WHO के अधिकारी का दावा, 'कोरोना वायरस की वैक्‍सीन आने में लग सकता है ढाई साल का वक्‍त'

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के मुताबिक, अब तक विश्‍वभर में COVID-19 से अब तक 2 लाख 87 हजार 399 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें अमेरिका पहले पायदान पर है। इस वैश्विक महामारी से पूरी दुनिया चिंतित है। कोरोना वायरस के संकट से उबरने के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) समेत दुनियाभर के देश वैक्‍सीन की खोज करने में लगे हैं। मगर अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। इससे अधिकांश देशों की अर्थव्‍यवस्‍था तबाह होने की स्थिति में आ गई है। अगर समय रहते कोरोना वायरस का इलाज नहीं ढूंढा गया तो स्थिति और भयावाह हो सकती है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के मुताबिक, अब तक विश्‍वभर में COVID-19 से अब तक 2 लाख 87 हजार 399 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें अमेरिका पहले पायदान पर है। इस वैश्विक महामारी से पूरी दुनिया चिंतित है। कोरोना वायरस के संकट से उबरने के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) समेत दुनियाभर के देश वैक्‍सीन की खोज करने में लगे हैं। मगर अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। इससे अधिकांश देशों की अर्थव्‍यवस्‍था तबाह होने की स्थिति में आ गई है। अगर समय रहते कोरोना वायरस का इलाज नहीं ढूंढा गया तो स्थिति और भयावाह हो सकती है।

WHO के अधिकारी ने क्‍या कहा? 

दरअसल, बीबीसी न्‍यूज से विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के COVID-19 के अधिकारी डेविड नाबारो मुताबिक, सुरक्षित और असरदार वैक्‍सीन उपलब्‍ध होने में कम से कम 18 माह यानी डेढ़ साल का वक्‍त लग सकता है। इसके बनने के बाद दुनिया की संपूर्ण आबादी तक वैक्‍सीन पहुंचाने में एक साल अतिरिक्‍त समय लग सकता है। कुल मिलाकर लोगों तक पहुंचने में ढाई साल का समय लग सकता है। उन्‍होंने यह भी कहा कि कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जिनके असरदार वैक्‍सीन कभी बनते ही नहीं है। नाबारो ने ढाई साल से अधिक का भी समय लगने की संभावना जताई। साथ ही यह भी कहा कि लोग ऐसे तरीके निकालें जिससे इस बीमारी के साथ जिया जा सके। उन्‍होंने कहा ये वायरस अभी कहीं नही जा रहा।

 

भारत के संदर्भ में कोरोना वायरस कितना खतरनाक है? 

डेविड नाबारो ने कहा कोरोना वायरस के बारे में अभी जानकारी जुटाई जा रही है, मगर एक बात जो सामने आई है वो ये कि यह तेजी से फैलता है। यह कुछ ही दिनों में अधिक लोगों को सक्रमित कर सकता है। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि संक्र‍मितों को अलग-थलग रखा जाए। जहां ज्‍यादा संक्रमित होंगे वहां इसके फैलने का खतरा अधिक होगा। कुछ देशों ने इसलिए आवाजाही पर समय रहते रोक लगाई, ताकि वायरस के प्रसार पर रोक लगाई जा सके।  

उन्‍होंने कहा कि, भारत उनमें से एक है। नाबारो ने भारत सरकार के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां डबलिंग की रफ्तार धीमी है। मरीजों की संख्‍या दोगुनी होने में 10 से 11 दिन लग रहे हैं। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि घनी आबादी वाले क्षेत्रों प्रसार की संभावना अधिक है। 

शहरी इलाकों में ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत

नाबारो ने कहा कि शहरी इलाकों दो बातों का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए, पहला कि जहां वायरस फैल रहा है उन इलाकों में लोगों को क्‍या हो रहा है, दूसरा ये कि क्‍या उन इलाकों से लोग दूसरी जगह जा रहे हैं, यही कारण है कि लोगों को इन इलाकों में बाहर जाने से रोका जा रहा है। 

Comments