स्पैनिश फ्लू: इस महामारी से चली गई थी 14 लाख भारतीयों का जान

महामारी बन चुके कोरोना वायरस का खौफ पूरी दुनिया में छाया हुआ है। दुनियाभर में अभी तक इस जानलेवा वायरस की वजह से पांच हजार लोगों की जान जा चुकी है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। देश में इससे संबंधित 80 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। 2 लोग जान गंवा चुके हैं। फिलहाल केंद्र और राज्य सरकारें इस गंभीर वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी कदम उठा रही हैं।


क्या आपको पता है कि कोरोना वायरस से पहले भी दुनिया में एक फ्लू ने कहर ढाया था। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान 1918 में फैले स्पैनिश फ्लू ने दुनियाभर में 5 करोड़ से 10 करोड़ लोगों को अपना शिकार बनाया था। भारत में भी इस फ्लू ने जमकर तांडव मचाया था। जानकारी के मुताबिक, उस समय देश में 14 लाख लोग इस बीमारी का शिकार बने थे।

स्पैनिश फ्लू ने जमकर मचाया था तांडव
जानलेवा स्पैनिश फ्लू ने जून 1918 में भारत में पहली बार एंट्री की, उस समय बॉम्बे में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। इसकी मुख्य वजह इस शहर में काफी भीड़भाड़ का होना था। 10 जून, 1918 को 7 पुलिसकर्मियों को बुखार की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद अगले कुछ हफ्तों में ये बीमारी बेहद तेजी से फैली। कई कंपनियों के कर्मचारी इसका शिकार बन गए। इनमें शिपिंग फर्म, बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट के कर्मचारी भी थे। इनके अलावा हॉन्गकॉन्ग और शंघाई बैंक के कर्मचारियों के अलावा और भी संस्थाओं में काम करने वाले इस गंभीर बीमारी की चपेट में आए।


भारत में 14 लाख लोग बने थे इसके शिकार
इस फ्लू की चपेट में आए मरीजों को बुखार, हड्डियों में दर्द, आंखों में दर्द जैसी शिकायत थीं। इसकी वजह से महज कुछ दिन में मुंबई में कई लोगों की जान चली गई। अनुमान के मुताबिक जुलाई 1918 तक 1600 लोगों की मौत स्पैनिश फ्लू से हो चुकी थी। केवल मुंबई इससे प्रभावित नहीं हुआ था। रेलवे लाइन शुरू होने की वजह से देश के दूसरे हिस्सों में भी ये बीमारी तेजी से फैल गई। ग्रामीण इलाकों से ज्यादा शहरों में इसका प्रभाव दिखाई दिया।

1918 में बॉम्बे से हुई थी इस फ्लू की एंट्री
बॉम्बे प्रेजिडेंसी में तेजी से फैलने के बाद इस वायरस ने उत्तर और पूर्व में सबसे ज्यादा तांडव मचाया। देश में 10 से 25 लाख लोग इस गंभीर फ्लू से प्रभावित हुए। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में इस बीमारी से मरने वालों में पांचवां हिस्सा था। बाद में, असम में इस गंभीर फ्लू को लेकर एक इंजेक्शन तैयार किया गया, जिससे कथित तौर पर हजारों मरीजों का टीकाकरण किया गया। जिसकी वजह से इस बीमारी को रोकने में कुछ कामयाबी मिली।


कुछ महीनों में देशभर में फैला था यह फ्लू
हालांकि, बाद में सामने आई रिपोर्ट में जानकारी मिली कि 1919 की शुरुआत में एक बार फिर से स्पैनिश फ्लू ने कहर बरपाया। जिसकी वजह से कई लोग इसके शिकार बने। 2012 में सामने आई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के ब्रिटिश के नियंत्रण वाले हिस्सों में इस बीमारी ने ज्यादा कहर मचाया। लगभग 14 लाख भारतीय इस महामारी में मारे गए थे। अब एक बार फिर से कोरोना के बढ़ते कहर की वजह से लोग बेहद आशंकित हैं। फिलहाल सरकार और दूसरी संस्थाएं लगातार लोगों को इस गंभीर वायरस से बचाव को लेकर कोशिश में जुटी हुई हैं।


 


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