पोर्नोग्राफी केस:राज कुंद्रा की जमानत अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई आज, साइबर सेल ने 2020 में दर्ज किया था केस
साल 2020 में साइबर क्राइम सेल द्वारा दर्ज केस में बिजनेसमैन राज कुंद्रा की जमानत अर्जी पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट में फैसला आ सकता है। एक सप्ताह पहले हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कुंद्रा को अंतरिम राहत देते हुए 25 अगस्त तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हालांकि, एक अन्य मामले में वे पहले से गिरफ्तार हैं और मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं।
राज कुंद्रा के अलावा इस मामले में 11 अन्य लोगों को भी मुंबई पुलिस ने अरेस्ट किया है। इससे पहले कुंद्रा की जमानत अर्जी को सत्र अदालत की ओर से रद्द कर दिया गया था। न्यायमूर्ति संदीप के शिंदे की बेंच कुंद्रा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
इस केस में वकील सुभाष जाधव का कहना है कि कुंद्रा पर लगे आरोप निराधार हैं। उनका बनाया कंटेंट पोर्नोग्राफी के दायरे में नहीं आता, बल्कि वह इरॉटिक कंटेंट है। जाधव के मुताबिक सेक्शुअल गतिविधियों का प्रदर्शन पोर्न है, जबकि इसके अलावा अगर कुछ कंटेंट बनता है तो वह अश्लील सामग्री (वल्गर कंटेंट) की कैटेगरी में आता है।
राज कुंद्रा पर यह है आरोप
मुंबई साइबर पुलिस द्वारा दर्ज केस में कुंद्रा पर वेब सीरीज के रूप में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील वीडियो अपलोड करने का आरोप है। इसी मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी जांच कर रही है। साइबर सेल ने इस केस में कुंद्रा को मुख्य साजिशकर्ता माना है। जबकि इस मामले में उनकी पत्नी शिल्पा शेट्टी, मॉडल गहना वशिष्ठ और शर्लिन चोपड़ा समेत कई लोगों से पूछताछ हो चुकी है। इसी मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने राज और शिल्पा के दफ्तरों में साथ-साथ एक से ज्यादा बार छापा मारा था।
बचाव में कुंद्रा की दलील
अदालत में जमानत याचिका दायर करते हुए कुंद्रा ने कहा था कि साइबर सेल की पहली FIR में उनका नाम नहीं था। इस केस की जांच के दौरान उन्होंने कई बार साइबर सेल के ऑफिस में जाकर अपना बयान दर्ज करवाया था और सभी जरूरी दस्तावेज सौंपे हैं। आगे भी जरूरत पड़ने पर वे जांच टीम के सामने पेश हो जाएंगे। इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाए।
ऐप के कंटेंट में नहीं किया कोई हस्तक्षेप: कुंद्रा
कुंद्रा की ओर से अदालत को बताया गया कि फरवरी 2020 में उनके एक परिचित ने उनसे आर्म्स प्राइम मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी में निवेश करने के लिए संपर्क किया। यह कंपनी कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने और ग्राहकों के साथ बातचीत करने के लिए एक डिजिटल मंच प्रदान करती है। इस कंपनी का ऐप सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम करता है।
कुंद्रा के वकील प्रशांत पाटिल की ओर से बताया गया कि यह बिजनेस मॉडल यूनीक था इसलिए उन्होंने इसमें पैसे इंवेस्ट किए थे। कुंद्रा ने बताया कि उन्होंने ऐप के कंटेंट को लेकर कभी कोई हस्तक्षेप नहीं किया था।
"हॉटशॉट्स" का पोर्न से कोई लेना-देना नहीं: कुंद्रा
कुंद्रा ने यह भी दावा किया कि "हॉटशॉट्स" नामक कंपनी द्वारा बनाए गए ऐप का पोर्नोग्राफी से कोई लेना-देना नहीं है। कुंद्रा ने यह भी दावा किया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। याचिका में आगे कहा गया है कि कुंद्रा को इसी तरह की धाराओं के तहत एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया है और जांचकर्ताओं द्वारा तलाशी में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य दस्तावेजों को जब्त कर लिया गया था।
इस आधार पर जमानत देने को कहा
कुंद्रा के वकील प्रशांत पाटिल ने तर्क दिया कि शर्लिन चोपड़ा और पूनम पांडे सहित मामले के अन्य सह-आरोपियों को हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम बेल दी गई थी। पाटिल ने आगे तर्क दिया कि कुंद्रा के खिलाफ लगी धाराओं में अधिकतम 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है, इसलिए अंतिम फैसले तक उन्हें जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
सरकारी वकील ने किया जमानत का विरोध
इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि मामले में कुंद्रा की भूमिका अन्य आरोपियों से अलग थी और इसलिए वह समानता के आधार पर सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते। शिंदे ने याचिका के गुण-दोष पर बहस करने के लिए और समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
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