परफॉर्मेंस से तय होगी प्राइवेट बैंकों के CEOs की आधी सैलरी: RBI


कॉम्पनसेशन का बड़ा हिस्सा यानी कम से कम 50% हिस्सा वेरिएबल के तौर पर रखना होगा और टॉप ऑफिसर्स को इस हिस्से का पेमेंट इंडिविजुअल, बिजनस यूनिट और कंपनी के आधार पर उनके परफॉर्मेंस का समुचित आकलन करने वाले मानकों के हिसाब से करना होगा।




  • टॉप ऑफिसर्स को इस हिस्से का पेमेंट इंडिविजुअल, बिजनस यूनिट, कंपनी के आधार पर उनके परफॉर्मेंस मानकों के हिसाब से करना होगा

  • RBI ने कहा, सिस्टम में मटीरियल रिस्क टेकर्स के अलावा कंट्रोल फंक्शन वाले स्टाफ को भी लाया जाना चाहिए

  • जिन रोल्स में ज्यादा रेस्पॉन्सिबलिटी हो उनमें वेरिएबल पे का अनुपात ज्यादा होना चाहिए: RBI

  • रिजर्व बैंक ने कहा है कि कॉम्पनसेशन को हर तरह के रिस्क के हिसाब से अजस्ट किया जाना चाहिए



 

कोलकाता
प्राइवेट सेक्टर बैंकों में 'पे फॉर परफॉर्मेंस' के सिद्धांत के साथ समुचित न्याय हो, इसके लिए उन्हें चीफ एग्जिक्यूटिव्स और होल टाइम डायरेक्टर्स की कम से कम आधी सैलरी उनके इंडिविजुअल और कंपनी लेवल परफॉर्मेंस से जोड़नी होगी। यह बात सोमवार को रिजर्व बैंक ने कही। बैंकिंग रेगुलेटर ने कहा, 'कॉम्पनसेशन का बड़ा हिस्सा यानी कम से कम 50% हिस्सा वेरिएबल के तौर पर रखना होगा और टॉप ऑफिसर्स को इस हिस्से का पेमेंट इंडिविजुअल, बिजनस यूनिट और कंपनी के आधार पर उनके परफॉर्मेंस का समुचित आकलन करने वाले मानकों के हिसाब से करना होगा। इस सिस्टम में मटीरियल रिस्क टेकर्स के अलावा कंट्रोल फंक्शन वाले स्टाफ को भी लाया जाना चाहिए।'


ने कहा है कि जिन रोल्स में ज्यादा रेस्पॉन्सिबलिटी हो उनमें वेरिएबल पे का अनुपात ज्यादा होना चाहिए। इसकी लिमिट फिक्स्ड पे के 300% तक हो सकती है। टॉप एग्जिक्यूटिव्स में शॉर्ट टर्म गेन्स के लिए जरूरत से ज्यादा रिस्क लेने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के मकसद से 2012 में वेरिएबल पे को सालाना फिक्स्ड पे के 70% तक लिमिट करने के बाद पहली बार उनके कॉम्पनसेशन रूल्स में बदलाव किया गया है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि कॉम्पनसेशन को हर तरह के रिस्क के हिसाब से अजस्ट किया जाना चाहिए और कॉम्पनसेशन रिस्क से हासिल होने वाले नतीजों के हिसाब से होना चाहिए। RBI ने पुराने नियमों की समीक्षा इंटरनैशनल लेवल पर अपनाए जाने वाले तौर तरीकों में हो रहे विकास और इन सबके बारे में हासिल अनुभव के आधार पर की है। RBI की कवायद का मकसद मिसकंडक्ट रिस्क घटाने के लिए गाइडलाइंस का अलाइनमेंट करना रहा है।

आरबीआई का कहना है कि बैंक की फाइनैंशल परफॉर्मेंस खराब होने पर होल टाइम डायरेक्टर और मटीरियल रिस्क टेकर्स को उनके टोटल वेरिएबल पे के 60% हिस्से की पेमेंट को न्यूनतम तीन साल के लिए टालना होगा और उसमें क्लॉबैक अरेंजमेंट करना होगा। टॉप एग्जिक्यूटिव्स के कॉम्पनसेशन से जुड़े नए रूल्स 1 अप्रैल 2020 से लोकल एरिया बैंकों, स्मॉल फाइनैंस बैंकों और पेमेंट्स बैंकों सहित सभी प्राइवेट सेक्टर बैंकों पर लागू होंगे। रेगुलेटर का कहना है कि वेरिएबल पे शेयर लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स के अलावा कैश और शेयर लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स के मिक्स के रूप में हो सकते हैं। RBI ने कहा, 'वेरिएबल पे में कैश और शेयर लिंक्ड कंपोनेंट का समुचित संतुलन होना चाहिए। जिन मामलों में शेयर लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए वेरिएबल पे देने की इजाजत नहीं होगी सिर्फ उन्हीं में पूरा वेरिएबल पे कैश में दिया जा सकेगा।'


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