बाबरी विध्वंस: दिग्विजय के सवाल पर शिवराज सिंह चौहान का तंज


सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए।




  • बाबरी विध्वंस केस में दिग्विजय सिंह के बयान पर शिवराज सिंह चौहान का हमला

  • शिवराज ने कहा कि बांटने वाली विकृत मानसिकता का जवाब समाज खुद देगा

  • दिग्विजय ने ट्वीट में कहा था- देखते हैं बाबरी के दोषियों को क्या सजा मिल पाएगी

  • सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद में रामलला विराजमान के पक्ष में सुनाया फैसला



 

भोपाल
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसा है। दरअसल दिग्विजय ने बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने वालों को सजा देने की मांग की थी। शिवराज ने दिग्विजय पर निशाना साधते हुए कहा कि, विकृत मानसिकता को जवाब समाज स्वयं देगा।


एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को दिग्विजय सिंह के ट्वीट को टैग करते हुए ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा, 'मन आनंद और प्रसन्नता से भरा हुआ है। अयोध्या मामले का निर्णय आने के बाद सारा देश एकसाथ खड़ा है। प्रत्येक समाज के नागरिकों ने सामाजिक सौहार्द्र की मिसाल पेश की है। ऐसे में समाज में खाई पैदा करने का प्रयास करने वाले तथा समाज को बांटने वाली इस विकृत मानसिकता का जवाब समाज स्वयं देगा।'


बता दें कि एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्वीट करते हुए कहा था, 'सुप्रीम कोर्ट ने ने राम जन्मभूमि फैसले में बाबरी मस्जिद को तोड़ने के कृत्य को गैर कानूनी अपराध माना है। क्या दोषियों को सजा मिल पाएगी? देखते हैं। 27 साल हो गए।'


सुप्रीम कोर्ट का क्या है फैसला
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने शनिवार को सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया। निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया। कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने को कहा है।


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