दिल्ली पुलिस के विरोध प्रदर्शन पर कमिश्नर अमूल्य पटनायक को किरण बेदी की सीख


मंगलवार को दिल्ली के पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन में किरण बेदी के नारे लगे थे। पुलिसकर्मियों ने कहा था कि उन्हें किरण बेदी जैसे सख्त फैसले लेने वाले अफसर की जरूरत है। अब किरण बेदी ने उनके प्रदर्शन को समर्थन दिया है।


नई दिल्ली
पुदुचेरी की उपराज्यपाल और पूर्व आईपीएस अफसर किरण बेदी ने वकीलों के हमले के खिलाफ दिल्ली पुलिस के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को उन्होंने लीडरशिप की सीख भी दी। उन्होंने कहा कि जब पुलिसकर्मी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करते हैं तो उन्हें उनके वरिष्ठों के द्वारा संरक्षण मिलना चाहिए। दरअसल, मंगलवार को जब पुलिसकर्मियों को मनाने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर अमूल्य पटनायक सामने आए थे तो वह स्पष्ट तौर पर पुलिसवालों के समर्थन में नहीं दिखे। उन्होंने यह जरूर कहा था कि हमारे लिए परीक्षा की घड़ी है। दिल्ली पुलिस के कर्मचारी अपने टॉप अधिकारी का समर्थन न मिलने और उनके रवैये से ज्यादा नाराज हो गए थे। कई पूर्व पुलिस अधिकारी भी मान रहे हैं कि लीडरशिप कमजोर है।



  • दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को किरण बेदी का सपॉर्ट

  • बोलीं, जब पुलिसकर्मी ईमानदारी से काम करते हैं तो लीडरशिप का संरक्षण जरूरी

  • बयान जारी कर पूर्व आईपीएस अफसर ने दिल्ली पुलिस प्रोटेस्ट पर रखी राय

  • 1988 की घटना का जिक्र कर कहा, उस समय तो विडियो भी नहीं थे

  • किरण बेदी ने क्या कुछ कहा
    पूर्व IPS अफसर किरण बेदी ने एक बयान जारी कर कहा, 'हम अधिकार और जिम्मेदारियों की बात करते हैं। पुलिस अधिकारियों के पास जीवन और संपत्ति की सुरक्षा और कानून का पालन कराने की कानूनी जिम्मेदारी है। उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है। सुरक्षा में नाकाम रहना उपेक्षा, कायरता और सहअपराध भी है।' उन्होंने कहा कि जब पुलिसकर्मी पुरुष और महिला अपनी ड्यूटी ईमानदारी, सख्ती, निडरता और जिम्मेदारी से करते हैं तो उन्हें उनके सीनियरों के द्वारा संरक्षण मिलना चाहिए।

  • किरण बेदी ने साफ कहा है कि यह लीडरशिप का कर्तव्य है कि अपनी प्रामाणिक ड्यूटी करने के लिए किसी को भी बिना जांच के दोषी या अपमानित न किया जाए। पुलिस के सभी ऐक्शन को दुर्भावनापूर्ण या प्रामाणिक में बांटा जा सकता है। ऐसे में विवादित ऐक्शन पर तत्काल जांच जरूरी होती है लेकिन इससे पहले किसी भी तरह से अपमानित न किया जाए। इससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और उनके परिवार को दुख होता है। पुलिस लीडरशिप को इसके लिए संवेदनशील होने की जरूरत है। पुलिस लीडरशिप के लिए ऐसे ऐक्शंस अहम होते हैं।

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    1988 की अपनी बात भी बताई
    बेदी ने आगे कहा, 'जैसा मैंने जनवरी 1988 में किया था। उस समय हमारे पास वायरल विडियो नहीं थे। अब तकनीकी बोलती है और समर्थन या खिलाफ में तथ्य भी देती है।' उन्होंने साफ कहा कि इस घटना से एक बार फिर हम सभी को सबक लेने की जरूरत है।

