रीवा में जमकर बरसे बदरा:डेढ घंटे की बारिश में रीवा शहर तर बतर, उमस भरी गर्मी से लोगों को मिली राहत, किसानों के चेहरे भी खिले

विंध्य क्षेत्र के रीवा व सतना में हरछठ के मौके पर रूठे मेघ एक बार फिर मेहरबान दिखे। शनिवार की दोपहर 1.30 बजे से रीवा में शुरू हुई वर्षा का सिलसिला करीब 3 बजे तक चलता रहा। जिससे डेढ घंटे की बारिश में शहर तर बतर हो गया। इस बारिश से जहां शहरवासियों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। वहीं दूसरी तरफ किसानों के चेहरे भी खिल खिला उठे है। बता दें कि रीवा जिले में करीब एक सप्ताह बाद अच्छी वर्षा हुई है। बीते सप्ताह कहीं भी एक बूंद पानी नहीं गिरा था। जिससे उमस के कारण पूरे जिले की जनता बेहाल थी। अस्पतालों में जहां वायरल, इन्फेक्शन के मरीज भारी संख्या में पहुंच रहे थे। वहीं हर तीसरे आदमी को सर्दी व जुकाम था। साथ ही डेंगू औ​र मलेरिया पैर पसारे लगा था। अब तक हुई 786.3 मिमी बारिश एक जून से अब तक 786.3 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई है। इस संबंध में अधीक्षक भू-अभिलेख जीपी सोनी ने बताया कि जिले में एक जून से अब तक तहसील रीवा हुजूर में 785.1 मि.मी., रायपुर कर्चुलियान में 578.2 मि.मी., गुढ़ में 881 मि.मी., सिरमौर में 610 मि.मी., त्योंथर में 809 मि.मी., मऊगंज में 814 मि.मी., हनुमना में 1240.2 मि.मी., सेमरिया में 706 मि.मी., मनगवां में 706, जवा में 804 मि.मी. तथा नईगढ़ी तहसील में 716 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई है। गत वर्ष इसी अवधि में जिले में 719.2 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई थी। रीवा जिले की वार्षिक औसत वर्षा 1044.6 मि.मी. है। हरछठ पूजने के लिए हुई बारिश गौरतलब है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताएं हरछठ क व्रत रखी है। इस दौरान घर के आंगन में कुआं और बावली बनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था। ऐसे में यह व्रत संतान की लम्बी आयु के लिए बेहद ही खास माना जाता है। हलषष्ठी व्रत में महिलाएं प्रात:काल से ही स्नान आदि से निवृत होकर नित्यकर्म करने के पश्चात् हलषष्ठी व्रत धारण करने का संकल्प उत्तराभिमुख होकर करती हैं। बलराम जयंती पर होने वाले इस पर्व पर हल की पूजा अर्चना होती है। मध्यान्ह काल में पलाश, कांस एवं कुश के नीचे भगवान शिव पार्वती स्वामी कार्तिकेय एवं गणेशजी की मूर्ति स्थापित करके धूप दीप पुष्प आदि से भक्तिभाव से पूजन सम्पन्न किया जाता है। हलछठ की पूजा में महुआ, पसई के चांवल, चना, मक्का, ज्वार,सोयाबीन व धान की लाई व भैंस के दूध व गोबर का विशेष महत्व रहता है।

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