पाकिस्तान से मध्य प्रदेश आए छह हिंदू शरणार्थियों को दी गई भारतीय नागरिकता, खिल उठे चेहरे

 भोपाल,


 तीन दशक से देश की नागरिकता पाने को तरस रहे सिंधी समाज के छह लोगों का का बुधवार को आखिरकार इंतजार खत्‍म हो गया। भोपाल के दो और मंदसौर जिले के चार शरणार्थियों को मिलाकर कुल छह लोगों को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपे। भारतीय नागरिकता पाकर सिंधी समाज के इन लोगों के चेहरे खिल उठे। इनके अधरों पर मुस्कुराहट लौट आई। नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 के तहत पड़ोसी देशों के धार्मिक आधार पर पीडि़त हिन्दू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलने पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने लंबे समय से नागरिकता के लिए परेशान हो रहे छह लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र दिए हैं। अब ये लोग भी देश के बाकी लोगों की तरह भारत के निवासी कहलाएंगे।

इधर नागरिकता मिलने के बाद 'नवदुनिया' ने नागरिकों से बाचतीत की, तो सभी लोगों की आंखों में खुशी के आंसू दिखे। लोगों ने कहा कि अब तक शारणार्थी जीवन गुजार रहे थे। भारत की नागरिकता मिलने पर अब अपने नाम से जमीन व दुकान ले सकेंगे। नौकरी या निजी व्यवसाय कर सकेंगे।

आज का दिन मेरे लिए होली-दिवाली

कृष्णा अपार्टमेंट ओल्ड सिंधी कॉलोनी में रहता हूं। साल 2005 में पाकिस्तान के जकोबाबाद से भारत आया। 16 सालों से भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहा था। सात जुलाई 2021 में मेरा इंतजार खत्म हुआ। बहुत खुश हूं। आज का दिन मेरे लिए दीपावली व होली है।

-अमित कुमार, भोपाल।

पाक में जीवन नरक

संत हिरदाराम नगर, बैरागढ़ में रहता हूं। मेरा जन्म 1940 को सखर सिंध पाकिस्तान में हुआ। वहां का जीवन नरक है। मुस्लिम समाज के लोग मंदिरों में हिंदुओं को पूजा नहीं करने देते। वहां हिंदुओं पर अत्याचार किए जाते हैं। भारत की नागरिकता का सालों से इंतजार था, जो आज पूरा हुआ।

इससे बड़ी कोई खुशी नहीं

सालों के संघर्ष के बाद भारत की नागरिकता मिलने से बड़ी कोई दूसरी खुशी मेरे जीवन में है ही नहीं। जैसे ही गृहमंत्रालय से पता चला कि आपको भारतीय नागरिकता दी जा रही है, आपको सात जुलाई को भोपाल पहुंचना है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मंत्री नरोत्तम मिश्रा के हाथों प्रमाण पत्र लेने का यादगाह लम्हा कभी नहीं भूल सकता

भारत ही मेरा देश

पाकिस्तान के सिंजोरे सिंधी से था। साल 1975 में जन्म वहीं हुआ। मुस्लिम समाज के अत्याचारों से तंग आकर 1988 में भारत आ गया। अभी मंदसौर में रह रहा हूं। नागरिकता मिलने के बाद अब लगा कि भारत ही मेरा देश है। जब से भारत आया हूं, तब से पाकिस्तान की सारी कड़वी यादें भूल चुका हूं।

-जयराम दास, मंदसौर

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