  • मंगलवार को किरण बेदी के लगे थे नारे
    मंगलवार को पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन में पूर्व आईपीएस अफसर किरण बेदी के नारे लगे थे। पुलिसकर्मियों ने कहा था कि उन्हें बेदी जैसा दमदार और कड़े फैसले लेने वाले अधिकारी की जरूरत है। दिल्ली पुलिस के कर्मी 'वी वॉन्ट जस्टिस' और 'हमारा CP कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो' के नारे लगा रहे थे। अब 24 घंटे बाद किरण बेदी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। किरण बेदी ने आज सुबह ट्वीट किया, 'लीडरशिप एक कैरेक्टर होता है जो जिम्मेदारी और सख्त फैसले लेता है।' उन्होंने आगे लिखा है कि मुश्किल समय चला जाता है पर सख्त फैसले की यादें हमेशा रहती हैं।

  • एक अन्य ट्वीट में किरण लिखती हैं, 'अधिकार और जिम्मेदारियां एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक नागरिक के तौर पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए। हम कोई भी और कहीं भी हों।' पूर्व आईपीएस अफसर ने कहा कि अगर हम कानून का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं तो कोई विवाद नहीं होता है।

  • आपको बता दें कि दबंग किरण बेदी मंगलवार को दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के बाहर सड़क पर उतरे हवलदार सिपाहियों को बहुत याद आईं। एक महिला हवलदार ने कहा, 'आज अगर किरण बेदी मैडम होतीं, तो हमें मजबूर होकर सड़क पर भला क्यों उतरना पड़ता? किरण मैडम (किरण बेदी) महकमे के हवलदार सिपाहियों की बहुत सुनती थीं। मैंने तो यही सुना है।'

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    क्या हुआ था 31 साल पहले
    31 साल पहले किरण बेदी जिला पुलिस उपायुक्त थीं। उस समय टकराव के बाद से ही बेदी और वकीलों में छत्तीस का आंकड़ा रहा। उस वक्त के दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी रवि पवार बताते हैं कि घटना सेंट स्टीफंस कॉलेज में एक शख्स के पकड़े जाने से हुई। संदिग्ध व्यक्ति को वहीं के लोगों ने पकड़ा था और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस उसे गिरफ्तार करके अगले दिन तीस हजारी अदालत में पेश करने के लिए ले गई। लेकिन वहां कुछ वकीलों ने उस व्यक्ति को पहचान लिया। दरअसल, पकड़ा गया व्यक्ति खुद वकील था।

    पुलिस का आरोप था कि अदालत में यह बात पता चलते ही कुछ वकील एकत्र हो गए और उन्होंने उस व्यक्ति को छुड़वा लिया। पुलिस का तर्क था कि उस व्यक्ति ने ही पूछताछ के दौरान अपने वकील होने की जानकारी पुलिस को नहीं दी थी। इस बीच एक अखबार ने उस वकील की गिरफ्तारी के बारे में खबर छाप दी और पुलिस अधिकारियों के हवाले से यह भी जानकारी दी गई कि किस तरह से वकीलों ने अभियुक्त को छुड़वाया। इसके बाद पुलिस और वकीलों में तनाव बढ़ने लगा। वकील एकत्र होकर पुलिस उपायुक्त किरण बेदी से मिलने के लिए उनके कार्यालय की ओर बढ़ने लगे।

    उस वक्त अचानक हिंसा भड़क गई और पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज कर दिया। वकील हड़ताल पर चले गए। वकीलों का आरोप था कि वे शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात रखने के लिए किरण बेदी से मिलने जा रहे थे लेकिन बेदी ने उन पर लाठीचार्ज करा दिया। उस वक्त वकील इस कदर नाराज थे कि उन्होंने अदालतों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। 90 दिन तक चली हड़ताल के बाद आखिरकार किरण बेदी को उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त पद से हटाया गया। तब यह हड़ताल खत्म हुई।


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