भोपाल में बन रहा मानसरोवर आश्रम:जोधपुर से 74 पहियों के ट्रॉले में 12 दिन में पहुंचा 150 टन का पत्थर, इससे बनेगी 51 फीट ऊंची शिव प्रतिमा

राजधानी के पास ग्राम फंदाकलां में 4.50 एकड़ जमीन पर करीब 11 करोड़ की अनुमानित लागत से प्रस्तावित एक बड़े तीर्थ स्थल के रूप में मानसरोवर आश्रम ने आकार लेना शुरू कर दिया है। आश्रम में 3 देवालयों के रूप में शिवलोक, विष्णुलोक और ब्रह्मलोक बनेंगे। खास बात यह है कि शिवलोक में मानसरोवर बनाया जाएगा, जिस पर भगवान शिव की 51 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह प्रतिमा जिस पत्थर से बनेगी, उसे राजस्थान के जोधपुर के पास बालेसर से मंगाया गया है, जो करीब 150 टन का है, जिसकी कीमत करीब 6 लाख रुपए है। इस सिंगल पीस पत्थर पर ही भोलेनाथ की प्रतिमा उकेरी जाएगी। इस पत्थर को जिस 74 पहियों वाले ट्रॉले में लाया गया उसे यहां तक आने में 12 दिन का वक्त लगा। इनके साथ नंदी देव की प्रतिमा भी रहेगी, जिसके लिए कुछ दिन पहले बालेसर से ही पत्थर मंगाया गया था। यह दोनों पत्थर हल्के क्रीम कलर के हैं। आश्रम का निर्माण मानसरोवर सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा दानदाताओं के सहयोग से कराया जा रहा है। ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय कश्यप ने बताया कि बेंगलुरू के वरिष्ठ आर्किटेक्ट श्रीधर मूर्ति ने नक्शा तैयार किया है। मंदिरों का निर्माण उड़ीसा व सोनपुरा गुजरात के कारीगरों द्वारा किया जाएगा। पाषाण की शिव प्रतिमा... ट्रस्ट के सदस्य अमर अग्रवाल ने बताया कि कैलाश पर्वत भी बनाया जाएगा। इस पर पाषाण की शिव प्रतिमा स्थापित की जाएगी। संभवत: देश में 51 फीट ऊंची पाषाण निर्मित यह पहली शिव प्रतिमा होगी। बालेसर का यह पत्थर 22 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा है। इस पत्थर को उतारने में दो से तीन दिन का वक्त लगेगा। कैलाश पर्वत पर शिव और नंदीदेव की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी शिव लोक : एक एकड़ में बनेगा। इसमें कैलाश पर्वत पर शिव व नंदीदेव की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। इसमें 12 ज्योतिर्लिंग की भी स्थापना होगी। विष्णु लोक : भगवान विष्णु, कृष्ण, राम-जानकी, हनुमान, गणेश, मां दुर्गा आदि देवी-देवताओं की आकर्षक प्रतिमाएं रहेगी। यह भी एक एकड़ में बनेगा। ब्रह्मलोक : इसमें ब्रह्मा समेत ऋषि मुनियों की प्रतिमाएं, ससंग भवन, हवन कुंड, धर्मशाला, पाठशाला आदि बनाए जाएंगे। इंद्रलोक : संत-आचार्य कुटी, धर्मग्रंथ पुस्तकालय, सीता रसोई, उपवन बनाया जाएगा। गो लोक : गो शाला बनेगी। इसमें खाद बनाने और गो काष्ठ बनाने की व्यवस्था भी की जाएगी।

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