बर्थडे पर पापा फैमिली के सामने डांस करवाते थे: आयुष्मान खुराना


हर किसी में कुछ न कुछ कमी होती है, ऐसे ही एक कमी आयुष्मान खुराना में भी थी। वह लोगों के बीच बात करने में घबराते थे। हालांकि, इस डर से बाहर निकालने में उनके पापा ने उनकी काफी मदद की और अब आयुष्मान हमारे सामने हैं।


यह साल आयुष्मान खुराना के करियर के लिहाज से बेहतरीन साल रहा है। इस साल उनकी सभी फिल्में हिट रहीं, 'अंधाधुन' ने तो उन्हें नैशनल अवॉर्ड दिला दिया। फिलहाल आयुष्मान अपनी नई फिल्म 'बाला' को लेकर चर्चा में हैं। इस मुलाकात में वह फिल्म से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी, नैशनल अवॉर्ड और करियर पर ढेर सारी बातचीत कर रहे हैं:

आपने जिस स्क्रिप्ट पर हाथ रख दिया, वह फिल्म सुपरहिट हो गई। राज क्या है?


 

राज तो वैसे कुछ नहीं है। मेरे मन को जो स्क्रिप्ट अच्छी लगती है, मैं कर लेता हूं। हमेशा जब मैं स्क्रिप्ट पढ़ रहा होता हूं या कहानी सुनता हूं, तो मेरे दिमाग में यही चल रहा होता है कि मैं यहां स्टार बनकर नहीं बल्कि ऑडियंस की तरह कहानी को सुनूंगा। मैं हर पहलू को देख परखकर स्क्रिप्ट को पढ़ता हूं और फिर हामी भरता हूं।


'बाला' की स्क्रिप्ट को हां कहने की क्या वजह रही?
बाला की बात करूं, तो यह लोगों से जुड़ी हुई स्क्रिप्ट है। हम जिस देश में रहते हैं और यहां के जो लोग हैं, वे बहुत ही कॉम्प्लेक्स तरह के इंसान हैं। बाला भी ठीक उसी तरह कॉम्प्लेक्स किरदार है। बाल न होने की वजह से उसमें कॉन्फिडेंस की कमी है। इस कहानी में यही दिखाया गया है कि अपनी कमी पर जीत हासिल करते हुए वह कैसे कॉन्फिडेंट बनता है। यह कहानी केवल गंजेपन पर नहीं है, बल्कि हम यह कहना चाह रहे हैं कि कैसे खुद से प्यार किया जाए। कैसे खुद को एक्सेप्ट किया जाए। फिल्म में हम इंसान के अंदर की कमियों पर बात कर रहे हैं।


असल जिंदगी में आप किसी चीज को लेकर कॉम्प्लेक्स रहे हैं और कैसे अपनी उस कमी पर विजय पाई?
मैं बहुत पतला था यार। कहीं भी जाता मुझे बहुत अजीब लगता था। इसके लिए मैंने जिम जाना शुरू किया और प्रोटीन खाया करता था। खुद पर मेहनत कर मैंने उस कॉम्प्लेक्स को खत्म कर लिया। इसके अलावा मुझे पब्लिक स्पीकिंग की भी बड़ी प्रॉब्लम थी। लोगों को शायद यकीन न हो, लेकिन मुझे लोगों के बीच बात करने में डर लगता था। जब मैं छोटा था, मेरे पापा जबरदस्ती मुझसे बर्थडे पर फैमिली के बीच सबके सामने डांस करवाते थे। उन्होंने जानबूझकर यह किया ताकि मैं अपनी पब्लिक स्पीकिंग कॉम्प्लेक्स से बाहर निकल सकूं। पापा का आज भी शुक्रगुजार हूं क्योंकि उन्हीं की वजह से यह प्रॉब्लम दूर हुई थी।


अगली फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान में आप गे किरदार निभाने जा रहे हैं। अमूमन बड़े स्टार्स ऐसे किरदारों से हिचकिचाते हैं। आपने इस बैरियर को कैसे तोड़ा?
मुझे लगता है कि यह सही टाइम है कि इस मुद्दे पर मेनस्ट्रीम फिल्म भी बननी चाहिए। होमोसेक्सुअलिटी पर जितनी भी फिल्में देखी हैं, वह पैरलल सिनेमा की रही हैं। उसके दर्शक काफी सीमित होते हैं। यह दूर-दराज जगहों पर नहीं पहुंच पाती है, लेकिन हमें उन तक फिल्म पहुंचानी है, जिसे लोग गलत मानते हैं। क्योंकि यह फिल्म वहां तक नहीं पहुंचेगी तो उनका मकसद पूरा नहीं हो पाएगा। 'शुभमंगल ज्यादा सावधान' का मकसद यही है कि हम ग्रास रूट लेवल तक पहुंचे। भले 377 धारा ध्वस्त हो गई हो लेकिन लोगों में स्वीकार्यता आज भी नहीं आई है। मुझे यकीन है कि इस फिल्म के जरिए कुछ न कुछ बदलाव तो जरूर आएगा।


नैशनल अवॉर्ड मिलने के बाद आपने अपनी जर्नी को लेकर एक बेहद ही खूबसूरत पोस्ट किया था। पीछे मुड़कर देखते हैं, तो कैसा महसूस करते हैं?
काफी संतुष्ट हूं अपनी जर्नी से। हालांकि हर दिन सपने सा ही है, आज भी यकीन नहीं होता है कैसे हो गया सबकुछ। पर यह नहीं कहूंगा कि मैंने सोचा नहीं था यह सब। मैंने सोचा था, तभी शायद यह हो पाया है। क्योंकि सपने देखना तो आपके हाथ में होता है। मैं खुशनसीब हूं कि मेरे सारे सपने पूरे हो रहे हैं। साथ ही आपके ईर्द-गिर्द ऐसे लोग भी होने चाहिए, जो आपको किसी बबल में न रखें। आप जो हो, वह सच आपको बताएं लेकिन मेरे दोस्त ऐसे हैं वे मुझे जमीन पर ही रखते हैं। ऐसे दोस्त होना बहुत जरूरी होता है। मुझे कोई रिग्रेट नहीं है। मुझे यह बात अच्छे से पता है कि हर शुक्रवार आपकी स्टैंडिंग बदलती है। इस इंडस्ट्री और शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया है। शुक्रगुजार हूं इस इंडस्ट्री और ऑडियंस का तो कोई मलाल नहीं है।


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