बीजेपी उप मुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने पर तो राजी हो गई है लेकिन साथ ही उसने यह भी साफ कर दिया है कि प्रमुख और संवेदनशील विभागों के बंटवारे में उसी की ही चलेगी।
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी में बीजेपी ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। बीजेपी उप मुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने पर तो राजी हो गई है लेकिन साथ ही उसने यह भी साफ कर दिया है कि प्रमुख और संवेदनशील विभागों के बंटवारे में उसी की ही चलेगी।
बीजेपी के सूत्रों ने संकेत दिया है कि पार्टी का मानना है कि शिवसेना की जिद के चलते उसे उसकी सीटों की संख्या से ज्यादा कुछ नहीं दिया जाना चाहिए। अगर 7 नवंबर तक प्रदेश में नई सरकार नहीं बन जाती तो राष्ट्रपति शासन की आशंका बन जाएगी, यह ऐसी स्थिति है जिससे बीजेपी और शिवसेना दोनों ही बचना चाहेंगे।
विपक्षी खेमा ज्यादा सक्रिय हुआ है
बीजेपी ने यह सख्त रुख ऐसे समय में अपनाया है जब विपक्षी खेमा ज्यादा सक्रिय हो गया है। हाल ही में महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मिले और उनसे अनुरोध किया कि 'सांप्रदायिक ताकतों' को हराने और बीजेपी को प्रदेश में सरकार बनाने से रोकने के लिए हर मुमकिन कदम उठाना चाहिए।
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विपक्ष की मंशा है और गहराएं मतभेद
विपक्ष के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और एनसीपी के खेमे की कोशिश है कि बीजेपी-शिवसेना सरकार न बने और दोनों के बीच मतभेद और गहरा जाएं। शिवसेना और एनसीपी नेताओं की हाल में हुई मुलाकातों से किसी नाटकीय गठबंधन की अटकलें और तेज हुई हैं।
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सोमवार को सोनिया से मिल सकते हैं पवार
शनिवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दोहराया था कि उनकी पार्टी को विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश मिला है। उम्मीद है कि सोमवार को वह सोनिया गांधी से मिलकर राज्य के राजनीतिक हालात पर चर्चा करेंगे।
'शिवसेना के प्रस्ताव पर विचार करे कांग्रेस'
कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर शिवसेना कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आती है तो पार्टी हाई कमान को उस पर विचार करना चाहिए। वैसे बीजेपी नेता इस बात पर एकमत हैं कि शिवसेना की उस धमकी के आगे घुटने न टेके जाएं जिनमें कहा गया था कि या तो आधे मंत्रीपद उन्हें दिए जाएं नहीं तो वह और विकल्पों पर विचार करेगी।
राष्ट्रपति शासन वाली टिप्पणी से नाराज थी शिवसेना
हालांकि निवर्तमान फडणवीस सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी बयान पर शिवसेना ने नाराजगी जताई थी। इस पर शिवसेना ने सामना में लिखा, 'राष्ट्रपति तुम्हारी जेब में हैं क्या? राष्ट्रपति की मुहर वाला रबर स्टैंप राज्य के बीजेपी कार्यालय में ही रखा हुआ है। अगर महाराष्ट्र में हमारा शासन नहीं आया तो स्टैंप का प्रयोग करके बीजेपी राष्ट्रपति शासन का आपातकाल लाद सकती है। इस धमकी का जनता ये अर्थ समझे क्या?' लेकिन शनिवार को शिवसेना के एमपी संजय राउत के इस बयान में नरमी देखी गई जिसमें कहा गया था कि, 'शिवसेना ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था और हम आखिरी पल तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।'
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