हालांकि, उनके संघर्षों को हर बार बेरहमी से कुचल दिया गया।5) 2005 में इराक के एक हिस्से विशेष को कुर्दिश क्षेत्र के तौर पर घोषित किया गया। इसकी सीमाओं में कुर्द की क्षेत्रीय सरकार को स्वायत्तता दी गई।तुर्की-कुर्द के बीच 1 सदी से पुराना संघर्षतुर्की की कुर्द लड़ाकों के साथ लड़ाई 1 सदी से भी पुरानी है। तुर्की की 15 से 20% आबादी कुर्दों की है। 1920 तक तुर्की में कुर्दों का दमन किया गया, उन्हें अधिकारों से वंचित रखा गया। 1980 में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) ने सशस्त्र आंदोलन शुरू किया। 2013 में दोनों के बीच सीजफायर किया गया और 2015 में फिर से इसका उल्लंघन किया जाने लगा। तुर्की ने पीकेके को आतंकी संगठन घोषित कर दिया।तुर्की का उत्तरी सीरिया में कुर्दों पर हमला, क्या होगा प्रभाव
अमेरिका के उत्तरी सीरिया से अपनी सेना को वापस बुलाने के साथ ही तुर्की ने हमला शुरू कर दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोगान ने खुलकर कहा है कि उनका लक्ष्य उत्तरी सीरिया में कुर्द लड़ाकों को खत्म कर सेफ जोन घोषित करना है। तुर्की का कहना है कि इस इलाके में सीरिया के शरणार्थियों के लिए सुरक्षित जगह बनाई जा सकेगी।पढ़ें: तुर्की के हमले की आशंका को देखकर कुर्दों ने की संगठित होने की अपीलकुर्दों ने कई युद्ध में दिया अमेरिका का साथअमेरिका और तुर्की दोनों नाटो सदस्य देश हैं, लेकिन आम तौर पर अमेरिका कुर्दों के साथ काफी मददगार रहा है। मिडिल ईस्ट में कुर्दों ने कई लड़ाइयों में अमेरिका का साथ दिया है। 1991 में खाड़ी युद्ध, 2003 में इराक पर अमेरिका का हमला और आईएस के खिलाफ संघर्ष में भी कुर्दों ने अमेरिका की काफी मदद की थी।कुर्दों के लिए अमेरिका ने कई बार मोड़ा मुंहमिडिल ईस्ट में अमेरिका का कई बार सहयोग करने के बाद भी कुर्दों का हर मोर्चे पर यूएस ने नहीं दिया है साथ। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कुर्दों को अमेरिका ने इस तरह छोड़ा हो। प्रथम विश्व युद्ध के बाद भी अमेरिका ने स्वतंत्र कुर्द राज्य का विरोध किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी अमेरिका ने कुर्दों पर इराक के जुल्म की कहानी जानते हुए भी इराक का समर्थन किया था। तुर्की और कुर्द के बीच जारी जातीय संघर्ष को जानते हुए भी अमेरिका ने तुर्की का कुर्दों के प्रति रूख जानते हुए भी हथियार मुहैया कराया था।


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