वायुवीरों को देश का सलाम, भगवद्गीता से है IAF का खास रिश्‍ता


देश की आन बान और शान, हमारे वायुवीरों को पूरा देश सलाम कर रहा है। हिंदुस्‍तानी जमीं की रक्षा के लिए आसमान में पहरा देने वाले हमारे वायुसेना के जाबांज जवानों के साथ पूरा मुल्‍क मंगलवार को वायुसेना दिवस मना रहा है। 8 अक्‍टूबर 2019 को 87वां वायुसेना दिवस है। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली से सटे हिंडन एयरबेस से युद्धक हेलिकॉप्टर अपाचे, चिनूक हेलिकॉप्टर, स्वदेशी युद्धक विमान तेजस आसमान का सीना चीर रहे हैं।


सोशल मीडिया पर भी मंगलवार सुबह से ही #AirForceDay ट्रेंड कर रहा है। वायुसेना दिवस पर एयरफोर्स के योगदान पर जनता भी सलाम कर रही है। हर साल वायुसेना दिवस 8 अक्टूबर को ही मनाया जाता है। संयोग है कि इस साल वायुसेना दिवस दशहरा के दिन ही है।


बता दें कि 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायुसेना की स्थापना की गई थी। यही कारण है कि इसी दिन Indian Air Force Day मनाया जाता है। वायुसेना इस मौके पर भव्य परेड और एयर शो आयोजित करती है। स्‍थापना के बाद 1 अप्रैल साल 1933 को वायुसेना के पहले दस्ते का गठन हुआ था, जिसमें 6 RAF-ट्रेंड अफसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था।


गुलाम भारत में वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहा जाता था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी से पहले वायुसेना पर थल सेना का ही नियंत्रण होता था। लेकिन बाद में इसे अलग अंग बनाया गया। इसका श्रेय भारतीय वायुसेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।


भारतीय वायुसेना का भगवद्गीता से भी खास रिश्‍ता है, क्‍योंकि इसका आदर्श वाक्‍य 'नभ:स्‍पृशं दीप्‍तम्' गीता के 11वें अध्‍याय से ही लिया गया है। महाभारत के महायुद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्री कृष्‍ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, यह उसकी का अंश है। भगवान श्री कृष्‍ण, अर्जुन को अपना विराट रूप दिखा रहे हैं और भगवान का यह विराट रूप आकाश तक व्याप्त है जो अर्जुन के मन में भय और आत्म-नियंत्रण में कमी उत्पन्न कर रहा है। इसी तरह भारतीय वायुसेना राष्ट्र की रक्षा में वांतरिक्ष शक्ति का प्रयोग करते हुए शत्रुओं का दमन करने का लक्ष्य करती है।


'नभ:स्‍पृशं दीप्‍तमनेकवर्ण व्‍यात्ताननं दीप्‍तविशालनेत्रम् ।
दृष्‍ट्वा हि त्‍वां प्रव्‍यथ‍ितान्‍तरात्‍मा धृतिं न विन्‍दामि शमं च विष्‍णो ।।'


इसका अर्थ है, 'हे विष्णो, आकाश को स्पर्श करने वाले, देदीप्यमान, अनेक वर्णों से युक्त तथा फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अन्तःकरण वाला मैं धीरज और शांति नहीं पाता हूं।'


भारतीय वायुसेना का ध्‍वज, वायु सेना निशान से अलग नीले रंग का है। इसके पहले एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना हुआ है और बीच भाग में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों यानी केसरिया, सफेद और हरे रंग से बनी एक गोलाकार आकृति है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया।


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