सिर्फ वकीलों की मारपीट नहीं, सीनियर्स का रवैया भी था पुलिसवालों के गुस्से की वजह


राजधानी दिल्ली में पुलिसवालों ने मंगलवार को करीब 10 घंटे प्रदर्शन किया। मांगों पर विभिन्न आश्वासन के बाद पुलिसवाले पीछे हट गए। लेकिन यह धरना सिर्फ तीस हजारी की घटना की वजह से नहीं था। बल्कि सीनियर्स के रवैये की वजह से भी था।


वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच पैदा हुए तनाव के बीच मंगलवार को हजारों की तादाद में पुलिसकर्मी और उनके परिजन न्याय की मांग लेकर सड़कों पर उतर पड़े। दिल्ली के इतिहास में पुलिसवालों ने ऐसा पहले कभी नहीं किया। लोगों को महफूज रखने के जिम्मेदार इन लोगों के गुस्से के पीछे कई वजह रहीं। इसमें वकीलों द्वारा पुलिस पर हमले के साथ-साथ लीडरशिप से भरोसा उठना भी शामिल रहा। पुलिसवाले लंबे वक्त से ऐसा महसूस कर रहे हैं कि कई मामलों में उनको सीनियर्स का साथ नहीं मिलता।



  • दिल्ली पुलिस पहली बार प्रदर्शन पर उतरी, अफसर मनाते रहे, 10 घंटे बाद मानी

  • मारपीट की घटनाओं से गुस्साए एक हजार से ज्यादा पुलिसवाले और उनके परिजन सड़क पर थे

  • पुलिसवालों में यह गुस्सा मारपीट की घटनाओं और सीनियर्स के रवैये की वजह से था

  • पुलिसवालों ने ऐसी तख्तियां और पोस्टर लहराए, जिनमें लिखा था कि कमजोर नेतृत्व नहीं, किरण बेदी की जरूरत है

  • पुलिसवालों में यह गुस्सा सिर्फ तीस हजारी कोर्ट की घटना की वजह से नहीं था। बल्कि यह पिछले दो साल से हुए बदलावों के खिलाफ भी था। निचली रैंक के पुलिसवालों को लगता है कि जिन मामलों में पुलिस को कड़ा रुख या एकजुटता दिखानी थी, उनमें प्रेशर में आकर फैसले लिए गए।

    पहले भी नहीं लिया था वकीलों पर ऐक्शन
    पिछले साल अक्टूबर में तीस हजारी जैसी घटना शाहदरा कोर्ट में हुई थी। वहां वकील ने युवा पुलिसवाले से झगड़ा किया और उसके मुंह पर ग्लास में भरा पानी फेंक दिया। उस घटना को याद करते हुए एक पुलिसवाले ने कहा, 'ऐक्शन तो छोड़िए, उल्टा हमें निर्देश दिए गए कि वकील के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं करना है।' तीस हजारी वाले केस में भी एक महिला डीसीपी बदसलूकी के बावजूद केस नहीं कर पाईं। उस वक्त साथियों ने उनकी आंखों में बेबसी के आंसू भी देखे थे।

    एक पूर्व कमिश्नर ने नाम न जाहिर होने की इच्छा पर कहा कि यह गुस्सा टॉप लीडरशिप के खिलाफ था। तीस हजारी वाले मामले में दो पुलिस अफसरों को ट्रांसफर किया गया, लेकिन सीनियर्स ने इसका विरोध तक नहीं किया।

  • लीडरशिप से उठा भरोसा
    इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस की सीनियर लीडरशिप के रवैये से भी निचली रैंक के पुलिसकर्मी खासे खफा नजर आए। पुलिस कमिश्नर व अन्य सीनियर अफसरों की चुप्पी से पुलिसकर्मियों के बीच यह मैसेज गया कि अफसरों को उनकी कोई चिंता नहीं है और वर्दी पहने ड्यूटी पर पिटने के बावजूद उनका ही महकमा उनका साथ नहीं दे रहा। यही वजह थी कि मंगलवार को प्रोटेस्ट कर रहे पुलिसकर्मी पूर्व पुलिस कमिश्नर किरण बेदी और रिटायर्ड अफसर दीपक मिश्रा का हवाला देते हुए मजबूत नेतृत्व की मांग करते दिखे। कई पुलिसकर्मियों का मानना था कि उनकी लीडरशिप भारी दबाव में।

    सभी मांगों पर आश्वासन के बाद माने पुलिसकर्मी

    10 घंटे जारी रहा प्रदर्शन, भरोसा दिया जाने के बाद उठे
    विभिन्न मांगों को लेकर आईटीओ पर पुलिसवालों का प्रदर्शन करीब 10 घंटे जारी रहा। इस बीच पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक भी उनसे मिलने आए। उन्होंने काम पर लौटने की गुजारिश की, लेकिन पुलिसवाले नहीं माने। फिर 10 घंटे बाद कुछ मांगों पर आश्वासन मिलने के बाद पुलिसवाले वहां से हटे और काम पर लौटे।


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