आर्किटेक कंपनी का सुझाव, साउथ ब्लॉक के करीब शिफ्ट हो प्रधानमंत्री आवास


आर्किटेक्ट कंपनी का सुझाव है कि प्रधानमंत्री आवास को 10 लोककल्याण मार्ग से रायसीना हिल्स के करीब शिफ्ट किया जाए। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कोई भी फैसला काफी सोच-विचार के बाद ही किया जाएगा।




  • एचसीपी ने प्रधानमंत्री आवास को लोक कल्याण मार्ग से राइसीना हिल्स के दक्षिण में शिफ्ट करने की सलाह दी है।

  • एचसीपी ने सुझाव दिया है कि मौजूदा संसद भवन को भारतीय लोकतंत्र का संग्रहालय बनायया जा सकता है।

  • वहीं नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को क्रमश: 'इंडिया एट 75' और 'द मेकिंग ऑफ इंडिया' बनाया जा सकता है।



 

दीपक के. दाश, नई दिल्ली
नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा (राजपथ) को डिजाइन करने के लिए चुनी गई आर्किटेक्ट फर्म ने प्रधानमंत्री आवास को 7 लोक कल्याण मार्ग से रायसीना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) के दक्षिण में डलहौजी रोड हटमेंट्स पर शिफ्ट करने का सुझाव दिया है।


अधिकारियों ने हालांकि साफ कर दिया है कि सभी पहलुओं, जिनमें पीएम हाउस और प्रधानमंत्री कार्यालय को शिफ्ट करना भी शामिल है, पर काफी सोच विचार के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।

अहमदाबाद स्थित आर्किटेक्चर ऐंड अर्बन डिजाइन फर्म एचपीसी डिजाइन ने प्रधानमंत्री आवास को शिफ्ट करने और राजपथ में कई बदलाव का प्रस्ताव दिया है। इसमें संसद भवन की नई इमारत और केंद्रीय सचिवालय की बिल्डिंग का निर्माण भी शामिल है।

शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ' फर्म का चुनाव इस दिशा में सिर्फ पहला कदम है। पूरे डिजाइन, आर्किटेक्चर से जुड़े प्रस्तावों, खास तौर पर संसद भवन की नई इमारत और दफ्तरों आदि से जुड़े मसलों पर अंतिम फैसला लेने से पहले सरकार, लोकसभा अध्यक्ष और अन्य बड़े पदाधिकारियों से अच्छी तरह सलाह-मशिवरा किया जाएगा। यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और इसे कई राउंड की जांच से गुजरना पड़ेगा। इस प्रॉजेक्ट का क्रियान्वयन शहरी विकास मंत्रालय के अंर्तगत सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट यानी CPWD द्वारा किया जाएगा।

हालांकि इस अर्बन डिजाइन फर्म के चयन की घोषणा करते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के बाहरी रूप से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। और साथ ही संसद भवन की मौजूदा इमारत को नहीं गिराया जाएगा।

एचसीपी ने सुझाव दिया है कि संसद भवन की नई बिल्डिंग पुरानी के करीब ही बनाई जा सकती है। दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने भी इसका संकेत दिया था कि वह मौजूदा सांसदों से इस बारे में बात करेगी कि क्या संसद भवन की मौजूदा इमारत का ही पुर्निर्माण किया जाए या बिलकुल नई इमारत बनाई जाए।


सूत्रों का कहना है कि महात्मा गांधी की मूर्ति के पीछे नई इमारत बनाने के लिए पर्याप्त स्थान है। फिलहाल इस स्थान का इस्तेमाल पार्किंग के लिए किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा बिल्डिंग में जहां बहुत अधिक ओपन स्पेस है वहीं इसमें काफी बिल्ट-अप एरिया हो सकता है जिससे परिसीमन के बाद और सांसदों के लिए इंतजाम हो सकता है।

शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि एचसीपी के वैचारिक प्लान को सिलेक्ट कर लिया गया है चूंकि यह बहुत ज्यादा चमकदार नहीं है और सरकार की जरूरतों के काफी करीब है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि लुटियंस दिल्ली में इमारतों की ऊंचाई की सीमा जो फिलहाल 26 से 32 मीटर है उसे कायम रखा जाएगा। कुछ इमारतों की ऊंचाई बढ़ाई जा सकती है वहीं एक सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर भी बनाया जा सकता है। फिलहाल, विज्ञान भवन को कॉन्फ्रेंस के लिए प्रयोग किया जाता है।

एक सूत्र ने कहा, 'इस पूरे प्लान में यह आश्वस्त किया गया है कि पूरे क्षेत्र में जमीन के ऊपर पार्किंग नहीं होगी। पूरे क्षेत्र में अंडरग्राउंड पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह बनाई जाएगी। इसके साथ ही केंद्रीय सचिवालय के दफ्तरों को आपस में जोड़ने के लिए धीमी गति की रेल टाइप सेवा भी हो सकती है।'

सरकार ने इस पूरे निर्माण पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान लगाया है। इसे पूरा करने के लिए मार्च 2024 की डेडलाइन रखी गई है जो अगले लोकसभा चुनावों से सिर्फ दो महीने ही पहले है।



नए भारत का कैसा होगा 'नया राजपथ'

सेंट्रल विस्टा क्या है
- राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का 2.5 किमी लंबा राजपथ
- इसके साथ ही आसपास की 44 बिल्डिंग्स भी सेंट्रल विस्टा जोन में आती हैं, जिसमें संसद भवन, साउथ और नॉर्थ ब्लॉक्स शामिल हैं

क्या है उद्देश्य
- 4 वर्ग किमी के सेंट्रल विस्टा जोन को री-प्लान करना। नया मास्टर प्लान खींचना जिसमें नए भारत के मूल्य और आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति हो सके
- मास्टर प्लान में नए कॉन्सेप्ट, डिजाइन के साथ ही मौजूदा ढांचे को ध्वस्त करना भी शामिल है
- नई इमारतें बनाना, जो 150 से 200 साल की विरासत बने

सरकार क्या करेगी
- जुलाई 2022 तक संसद भवन के बाहरी ढांचे को छुए बिना इमारत को नए रंग-रूप में लाया जाएगा
- संसद भवन के आसपास एक अलग स्ट्रक्चर या पूरी तरह से एक नया कॉम्पलेक्स बनाने का प्लान
- मार्च 2024 तक एक कॉमन केंद्रीय सचिवालय बनाने की तैयारी, जिसमें सभी मंत्रालयों और विभागों के दफ्तर होंगे


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