मध्य प्रदेश: टाइगर रिजर्व एरिया में लगे 'चमत्कारी' महुआ पेड़ को देखने पहुंच रहे लाखों लोग


कुछ लोग तो पेड़ की छाल तक घर ले जाकर पूजा कर रहे हैं। रोजाना करीब 10 हजार से अधिक लोगों का हुजूम यहां इकट्ठा रहता है। कुछ लोग यहां अपनी गंभीर बीमारी के ठीक होने की उम्मीद लेकर आते हैं तो कुछ मुराद मांगने आते हैं।


भोपाल
मध्य प्रदेश का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में लगे महुआ पेड़ को पूजने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। इस वजह से यह संवेदनशील वन क्षेत्र मेला ग्राउंड में तब्दील हो गया है जो ईकोसिस्टम के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। रविवार और बुधवार को यह भीड़ लाखों की संख्या तक पहुंच जाती है जिससे स्थानीय वन विभाग के कमर्चारी और पुलिसकर्मियों को स्थिति संभालने के लिए सामने आना पड़ता है।


कुछ लोग तो पेड़ की छाल तक घर ले जाकर पूजा कर रहे हैं। रोजाना करीब 10 हजार से अधिक लोगों का हुजूम यहां इकट्ठा रहता है। कुछ लोग यहां अपनी गंभीर बीमारी के ठीक होने की उम्मीद लेकर आते हैं तो कुछ मुराद मांगने आते हैं। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इस पेड़ को छूने से बीमारी नहीं होती, तो कुछ सिर्फ उत्सुकता के लिए इस पेड़ को देखने आते हैं।

वॉट्सऐप में वायरल मेसेज से जुटने लगे लोग
स्थानीय एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी ने बताया, 'जिस तरह से हर दिन लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है कुछ करने की जरूरत है। जंगल के अंदर कोई अनहोनी भी हो सकती है।' उन्होंने बताया कि नवरात्रि के दौरान, वॉट्सऐप पर ऐसा मेसेज वायरल हुआ कि इस पेड़ में जादुई शक्तियां हैं। शुरुआत में लोग सिर्फ जिज्ञासावश इसे देखने के लिए आते थे, धीरे-धीरे यह बड़ी भीड़ में तब्दील हो गया।

जंगल में घुस रहा अगरबत्ती का धुआं
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 524 वर्ग किमी तक फैला हुआ है। बोरी और पचमढ़ी वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी इससे लगा हुआ है, जिस वजह से यह 2200 वर्ग किमी का सेंट्रल इंडियन हाईलैंड इकोसिस्टम बनाता है। इस पेड़ की खोज के बाद लाखों अगरबत्तियों का धुआं जंगल में प्रवेश कर रहा है जिससे यहां के पेड़ों और वनस्पतियों को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं जानवरों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर हो रहा है।

लोगों को समझाने में जुटा वन विभाग
वन विभाग के सदस्य लोगों को लगातार बता रहे हैं कि इस पेड़ में ऐसी कोई जादुई शक्ति नहीं है, यह एक मिथक है लेकिन फिर भी लोग मान नहीं रहे हैं। वन कर्मचारी लोगों को रोकने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं लेकिन फेल होने पर उन्हें लग रहा है कि इन्हें अब नियंत्रित करने की सख्त जरूरत है।


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