लोन इंट्रेस्ट रेट उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर के साथ जुड़ा नहीं था, इसलिए बहुत अच्छे स्कोर वाले लोगों के साथ कम क्रेडिट स्कोर वाले उधारकर्ताओं के समान ही बर्ताव किया जा रहा था। लेकिन अब अच्छे क्रेडिट स्कोर वालों को कम ब्याज दर पर लोन मिलने लगा है।
- अब क्रेडिट स्कोर के आधार पर लोन का ब्याज दर भी तय हो रहा है
- पहले क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल यह पता करने के लिए होता था कि किसी व्यक्ति को लोन देना सही होगा या नहीं
- आरबीआई के निर्देश पर लोन का इंट्रेस्ट रेट रीपो रेट से जुड़ने के कारण क्रेडिट स्कोर का महत्व बढ़ गया
- अब अच्छा क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति को सस्ती ब्याज दर पर लोन मिलेगा
आदिल शेट्टी
क्रेडिट स्कोर से एक व्यक्ति की वित्तीय सेहत का पता चलता है। कर्ज देने वाले बैंक या नॉन-बैंकिंग कंपनियां क्रेडिट स्कोर से ही पता लगाती हैं कि किसी व्यक्ति को कर्ज दिया जा सकता है या नहीं। 750 या उससे अधिक नंबर वाला क्रेडिट स्कोर एक अच्छे फाइनैंशल हेल्थ की तरफ इशारा करता है जबकि कम स्कोर से खराब फाइनैंशल हेल्थ का संकेत मिलता है। इसलिए एक अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति को आम तौर पर आसानी से लोन मिल जाता है। यानी, हमारे पर्सनल फाइनैंस के मामले में क्रेडिट स्कोर का बहुत महत्व है।
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में बैंक लोन को जरूरी तौर पर रीपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से लिंक करने का आदेश दिया है जिससे क्रेडिट स्कोर का महत्व बढ़ गया है क्योंकि अब लोन इंट्रेस्ट रेट को लोन के लिए अप्लाइ करने वाले के क्रेडिट स्कोर के अनुसार कैलिब्रेट किया जा रहा है। ऐसे में भविष्य में अपनी लोन से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्रेडिट स्कोर के सभी पहलुओं को समझना बेहद जरूरी है।
जानें, कैसे सुधारें अपना क्रेडिट स्कोर
सारे लोन क्रेडिट स्कोर से जुड़े होते हैं
इससे पहले सभी बैंक और अन्य लोन कंपनियां, लोन के लिए अप्लाइ करने वाले के क्रेडिट प्रोफाइल का मूल्यांकन करने के बाद लोन देती थीं। इससे उन उधारकर्ताओं को भी लोन मिल जाता था जिन्होंने अतीत में अन्य लोन कंपनियों का लोन चुकाने में डिफॉल्ट किया था। बाद में लगातार कई सुधार कार्यों के कारण सभी अलग-अलग लोन के बारे में क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट करने के लिए क्रेडिट स्कोर वाला सिस्टम शुरू हो गया। इससे लोन डिफॉल्टरों को किसी दूसरे लोन के लिए अप्लाइ करना या उन्हें कोई दूसरा लोन मिलना कठिन हो गया।
हालांकि, लोन इंट्रेस्ट रेट उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर के साथ जुड़ा नहीं था, इसलिए बहुत अच्छे स्कोर वाले लोगों के साथ कम क्रेडिट स्कोर वाले उधारकर्ताओं के समान ही बर्ताव किया जा रहा था। हाल ही में आरबीआई ने सभी कमर्शल बैंकों को अपने रिटेल लोन को रीपो रेट जैसे किसी क्वॉलिफाइड बाहरी बेंचमार्क रेट के साथ लिंक करने का आदेश दिया है। इस नियम से पहले बैंक अपनी आतंरिक नीतियों के अनुसार लोन का इंट्रेस्ट रेट घटाते या बढ़ाते थे।
यह है क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल का सही तरीका
क्रेडिट स्कोर पर तय होगी ब्याज दर
