कहानी का अंत नहीं है चंद्रयान-2, भविष्य में कराएंगे सॉफ्ट लैंडिंग: के. सिवन


के. सिवन ने कहा, 'आप सभी लोग चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानते हैं। तकनीकी पक्ष की बात करें तो यह सच है कि हम विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं करा पाए, लेकिन पूरा सिस्टम चांद की सतह से 300 मीटर दूर तक पूरी तरह काम कर रहा था।'


चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग न हो पाने को लेकर इसरो चीफ के. सिवन ने कहा है कि भविष्य में इसका ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 कहानी का अंत नहीं हैं और भविष्य में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुखिया ने कहा कि आने वाले महीनों में कई अडवांस सैटलाइट्स की लॉन्चिंग की योजना है। उन्होंने कहा, 'आप सभी लोग चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानते हैं। तकनीकी पक्ष की बात करें तो यह सच है कि हम विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं करा पाए, लेकिन पूरा सिस्टम चांद की सतह से 300 मीटर दूर तक पूरी तरह काम कर रहा था।'


उन्होंने कहा कि हमारे पास बेहद कीमती डेटा उपलब्ध है। मैं आप लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि भविष्य में इसरो अपने अनुभव और तकनीकी दक्षता के जरिए सॉफ्ट लैंडिंग का हरसंभव प्रयास करेगा। इसरो के 50 साल पूरे होने के मौके पर के. सिवन ने आईआईटी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही।

उन्होंने कहा, 'चंद्रयान-2 स्टोरी का अंत नहीं है। हमारा आदित्य L1 सोलर मिशन, ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम ट्रैक पर है। आने वाले महीनों में हम कई अडवांस सैटलाइट्स को लॉन्च करने वाले हैं। एसएसएलवी दिसबंर या जनवरी में अपनी उड़ान भरेगा। 200 टन सेमी-क्रायो इंजन की टेस्टिंग जल्दी ही शुरू हो जाएगी। मोबाइल फोन पर NAVIC सिग्नल भेजने पर भी जल्दी ही काम शुरू हो जाएगा।'

कहा, जब मैं ग्रैजुएट हुआ, तब नहीं थे ज्यादा अवसर

भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए आईआईटी को बेहद महत्वपूर्ण करार देते हुए के. सिवन ने कहा कि मैं तीन दशक पहले आईआईटी बॉम्बे से ग्रैजुएशन किया था। तब जॉब की स्थिति आज जैसी नहीं थी। उन्होंने कहा कि उस दौर में स्पेशलाइजेशन के क्षेत्र में सीमित ही विकल्प थे, लेकिन आज काफी अवसर हैं। इसके अलावा आज के दौर में अस्थिरता, अनिश्चितता और जटिलता बढ़ी है। हालांकि उन्होंने आईआईटी के छात्रों से कहा कि आप सभी लोग इन सभी स्थितियों से निपटने में पिछली पीढ़ी के मुकाबले ज्यादा सक्षम हैं।


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