भोपाल में मोहर्रम पर लंगर के आयोजन:पाबंदी के चलते अखाड़े या जुलूस नहीं, ठेले, ऑटो में निकले ताजिये; मन्नतों का दौर जारी

भोपाल में मोहर्रम का पर्व शुक्रवार को योम-ए-आशूरा के साथ मनाया जा रहा है। कोरोना की पाबंदी के चलते अखाड़े या जुलूस नहीं निकल रहे हैं। ठेले, ऑटो या छोटी गाड़ियों में ताजियों को निकाला जा रहा है। कर्बला पर लगने वाला परंपरागत मेला भी जायरीनों की कमी की वजह से फीका रहा। मोहर्रम की 10 तारीख पर शुक्रवार दोपहर से ताजियों का कर्बला पहुंचना शुरू हो गया। जुलूस पर पाबंदी होने के चलते छोटी-छोटी टुकड़ियों में पहुंचे लोगों ने अपनी अकीदत पूरी की। कर्बला पर आने के अलावा शहर के कई स्थानों से नगर निगम ने भी ताजिया विसर्जन की व्यवस्था की है। सड़कें महकती रही लोभान से बड़े जुलूस की पाबंदी के बावजूद शहर के विभिन्न इलाकों से ताजिया ठेले, ऑटो या छोटे वाहनों में निकलते रहे। इस दौरान लोगों ने अपनी मन्नतों के मुताबिक इन पर हार, फूल, अगरबत्ती, लोभान आदि चढ़ाया। फातेहा और लंगर भी हुए योम-ए-आशूरा के दिन हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी और कर्बला के वाक्या को याद कर मुस्लिम समाजजनों ने घरों में कुरआन ख्वानी और प्रसाद वितरण किया। इस दौरान कई स्थानों पर लंगर भी वितरित किया गया। आगे सब ठीक रहे : डॉ खुर्रम ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी अध्यक्ष डॉ. ओसाफ शाहमीरी खुर्रम ने कहा कि महामारी के हालात में लोग 2 साल से अपनी आस्थाएं पूरी नहीं कर पा रहे हैं। परंपरागत तरीके से बनने वाले ताजिया, अखाड़े, अलम नहीं बन पा रहे हैं, लेकिन अकीदतमंदों ने अपनी आस्थाओं को जिंदा रखा है और घरों में सादगी से त्योहार मनाया है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर दुआओं में सारी दुनिया से मुश्किल हालात दूर होने की दुआएं की गई हैं। ताकि आने वाले समय में अकीदत के बीच पाबंदियां रोक न लगा सकें।

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