पीएम मोदी की कैबिनेट का विस्तार आज

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद बुधवार की शाम को पहली बार कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) होगा. 7 जुलाई की शाम को नए मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं. सरकारी सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने जानकारी दी है कि नई कैबिनेट आजाद भारत के इतिहास में सबसे युवा कैबिनेट (Youngest Cabinet) होगी. सूत्रों ने कहा कि विस्तार के बाद नई कैबिनेट की औसत आयु सबसे कम होगी और ज्यादा से ज्यादा महिलाओं और प्रशासनिक अनुभव वाले लोगों को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर दो दर्जन से ज्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधि होंगे. योजना ये है कि छोटे-छोटे समुदायों को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व दिया जाए.'


रिपोर्ट के मुताबिक विस्तार के बाद कैबिनेट की शिक्षा का औसत भी ऊंचा होगा, इनमें पीएचडी, एमबीए, पोस्ट ग्रेजुएट्स और प्रोफेशनल्स शामिल होंगे. सूत्रों ने कहा कि मुख्य फोकस सभी राज्यों और विशेष क्षेत्रों पर है. महत्वपूर्ण ये है कि ये बदलाव चुनावी राज्यों को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं. बता दें कि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और 2024 में लोकसभा के चुनाव होंगे.


लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) का पिछले साल निधन हो गया था और ऐसे में सबकी नजरें इस ओर हैं कि उनके भाई पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को मंत्री बनाया जाता है या नहीं. उल्लेखनीय है कि लोजपा इन दिनों पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान की अगुवाई वाले दो गुटों में बंटी हुई है. मौजूदा मंत्रिपरिषद में कुल 53 मंत्री हैं और नियमानुसार अधिकतम मंत्रियों की संख्या 81 हो सकती है.



राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने यह भी इशारा किया है कि जेडीयू को मंत्रालय में अहम हिस्सेदारी मिल सकती है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है. वहीं अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां से भी महत्वपूर्ण नेताओं को जगह दी जा सकती है. ऐसी सभी जातियों, समूहों पर निगाहें हैं, जिन्हें अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है. पश्चिमी यूपी से दिल्ली और लखनऊ की राजनीति में ऐसे समूहों के नेताओं को जगह मिल सकती है जिनका प्रतिनिधित्व कम है.
पीएम मोदी ने खुद की है समीक्षा
बता दें कि जून महीने के शुरुआती पखवाड़े में पीएम मोदी ने मंत्रियों के साथ बैठक कर काम-काज की समीक्षा की थी. इसके अलावा उन्होने पार्टी के विभिन्न मोर्चे के अध्यक्षों से भी मुलाकात की थी. इसके बाद वो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिवों से भी मिले थे. साल 2019 में सरकार बनने के बाद अब तक मोदी कैबिनेट में कोई विस्तार नहीं हुआ है. जबकि कई मंत्रियों के पास तीन कैबिनेट पोर्टफोलियो तक हैं
वहीं कुछ मंत्रालयों में कोई राज्य मंत्री नहीं है. अकाली दल के साथ छोड़ने के बाद अब केंद्रीय कैबिनेट में सिर्फ बीजेपी के नेता ही मंत्री हैं.

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