आरबीआई ने इस नए सिस्टम के तहत लोन कंपनियों को बाहरी बेंचमार्क के अलावा क्रेडिट रिस्क प्रीमियम चार्ज करने का ऑप्शन दिया है जिससे उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर, इंट्रेस्ट रेट का निर्धारण करने में मदद करने वाला एक निर्णयकारी कारक बन गया है। इसलिए, क्रेडिट स्कोर कम रहने पर बैंकों द्वारा अधिक रिस्क प्रीमियम और क्रेडिट स्कोर अधिक रहने पर कम रिस्क प्रीमियम लिया जा सकता है। अधिकांश बैंकों ने अब अपने रिटेल लोन जैसे पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन आदि को रीपो रेट के साथ लिंक कर दिया है। इसलिए, यदि आप लोन के लिए अप्लाइ करने की सोच रहे हैं तो याद रखें कि आपके क्रेडिट स्कोर के आधार पर बैंकों द्वारा चार्ज किए जाने वाले क्रेडिट रिस्क प्रीमियम के आधार पर इंट्रेस्ट रेट अलग-अलग हो सकता है।
दूर कर लें क्रेडिट स्कोर से जुड़ीं ये गलतफहमियां
अधिक और कम क्रेडिट स्कोर के कारण इंट्रेस्ट रेट में अंतर
कई बैंकों ने अब अपने इंट्रेस्ट रेट को उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर के आधार पर वर्गीकृत कर दिया है। बैंकों द्वारा लिया जाने वाला इंट्रेस्ट रेट, उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर के आधार पर काफी अलग हो सकता है। जैसा कि नीचे दिए गए टेबल में दिखाया गया है, 750 से कम क्रेडिट स्कोर वाले उधारकर्ताओं के कार लोन का इंट्रेस्ट रेट 8.6 से 9.45 प्रतिशत प्रति वर्ष के आसपास है जबकि 750 से अधिक क्रेडिट स्कोर वाले उधारकर्ताओं के लिए यह 8.55 से 9.05 प्रतिशत प्रति वर्ष के आसपास है।
इसी तरह होम लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन और अन्य रिटेल लोन के इंट्रेस्ट रेट्स को वर्गीकृत किया गया है। किसी व्यक्ति को लोन तभी दिया जाता है जब उसका क्रेडिट स्कोर 750 या उससे अधिक होता है।
ऐसे पता करें, कितना है आपका क्रेडिट स्कोर
इन बातों पर रखें ध्यान
लोन के लिए अप्लाइ करने से पहले अपने क्रेडिट स्कोर का पता लगाएं। अच्छी तरह देख लें कि आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में हाल के लेनदेन जैसे ईएमआई पेमेंट और लोन क्लोजर की ताजा जानकारी शामिल हो। यदि आपका क्रेडिट स्कोर कुछ अस्थायी कारणों से जैसे एक क्रेडिट कार्ड सरेंडर करने, बहुत ज्यादा क्रेडिट का इस्तेमाल करने इत्यादि के कारण कम हो गया है तो एक लोन के लिए अप्लाइ करने से पहले अपडेटेड क्रेडिट स्कोर के दिखाई देने तक इंतजार करने में ही बुद्धिमानी है।
उदाहरण के लिए, एक महीने में बहुत ज्यादा लेनदेन के कारण आपके क्रेडिट कार्ड का उपयोग अनुपात बढ़ गया है जिसकी वजह से आपका क्रेडिट स्कोर 750 के स्तर से नीचे चला गया है। इस समय एक लोन के लिए अप्लाइ करने से बैंक आपसे ज्यादा इंट्रेस्ट रेट चार्ज कर सकता है लेकिन यदि आप कुछ सप्ताह इंतजार करते हैं और अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने का उपाय करते हैं तो आपको इंट्रेस्ट बचाने में मदद मिल सकती है।
अच्छा क्रेडिट स्कोर और खर्च के बाद बच रहा पैसा, लोन के लिए काफी नहीं
हाल में आई खबरों के अनुसार पश्चिमी देशों में लोग डेटिंग या शादी करने से पहले अपने पार्टनर की विश्वसनीयता का मूल्यांकन करने के लिए उनका क्रेडिट स्कोर देखने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, यदि आपका अपना क्रेडिट स्कोर कम है तो एक अच्छे क्रेडिट स्कोर वाला पार्टनर आपको लोन दिलाने में भी मदद कर सकता/सकती है और इससे आप दोनों का कम्बाइंड क्रेडिट स्कोर बेहतर हो सकता है और कम रेट पर क्रेडिट मिल सकता है।
यदि आप ड़ा लोन लेने की सोच रहे हैं तो अपनी क्रेडिट कपैसिटी को बढ़ाने और अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने के लिए अपने पुराना लोन क्लोज करने और क्रेडिट कार्ड के बाकी अमाउंट चुकाने की कोशिश करें।
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