निर्भया केस : 4 दोषियों में से 3 आज सु्प्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे दया याचिका


पूरे देश को हिलाकर रख देनेवाले निर्भया गैंगरेप केस के 4 आरोपियों में से 3 आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। सजा सुनाए जाने के डेढ़ साल बाद भी अभी तक 4 में से किसी दोषी को फांसी की सजा नहीं दी गई है।


नई दिल्ली
निर्भया गैंगरेप केस के 4 दोषियों ने फांसी की सजा से बचने के लिए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के अनुसार, चारों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के डेढ़ साल बाद भी सजा से दूर हैं। तिहाड़ प्रशासन ने निर्भया के चारों दोषियों को दया याचिका दाखिल करने के लिए आखिरी 7 दिन का समय दिया था, जिसका मियाद आज पूरी हो रही है।



  • सुप्रीम कोर्ट ने करीब डेढ़ साल पहले चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी

  • आज अक्षय क्यूरेटिव पिटिशन फाइल करेगा जबकि पवन और विनय रिव्यू पिटिशन फाइल करेंगे

  • 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था

  • चारों दोषियों तिहाड़ प्रशासन ने 1 सप्ताह पहले ही नोटिस जारी कर 7 दिन की डेडलाइन दी थी

  • दया की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 3 दोषी
    निर्भया के 3 गुनहगारों ने अक्षय, पवन और विनय आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। अक्षय सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल करेगा जबकि विनय और पवन क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करेंगे। अभी तक चौथे दोषी मुकेश के बारे में जानकारी नहीं मिली है कि वह दया याचिका दाखिल करेगा या नहीं।निर्भया के दोषियों को जेल प्रशासन ने दिया था नोटिस
    सजा सुनाए जाने के आदेश के बाद भी अब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हो सका है। इसकी वजह कानूनी प्रावधानों की पेचीदगी और अस्पष्टता है। सजा सुनाए जाने के करीब डेढ़ साल बाद दोषियों को नोटिस दे दिए हैं कि अगर वे सजा-ए-मौत में कोई रियायत चाहते हैं तो 7 दिन के भीतर राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल करें।

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    सजा में देरी से निराश हैं निर्भया के पैरंट्स
    निर्भया के पिता ने बताया कि पिछले साल 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 3 मुजरिमों की रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी थी। उसके बाद से मुजरिमों ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं की और चौथे ने रिव्यू पिटिशन भी दाखिल नहीं की। क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए अगर समयसीमा नहीं है तो इसका फायदा मुजरिमों को कैसे उठाने दिया जा सकता है? उनका मानना है कि पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने मुजरिमों को फांसी की सजा सुनाई, तभी संबंधित अथॉरिटी को मुजरिमों मर्सी या क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए एक तय समय सीमा देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और डेढ़ साल बीत गए।


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