इस्लामाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए रहमान ने इमरान को 'पाकिस्तान का गोर्बाचोव' बताते हुए कहा कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के सयंम की परीक्षा लिए बिना पद छोड़ दें
- विपक्षी पार्टियां जहां इस्लमाबाद में इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं वहीं अब आर्मी ने उन्हें चेताया है
- आर्मी ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि देश में किसी को अव्यवस्था फैलाने नहीं दिया जाएगा
- इमरान खान ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे खाने का सामान और भेज देंगे, लेकिन वे राहत की उम्मीद न करें
- उन्होंने कहा कि वह दिन चला गया जब देश में इस्लाम के नाम पर राजनीति होती थी, यह नया पाकिस्तान है
इस्लामाबाद
आर्मी के इशारे पर काम करने और अघोषित मार्शल लॉ के आरोप लगाते हुए 'आजादी मार्च' का नेतृत्व कर रहे मौलाना फजलुर रहमान ने पीएम इमरान खान को इस्तीफे के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। इन आरोपों के बीच अब खुद पाक आर्मी ने मोर्चा संभाल लिया है। आर्मी ने शनिवार को चेताया कि देश में किसी को अस्थिरता और अव्यवस्था पैदा नहीं करने दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस्लामाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए रहमान ने इमरान को 'पाकिस्तान का गोर्बाचोव' बताते हुए कहा कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के सयंम की परीक्षा लिए बिना पद छोड़ दें। उन्होंने कहा कि रहमान ने कहा कि 'संस्थाओं' को नहीं बल्कि केवल पाकिस्तान के लोगों को इस देश पर शासन करने का अधिकार है।
वहीं, पाकिस्तान आर्मी के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने रहमान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'मौलाना वरिष्ठ राजनेता हैं। उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस संस्थान की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान की सशस्त्र सेना गैर-पक्षपातपूर्ण संस्था है जो कि हमेशा लोकतांत्रिक सरकार का समर्थन करती है।'
उन्होंने कहा, 'किसी को भी देश में अस्थिरता पैदा करने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि देश अव्यवस्था नहीं झेल सकता।' गफूर ने जोर देकर कहा कि सेना तटस्थ है और संविधान के तहत चुनकर आई सरकार का समर्थन करती है।
सड़क पर नहीं, सही मंच पर जाए विपक्ष
रहमान ने 2018 के आम चुनाव में धांधली का भी आरोप लगाया है। वहीं, गफूर ने आम चुनाव में सेना की तैनाती का बचाव किया और कहा कि यह संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा कर रही थी। उन्होंने कहा, 'अगर विपक्ष को नतीजों से आपत्ति है, यह सड़कों पर आरोप लगाने की जगह संबंधित फोरम में जा सकती है।' उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मामले लोकतांत्रिक तरीके से सुलझने चाहिए।
'सेना न करे राजनीतिज्ञों जैसी बातें'
विपक्षी नेताओं से मुलाकात के बाद रहमान ने गफूर के बयान पर कहा कि सेना को इस तरह बयान से बचना चाहिए, जो कि सेना की निष्पक्षता का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, 'यह बयान किसी राजनीतिज्ञ की तरफ से आना चाहिए, न कि सेना की तरफ से।' रहमान ने कहा कि विपक्षी पार्टियां शनिवार को मुलाकात करेंगी। इस दौरान यह फैसला किया जाएगा कि अगर पीएम इमरान खान डेडलाइन के अंदर मांग पूरी नहीं करते, तो हमें क्या करना है।
उल्लेखनीय है कि रहमान के नेतृत्व वाला आजादी मार्च गुरुवार को अपने इस्लामाबाद पहुंचा जो कि बुधवार को सिंध से शुरू हुआ था। इस प्रदर्शन में प्रमुख राजनीतिक पार्टियां- पीएमएल-एन , पीपीपी और आवामी नैशनल पार्टी भी हिस्सा ले रहीं है।
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इमरान पर नहीं हो रहा असर
उधर, इस प्रदर्शन से बेअसर इमरान खान ने गिलगित-बाल्टीस्तान में शुक्रवार को एक रैली को संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद में जमा हुए हैं जब उनके पास खाने का सामान नहीं होगा, और भेजा जाएगा लेकिन उनके नेता मुझसे राहत की उम्मीद न करें। उन्होंने कहा, 'वह दिन चला गया जब नेता सत्ता पाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करते थे। यह नया पाकिस्तान है। आप जब तक धरना देना चाहते हैं दे। जब आपके पास खाने के लिए कुछ नहीं होगा, हम और भेज देंगे। लेकिन हम आपको एनआरओ नहीं देंगे।'
एनआरओ यानी नैशनल रिकॉन्सीलेशन ऑर्डिनेंस है जिसे अक्टूबर 2007 में जारी किया गया था। इसके तहत भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, हत्या और आतंकवाद के आरोपी राजनीतिज्ञों, राजनीतिक कार्य़कर्ताओं और ब्यूरोक्रैट्स को क्षमा देने का प्रावधान है।
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