वॉट्सऐप की पॉप्युलैरिटी खतरे में, भारतीयों को पसंद आ रहा Telegram



इसमें कोई दो राय नहीं कि वॉट्सऐप इस वक्त दुनिया का सबसे पॉप्युलर इंस्टैंट मेसेंजिंग ऐप है। हालांकि, यूजर प्रिवेसी को लेकर इस पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। हाल ही में पेगासस स्पाइवेयर अटैक मामले ने वॉट्सऐप पर यूजर्स की सिक्यॉरिटी और प्रिवेसी की पोल खोल दी है। यही कारण है कि भारतीय यूजर अब वॉट्सऐप का विकल्प ढूंढने लगे हैं। वॉट्सऐप के विकल्प के तौर पर भारतीयों को Telegram काफी पसंद आ रहा है और इसके यूजर्स की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।

तेजी से बढ़ रहे यूजर
भारत मे इस वक्त वॉट्सऐप के मंथली यूजर्स की संख्या 40 करोड़ है, लेकिन टेलिग्राम इसे चुनौती देने की राह पर तेजी के आगे बढ़ता दिख रहा है। पिछले 9 महीनों में भारत में टेलिग्राम के मंथली ऐक्टिव यूजर्स की संख्या में 60 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है।

सितंबर में 90 लाख से ज्यादा इंस्टॉल
जून 2017 में टेलिग्राम के ग्लोबल यूजर्स में भारतीयों की संख्या 2 प्रतिशत थी जो सितंबर 2019 में बढ़कर 12 प्रतिशत हो गई। इतना ही नहीं, इस साल इस ऐप को इंस्टॉल किए जाने की गति में भी तीन गुना बढ़त हुई है। ऐप इंटेलिजेंस फर्म सिमिलर वेब के मुताबिक सितंबर में टेलिग्राम को 91 लाख यूजर्स ने इंस्टॉल किया। जनवरी में यह संख्या 36 लाख थी।

सिग्नल भी बन रहा वॉट्सऐप का विकल्प
वॉट्सऐप का एक और विकल्प जो धीरे-धीरे उभर कर सामने आ रहा है वह है Signal. ओपन सोर्स और अधिक सिक्यॉर होने के बावजूद इस ऐप के 2019 में मंथली ऐक्टिव भारतीय यूजर्स की संख्या केवल 70 हजार रही। सिग्नल ऐप को प्रिवेसी ऐडवोकेट जैसे एडवर्ड स्नोडेन का भी काफी सपॉर्ट है।


साइबर सिक्यॉकिटी स्पेशलिस्ट्स की अलग राय



साइबर सिक्यॉकिटी स्पेशलिस्ट्स ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि टेलिग्राम और सिग्नल यकीनन ज्यादा सुरक्षित मेसेजिंग प्लैटफॉर्म्स हैं। हालांकि, यह भी सच है कि वॉट्सऐप के ताजा स्पाइवेयर मामले के कारण उसके यूजर बेस को खास नुकसान नहीं होगा।


टेलिग्राम का एनक्रिप्शन प्रोटोकॉल जबरदस्त


साइबर सिक्यॉरिटी फर्म Lucideus के को-फाउंडर राहुल त्यागी ने कहा, 'टेलिग्राम की सबसे बड़ी खासियत है कि जो भी कुछ उस ऐप में होता हो वह ऐप के अंदर ही रहता है। वॉट्सऐप के साथ ऐसा नहीं है क्योंकि यूजर प्रिवेसी के मामले में इसपर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं। वॉट्सऐप का फेसबुक कनेक्शन इसकी एक वजह मानी जा सकती है।' वे आगे कहते हैं कि टेलिग्राम का एनक्रिप्शन प्रोटोकॉल 'MTProto' ट्रांजिट के दौरान मेसेजेस को हमेशा सिक्यॉर और छिपा के रखने का काम करता है। वहीं सिग्नल का एन्क्रिप्शन सिस्टम सभी मेटाडेटा को वर्चुअली छिपा के रखता है।


टेलिग्राम का यह फीचर पैदा कर सकता है परेशानी


चेन्नै के एक बिजनेसमैन विजय आनंद ने बताया कि वे टेलिग्राम और सिग्नल को लगभग दो साल से यूज कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब उन्होंने वॉट्सऐप का इस्तेमाल कम कर दिया है और उनके सर्कल में भी लोगों टेलिग्राम को अपनाने की शुरुआत कर दी है। वहीं, दूसरी तरफ सुजीत खुराना नाम के यूजर ने टेलिग्राम के 'secret chat' फीचर का हवाला देते हुए कहा कि यह मेसेजेस को तय समय सीमा के बाद डिलीट कर देता है। ऐसे में इस ऐप की तरफ चरमपंथियों का भी काफी झुकाव काफी बढ़ रहा है।


Comments