व्यापार पर शी के सामने मोदी की दो-टूक, बिजनस बढ़ाने के लिए नया तंत्र स्थापित करने पर बनी सहमति


विदेश सचिव विजय गोखले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ​​​​दोनों नेताओं के बीच बाचतीत का एक अहम मुद्दा व्यापार असंतुलन भी था। गोखले ने बताया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री की बात सुनने के बाद राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन इस दिशा में कदम उठाने को तैयार है कि किस प्रकार से इस असंतुलन को कम किया जाए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सामने बढ़ते व्यापार घाटे का मुद्दा उठायाइस पर चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस उपाय किए जाएंगेवहीं ECEP के मुद्दे पर भी पीएम मोदी ने भारत की चिंता से शी को अवगत करायापीएम मोदी ने स्पष्ट कहा कि कारोबार, सेवा और निवेश में संतुलन होना चाहिएभारत और चीन व्यापार, निवेश और सेवाओं से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए एक मंत्री स्तरीय तंत्र स्थापित करने पर राजी हुए। दूसरी अनौपचारिक बातचीत के लिए भारत आए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने का संकल्प दोहराया। बातचीत में चीनी राष्ट्रपति ने चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर भारत की चिंता दूर करने की दिशा में ठोस उपाय किए जाने पर भी सहमति जताई। वहीं, पीएम मोदी ने क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (RCEP) को लेकर साफ कहा कि भारत इसके प्रति उत्साहित है, लेकिन उसकी अपनी चिंताएं भी हैं जिन्हें दूर करनी ही होगी।व्यापार घाटे पर शी का आश्वासनविदेश सचिव विजय गोखले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत का एक अहम मुद्दा व्यापार असंतुलन भी था। गोखले ने बताया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री की बात सुनने के बाद राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन इस दिशा में कदम उठाने को तैयार है कि किस प्रकार से इस असंतुलन को कम किया जाए। चीन के एक आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2018 में बढ़कर 57.86 अरब डॉलर तक पहुंच गया जो एक साल पहले 2017 में 51.72 अरब डॉलर का था। हालांकि, इस दौरान भारत का चीन को निर्यात भी बढ़ा और यह 2017 में 15.2 अरब डॉलर के मुकाबले 2018 में 18.84 अरब डॉलर हो गया।गोखले ने यह भी बताया कि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि व्यापार और निवेश संबंधी मुद्दों के लिए एक नया तंत्र स्थापित किया जाएगा जो कारोबार, निवेश एवं सेवा क्षेत्र से जुड़ा होगा। चीन की तरफ से उप प्रधानमंत्री हु छुन ह्वा और भारत की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका नेतृत्व करेंगे। गोखले ने कहा कि इसकी रूपरेखा राजनयिक चैनलों के जरिए तय हो जाएगी।उन्होंने कहा, 'दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग को और गहराई प्रदान करने और विकास साझेदारी में निकटता बढ़ाने के लिए एक उच्च-स्तरीय आर्थिक और व्यापारिक वार्ता तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक और वाणिज्यिक संबंधों में और मजबूती प्रदान किए जाने के साथ-साथ व्यापार संतुलन में भी बेहतरी लाई जा सके।'जानें,पीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी को दिया कौन-कौन सा तोहफाRCEP पर भी भारत की दो-टूकवहीं, क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की चिंताओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत इसको लेकर आशान्वित है, लेकिन इसमें संतुलन होना चाहिए। कारोबार, सेवा और निवेश में संतुलन होना चाहिए। गोखले के अनुसार, इस पर राष्ट्रपति शी ने कहा कि इस विषय पर भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।16 देशों की RCEPआरसीईपी 16 देशों का प्रस्तावित साझा बिजनस ब्लॉक है। इसमें आसियान के 10 सदस्य देशों समेत छह अन्य देश- भारत, चीन, जापान, द. कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड आपस में मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। इन देशों ने नवंबर 2012 में नोम पेन्ह आसियान समिट के दौरान रीजनल कंप्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) की लॉन्चिंग की थी।RCEP का मकसदइसका मकसद आधुनिक, व्यापक, उच्च-गुणवत्तापूर्ण और पारस्परिक लाभदायक आर्थिक साझेदारी समझौते पर पहुंचना है। छह देश- भारत, चीन, जापान, द. कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड आसियान के फ्री ट्रेड अग्रीमेंट्स (एफटीए) पार्टनर्स हैं। गोखले के मुताबिक मोदी ने कहा, 'भारत और चीन पिछले 2,000 साल में ज्यादातर समय वैश्विक आर्थिक शक्तियां रहे हैं और धीरे-धीरे उस चरण की तरफ लौट रहे हैं।


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