21 प्रजाति के बरगद अब एक जगह मिलेंगे:पचमढ़ी में लगा दुनिया का इकलौता कुपुलाटा प्रजाति का बरगद अब भोपाल नर्सरी में देखने को मिलेगा, इंग्लैंड की क्यू म्यूजियम में रखा है इसका एक पत्ता

प्रदेश में पहले स्थान पर रहने वाली अहमदपुर नर्सरी में बटरफ्लाई पार्क के अलावा इन दिनों एक पार्क और आकार ले रहा है। यह है भोपाल का फाइकस (बरगद) पार्क। यह देश में दूसरा है। पहला पार्क इंदौर में बना था। इस पार्क को बनाने का उद्देश्य प्रदेश की लुप्त हो रही बरगद प्रजाति के वृक्षों को बचाना है। यहां पर 21 प्रजाति के बरगद के पेड़ लगाए गए है। यहां पर कुपुलाटा प्रजाति का ऐसा बरगद का पेड़ भी है जो विश्व में केवल पचमढ़ी में लगा हैं। इसके दो पेड़ पाए गए हैं। पचमढ़ी से इसके पेड़ बीज एकत्रित करके इन्हें अहमदपुर नर्सरी में लगाया गया। सामाजिक वानिकी के सेवानिवृत्त पीसीसीएफ पीसी दुबे ने बताया कि कुपुलाटा प्रजाति के बरगद के पेड़ का जन्म प्रदेश में हुआ। इसे संरक्षित करने के लिए कुल 60 पौधे तैयार किए गए है जो विभिन्न नर्सरी में लगाए जा रहे हैं। कुपुलाटा बरगद... खिलते हैं हरे फूल, औषधि बनाने में भी होता है उपयोग सेवानिवृत्त पीसीसीएफ दुबे ने बताया कि कुपुलाटा प्रजाति का यह बरगद अपने आप उगा है। किसी ने इसे उगाया नहीं है। आम बरगद के पेड़ में लाल फूल खिलते हैं, जबकि इसमें हरे फूल खिलते हैं। कुपुलाटा बरगद की छाल, फूल और पत्तों का उपयोग औषधि बनाने में भी होता है। इस दुर्लभ पेड़ का पत्ता (हरबेरियम) इंग्लैंड के क्यू म्यूजियम में रखा है। उन्होंने बताया कि 1928 में वनस्पति विशेषज्ञ डाॅ. हैंस जब पचमढ़ी घूमने आए थे, तब उन्होंने इसके सात पेड़ देखे थे। वे इस पेड़ का पत्ता इग्लैंड ले गए थे। अहमदपुर नर्सरी के तकरीबन एक एकड़ में फाइकस पार्क अहमदपुर नर्सरी के तकरीबन एक एकड़ में फाइकस पार्क बनाया है। इसमें बरगद की 27 प्रजाति के पौधे लगाए गए हंै। ये सभी पौधे 5 से 10 साल में बड़े हो जाएंगे। आमतौर पर सामान्य पौधे दो से तीन फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं, लेकिन बरगद के पौधे 8 से 10 फीट की दूरी पर लगाए हैं, ताकि बड़े होने पर इन्हें फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। बरगद के पेड़ जमीन का ज्यादा से ज्यादा पानी रोककर रखते हैं। किंवदंती....भगवान कृष्ण ‘कृष्ण कटोरी’ के पत्ते पर रखकर खाते थे माखन अहमदपुर नर्सरी में ‘कृष्ण कटोरी’ नाम की बरगद की खास किस्म है। मान्यता है भगवान कृष्ण गोपियों से माखन चोरी कर जंगल ले जाते थे और वहां कृष्ण कटोरी के पत्तों में रखकर इसे खाते थे। इसकी खासियत है यह है कि इसके पत्ते प्राकृतिक रुप से कटोरी के शेप में होते हैं। पार्क में बरगद की ये भी प्रजाति...बेन्जमिन,नेटालेसिस, एम्फलीसीजमा, वायरेंस, केरिका, हास्पिडा, कुपुलोटा, कृष्ण कटोरी, पुमेला, लेंसोलेटा, पामेआ, ऋषि मोसा, माइक्रोकापी, वेंधालेंसिस, रिली जियोजा, टिमक टोरिया, रंफी, मोलिस, वंडीज, तेज सकेला, ड्यपेसीया।

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